इलेक्टोरल बॉन्ड के बचाव में उतरे वित्त मंत्री जेटली, दिया ये बड़ा बयान

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इलेक्टोरल बॉण्ड योजना का बचाव किया है। वित्त मंत्री ने कहा कि अगर चुनावी चंदा देने वालों को नाम उजागर करने के लिए दबाव बनाया जाएगा तो फिर से चुनावी चंदा काले धन या फिर नकद में दिया जाने लगेगा। इलेक्टोरल बॉण्ड पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी।

सीआईआई की एजीएम में जेटली ने कहा अगर आप चंदा देने वालों को नाम उजागर करने को मजबूर करोगे तो मुझे डर है कि चुनावी प्रक्रिया में नकदी व्यवस्था दोबारा से लौट आएगी। उन्होंने कहा कि लोगों को इस योजना में खामियां नजर आ रही हैं लेकिन चुनावी प्रक्रिया में कालेधन के अंकुश पर लगाने को कोई विकल्प लेकर नहीं आ रहा है। इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री ने कहा कि खासतौर से गैरसरकारी संगठन क्षेत्र के लोगों में एक मनोविकार है कि वह कोई उपाय नहीं बताते, बल्कि हर उपाय से उन्हें परेशानी है। पहले की प्रणाली में दानदाता, बिचौलिये और यहां तक की किस पार्टी को फंड दिया जा रहा है इस बारे में पता ही नहीं रहता था।

निर्वाचन आयोग ने कई क्षेत्रों में सफलता पाई है और एक सफल रोल मॉडल के तौर पर अपने आप को स्थापित किया है, लेकिन चुनाव में धनबल में रोक लगाने में नाकाम रहा है। इससे पहले निर्वाचन आयोग ने सुप्रीमकोर्ट में हलफनामा देकर कह चुका है कि इलेक्टोरल बॉण्ड में किसी का नाम न होने के कारण इसने राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की पारदर्शिता खत्म कर दी है। इससे राजनीतिक दलों को मिलने वाले फंड की पारदर्शिता पर बुरा असर पड़ेगा।

मालूम हो कि साल 2018 में सरकार राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए नकद में चंदा देने के जगह इलेक्टोरल बॉण्ड योजना को लेकर आई थी। योजना के तहत इलेक्टोरल बॉण्ड के तहत चंदा देने वालों का नाम केवल बैंकों को ही पता रहता है।

तीन महीने में बिके 1,716 करोड़ के बॉण्ड

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने इस साल जनवरी से मार्च के दौरान 1,716 करोड़ के इलेक्टोरल बॉण्ड बेचे हैं। जबकि साल 2018 में छह महीने के दौरान 1,056 करोड़ के इलेक्टोरल बॉण्ड बेचे थे।

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