इन वजहों से यूपी का सीएम चुनने में देर कर रही है बीजेपी
यूपी में प्रचंड बहुमत के बावजूद बीजेपी यहां मुख्यमंत्री पद के लिए नाम तय नहीं कर पाई है. बीजेपी यहां कुछ ज्यादा ही सतर्कता बरतती दिख रही है और पार्टी से जुड़े सूत्रों की मानें तो इसके पीछे कुछ खास वजहें हैं.
बीजेपी सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश की जहां तक बात है, तो पार्टी यहां कोई भी गलत कदम नहीं उठाना चाहती. पार्टी पर्यवेक्षक में बेहद संभल कर कदम उठा रहे हैं. कई विधायकों को दिल्ली भी बुलाया गया है, ताकि उनसे यूपी में सीएम उम्मीदवार और आगे की रणनीति पर खुलकर चर्चा की जा सके.
यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि अन्य चार राज्यों के उलट जब यूपी की बात आती है तो, इसे लेकर सारी वार्ता अब तक दिल्ली में ही होती रही है. राज्य के पर्यवेक्षक और दूसरे वरिष्ठ नेता भी दिल्ली से विधायकों को बुलाकर उनका रुख भांप रहे हैं.
यूपी में अगला सीएम चुनते समय बीजेपी का उस जाति समिकरण पर भी खास ध्यान है, जिसे साध कर अमित शाह ने पार्टी को प्रचंड बहुमत की तरफ पहुंचाया. फिर विधानसभा चुनाव में इस प्रचंड जीत के बाद 2019 के आम चुनाव पर भी बीजेपी के नजर की चर्चा है. लोकसभा में 80 सासंदों वाली यूपी 2019 में होने वाले आम चुनाव में बीजेपी की रणनीति में अहम हिस्सा है और पार्टी नेतृत्व को यह भी लगता है कि इस प्रचंड जीत ने बीजेपी के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं.
बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता इसी उधेड़बुन को साझा करते हुए कहते हैं कि किसी एक विधायक के लिए 300 से ज्यादा विधायकों को संभालना आसान नहीं रहेगा, ना ही किसी विधायक में यूपी की गद्दी पर बैठने लायक आभा दिखती है. वह कहते हैं, ‘आपको यह ध्यान रखना होगा कि ये जो बहुमत हमें मिला है और 2019 के लिए… केंद्र से किसी मजबूत नेता को यूपी भेजा जा सकता है.’ इसके साथ ही वह कहते हैं, ‘लोगों ने जिस तरह हमें समर्थन दिखा है, हम उनकी गगनचुंबी उम्मीदों पर खरा उतरना होगा और यह हमारे लिए एक बड़ी चुनौती होगी.’