आसानी से नहीं मिलेगा ब्रिटेन का वीजा, देनी होगी अंग्रेजी की कठिन परीक्षा

ब्रिटेन ने वीजा नियमों को कड़ा कर दिया है। 8 जनवरी, 2026 से वीजा आवेदकों को 12वीं कक्षा के समकक्ष एक नई, कठिन अंग्रेजी भाषा परीक्षा पास करनी होगी। गृह मंत्री ने कहा कि प्रवासियों को भाषा सीखनी होगी। 1 जनवरी, 2027 से अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए ग्रेजुएट रूट वीजा की अवधि 2 साल से घटाकर 18 महीने की जाएगी। छात्र वीजा के लिए रखरखाव निधि की आवश्यकता भी बढ़ाई गई है। इसके अतिरिक्त, नियोक्ताओं के लिए इमिग्रेशन स्किल चार्ज में 32% की वृद्धि की जाएगी।
ब्रिटेन का वीजा अब आसानी से नहीं मिलेगा। वीजा आवेदकों को अंग्रेजी भाषा की नई कठिन परीक्षा देनी होगी। ब्रिटेन सरकार ने इस संबंध में मंगलवार को संसद में प्रस्ताव पेश किया। नया ‘सिक्योर इंग्लिश लैंग्वेज टेस्ट’ के परिणामों को आठ जनवरी, 2026 से सभी कुशल श्रमिकों के लिए आगामी वीजा आवेदन प्रक्रिया के रूप में सत्यापित किया जाएगा।
इसका मतलब है कि अंग्रेजी टेस्ट के परिणामों के आधार पर वीजा मिलेगा। आवेदक का अंग्रेजी बोलने, सुनने, पढ़ने और लिखने का स्तर ए-लेवल या कक्षा 12 के समकक्ष होना चाहिए। ब्रिटेन की गृह मंत्री शबाना महमूद ने कहा, यह अस्वीकार्य है कि प्रवासी हमारी भाषा सीखे बिना यहां आएं।
सिखनी होगी भाषा
यदि आप इस देश में आते हैं, तो आपको हमारी भाषा सीखनी होगी।कानून में अन्य बदलाव भी किए जाएंगे। भारतीय छात्रों के बीच लोकप्रिय ग्रेजुएट रूट वीजा के तहत अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए स्नातक स्तर की नौकरी खोजने का समय एक जनवरी, 2027 से मौजूदा दो साल से घटाकर 18 महीने कर दिया जाएगा।
हालांकि, पीएचडी स्तर के स्नातक इस साल की शुरुआत में की गई घोषणा के तहत तीन साल की अनुमति होगी। 2025-2026 शैक्षणिक वर्ष के लिए छात्र वीजा के लिए विदेशी छात्रों को प्रदर्शित करना होगा कि उनके पास स्वयं का भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त धनराशि है। मेंटेनेंस फंड की आवश्यकता को लंदन के लिए वर्तमान में प्रतिमाह 1,483 पाउंड के बढ़ाकर 1,529 पाउंड कर दिया जाएगा।
कितना बढ़ाया गया शुल्क
शेष ब्रिटेन के लिए इसे 1,136 पाउंड से बढ़ाकर 1,171 पाउंड प्रति माह कर दिया जाएगा।इमिग्रेशन स्किल चार्ज (आइएससी) में 32 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी। आइएससी कुशल विदेशी श्रमिकों के ब्रिटिश नियोक्ताओं द्वारा दिया जाने वाला कर है। इसका अर्थ यह है कि छोटे या चैरिटेबल संगठनों को प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 480 पाउंड (पहले 364 पाउंड चुकाना पड़ता था) का भुगतान करना होगा तथा मध्यम और बड़े संगठनों को 1,320 पाउंड (पहले 1,000 पाउंड चुकाना पड़ता था) का भुगतान करना होगा। शुल्क बढ़ाने की संसदीय प्रक्रिया इस सप्ताह के अंत में शुरू होगी।