आरबीआई ने रेपो रेट 0.25% घटाया, 30 लाख के होम लोन पर हर महीने 474 रु. बचत की उम्मीद

रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) ने गुरुवार को ब्याज दरों का ऐलान किया। रेपो रेट में 0.25% कटौती की गई है। यह 6% से घटकर 5.75% हो गया है। रेपो रेट में कमी से सभी तरह के लोन सस्ते होंगे। हालांकि, यह बैंकों पर निर्भर करता है कि वे रेपो रेट में कमी का फायदा ग्राहकों को कब तक और कितना देते हैं। रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई कॉमर्शियल बैंकों को कर्ज देता है।

रेपो रेट घटने की उम्मीद पहले से थी
आर्थिक विकास की रफ्तार सुस्त पड़ने से आरबीआई पर ब्याज दर में कटौती का दबाव बढ़ गया था। मार्च तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट घटकर 5.8% रह गई। पूरे वित्त वर्ष (2018-19) में विकास दर 6.8% रही। यह पांच साल में सबसे कम है। ऐसे में केंद्रीय बैंक की कोशिश है कि सस्ते कर्ज के जरिए बाजार में नकदी बढ़ाकर अर्थव्यवस्था की रफ्तार तेज की जाए।

आउटलुक न्यूट्रल से अकोमोडेटिव किया
आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने मौद्रिक नीति को लेकर नजरिया न्यूट्रल से बदलकर अकोमोडेटिव (उदार) कर दिया है। यानी ब्याज दर में आगे और भी कटौती की जा सकती है।

जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटाकर 7% किया
रिजर्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष (2019-20) में जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटाकर 7% कर दिया है। अप्रैल की बैठक के बाद 7.2% का अनुमान जारी किया था।

खुदरा महंगाई दर का अनुमान बढ़ाकर 3-3.1 फीसदी किया
रिजर्व बैंक ने अप्रैल से सितंबर की छमाही में महंगाई दर का अनुमान बढ़ाकर 3-3.1% कर दिया है। अप्रैल में 2.9 से 3% की उम्मीद जताई थी। ब्याज दरें तय करते वक्त आरबीआई खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है। यह लगातार आरबीआई के 4% के लक्ष्य से नीचे बनी हुई है। अप्रैल में यह 2.92% रही थी।

रेपो रेट 5 महीने में 0.75% कम हुआ

शक्तिकांत दास के गवर्नर बनने के बाद लगातार तीसरी बार रेपो रेट घटा है। अप्रैल और फरवरी की समीक्षा बैठकों के बाद भी 0.25-0.25 फीसदी की कटौती की गई थी। फरवरी में दास की अध्यक्षता में आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की पहली समीक्षा बैठक हुई थी। उर्जित पटेल के इस्तीफा देने के बाद दास ने दिसंबर 2018 में आरबीआई के गवर्नर का पद संभाला था।

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