आयुर्वेद के इस गोल्डन ऑयल की 3 बूंदें बदल देंगी आपके चेहरे की रंगत

चेहरे की खूबसूरती और हेल्दी स्किन हर किसी की चाहत होती है। भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल, पॉल्यूशन और अनहेल्दी खानपान के कारण चेहरे की नेचुरल ग्लो धीरे-धीरे कम होने लगती है। ऐसे में आयुर्वेदिक उपाय फिर से चेहरे की रौनक लौटा सकते हैं।

कुमकुमादी तैलम एक प्राचीन आयुर्वेदिक हर्बल ऑयल है, जिसे खासकर चेहरे की चमक बढ़ाने और स्किन की कई समस्याओं को दूर करने के लिए जाना जाता है। इसमें 20 से अधिक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है, जिसमें सबसे मुख्य केसर है, जो स्किन को ब्राइट और यंग दिखाने में मदद करता है। आइए जानते हैं कि चेहरे पर एवरलास्टिंग चमक पाने के लिए कुमकुमादी तैलम का सही इस्तेमाल कैसे करें।

कुमकुमादी तैलम के फायदे
नेचुरल ग्लो बढ़ाता है- इसमें मौजूद केसर और चंदन स्किन को अंदर से पोषण देकर ग्लोइंग बनाते हैं।
पिगमेंटेशन और डार्क स्पॉट्स कम करता है- यह ऑयल मेलानिन को नियंत्रित करके चेहरे के दाग-धब्बों को हल्का करता है।
एंटी-एजिंग गुण- इसमें मौजूद जड़ी-बूटियां झुर्रियों और फाइन लाइन्स को कम करती हैं।
स्किन टोन सुधारता है- रेगुलर इस्तेमाल से चेहरा साफ, निखरा और यंग दिखता है।
एक्ने और स्किन इंफ्लेमेशन में फायदेमंद- इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण हैं।

कुमकुमादी तैलम का उपयोग ऐसे करें
क्लींजिंग से शुरुआत करें- सबसे पहले चेहरे को हल्के फेसवॉश या गुलाबजल से अच्छी तरह साफ करें जिससे धूल-मिट्टी और ऑयल हट जाए।
तेल लगाने का तरीका- चेहरे पर 3–4 बूंद कुमकुमादी तैलम लें। उंगलियों से हल्के हाथों से पूरे चेहरे और गर्दन पर गोलाई में मसाज करें। मसाज 5–10 मिनट तक करें जिससे ऑयल स्किन में अच्छी तरह एब्जॉर्ब हो जाए।
नाइट सीरम की तरह उपयोग- इसे रात को सोने से पहले लगाना सबसे ज्यादा असरदार माना जाता है। रातभर स्किन रिपेयर होती है और सुबह चेहरा नेचुरली ग्लो करता है।
फेस पैक के साथ मिलाकर- मुल्तानी मिट्टी, चंदन पाउडर या हल्दी फेस पैक में कुछ बूंदें कुमकुमादी तैलम मिलाकर लगाने से स्किन और ज्यादा ब्राइट होती है।
रेगुलर उपयोग- अगर रोजाना उपयोग संभव न हो तो हफ्ते में 3–4 बार जरूर इस्तेमाल करें।

इन बातों का रखें ध्यान
इसे हमेशा साफ चेहरे पर ही लगाएं।
ऑयली स्किन वाले लोग कम मात्रा में लगाएं और ओवरनाइट की बजाय 1–2 घंटे बाद धो लें।
आंखों के अंदर जाने से बचाएं।
रेगुलर और सही तरीके से इस्तेमाल करने पर 3–4 हफ्तों में फर्क नजर आने लगता है।

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