आजाद भारत के इन 70 वर्षः में इन 10 खिलाड़ियों ने जीते करोड़ों दिल

नई दिल्ली। इस 15 अगस्त को भारत अपना 70वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। आजाद भारत ने 1947 से अब तक हर क्षेत्र में करिश्माई बढ़त और सफलता हासिल की है। इन्हीं में से एक क्षेत्र खेलकूद का भी रहा है, जहां भारतीय खिलाड़ियों ने देश का नाम रोशन करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आइए आपको रूबरू कराते हैं भारतीय खेलजगत के उन नामों से जिन्होंने आजाद भारत में सुर्खियां अपने नाम कीं।
– सचिन तेंदुलकर (क्रिकेट)
भारतीय खेल जगत की चर्चा हो तो जाहिर तौर पर क्रिकेट इसमें सबसे ऊपर आता है और जब चर्चा क्रिकेट की हो तो सबसे पहला नाम सचिन रमेश तेंदुलकर का ही आता है। तकरीबन 24 सालों तक 22 गज की पिच पर अपना जलवा बिखेरने वाला ये बल्लेबाज आज भी भारतीय खेल प्रेमियों के लिए सबसे बड़ा स्टार है। क्रिकेट के भगवान के नाम से मशहूर इस क्रिकेटर ने 1989 से 2013 के बीच भारतीय क्रिकेट को नए मुकाम तक पहुंचाया। इस दौरान उन्होंने क्रिकेट के तकरीबन सभी बड़े रिकॉर्ड्स अपने नाम किए।
– बाइचंग भूटिया (फुटबॉल)
यूं तो भारतीय फुटबॉल जगत में आजादी के बाद से कई ऐसे चेहरे रहे जिन्होंने देश का नाम रोशन किया लेकिन जिस एक खिलाड़ी ने सबसे ज्यादा दिल व सुर्खियां बटोरीं वो बाइचंग भूटिया ही रहे। 1993 से 2015 के बीच अपने लंबे क्लब करियर में 100 गोल और 1995 से 2011 के बीच भारतीय टीम की तरफ से 104 मैचों में 40 गोल करने वाले इस खिलाड़ी ने कई मौकों पर देश का नाम रोशन किया। वो तीन बार साल के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर चुने गए और आइएम विजयन जैसे दिग्गज ने तो भूटिया को ‘भारतीय फुटबॉल को भगवान का तोहफा’ करार दिया।
– लिएंडर पेस (टेनिस)
भारतीय टेनिस में अगर किसी खिलाड़ी के नाम ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं तो वो लिएंडर पेस ही हैं। आज वो 44 वर्ष के हैं लेकिन अब भी कोर्ट पर मौजूद हैं और विश्व स्तर पर आज भी भारत का नाम रोशन कर रहे हैं। उन्हें सिर्फ भारत का ही नहीं बल्कि दुनिया में सर्वश्रेष्ठ डबल्स व मिक्स्ड डबल्स का खिलाड़ी माना जाता है। इन दोनों ही इवेंट मेंं वो ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने में सफल रहे हैं। डबल्स में अब तक उन्होंने आठ ग्रैंड स्लैम खिताब जीते हैं जबकि मिक्स्ड डबल्स में दस ग्रैंड स्लैम खिताब अपने नाम किए हैं। ओलंपिक में एक कांस्य पदक, कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक और एशियन गेम्स में पांच स्वर्ण पदक और दो कांस्य पदक उनकी प्रतिभा की कहानी बयां करते हैं।
– सुशील कुमार (कुश्ती)
भारत के पारंपरिक खेल कुश्ती में आज हम आए दिन नए चेहरे देखते रहते हैं लेकिन कुछ सालों पहले तक कहानी ऐसी नहीं थी। ये खेल कहीं गुम सा था। अगर इस खेल को फिर से किसी खिलाड़ी ने हवा दी तो वो हैं सुशील कुमार। बीजिंग में आयोजित 2008 ओलंपिक खेलों में जब सुशील ने कांस्य पदक जीता तो इस खेल में जैसे नई जान आ गई। उसके बाद 2010 में उन्होंने विश्व चैंपियनशिप जीती और 2012 लंदन ओलंपिक में रजत पदक जीतकर भारत का नाम फिर से रोशन किया। भारतीय कुश्ती में इस पहलवान के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
– मिल्खा सिंह (एथलेटिक्स- ट्रैक एंड फील्ड)
1958 के कॉमनवेल्थ गेम्स में मिल्खा सिंह ने 440 गज की दौड़ में गोल्ड मेडल जीतकर एथलेटिक्स में भारत को सबसे बड़ी सफलता हासिल कराई। वो यहीं नहीं थमे, एशियन गेम्स में उन्होंने गोल्ड मेडल का चौका लगाया। 1958 के टोक्यो एशियन गेम्स में 200 व 400 मीटर में दो गोल्ड मेडल और फिर 1962 के जकार्ता एशियन गेम्स में 400 व 4 गुणा 400 मीटर रिले में भारत को दो गोल्ड मेडल हासिल कराते हुए भारत का नाम रोशन किया। फ्लाइंग सिख नाम से मशहूर मिल्खा सिंह आज भी भारतीय एथलीटों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।
– विश्वनाथन आनंद (शतरंज)
विश्व शतरंज में अगर किसी खिलाड़ी ने सबसे गहरा प्रभाव छोड़ा तो वो और कोई नहीं बल्कि भारत के विश्वनाथन आनंद ही रहे। वो 1988 में भारत के पहले ग्रैंडमास्टर बने और उसके बाद से उनकी सफलताओं का सिलसिला कभी थमा नहीं। उन्होंने 2000 से 2002 के बीच विश्व चैंपियनशिप पर अपना कब्जा बनाकर रखा। फिर 2007 में अंडिस्प्यूटेड विश्व चैंपियन बने और उसके अगले ही साल उन्होंने अपने खिताब का सफलतापूर्वक बचाव भी किया। फिर 2010 और 2012 में भी वो अपने विश्व चैंपियनशिप के खिताब को बचाने में सफल रहे। वो 1991-92 में भारत का सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न हासिल करने वाले पहले खिलाड़ी बने थे। वहीं, 2007 वो भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण हासिल करने वाले भी पहले खिलाड़ी बने।
– अभिनव बिंद्रा (निशानेबाजी)
भारतीय निशानेबाज अभिनव बिंद्रा भारतीय खेल इतिहास के गोल्डन बॉय माने जाते हैं। वो ओलंपिक इतिहास में व्यक्तिगत गोल्ड मेडल जीतने वाले एकमात्र भारतीय खिलाड़ी हैं। अभिनव ने 2008 बीजिंग ओलंपिक के 10 मीटर एयर रायफल इवेंट में पहला स्थान हासिल करते हुए ये इतिहास रचा था। यही नहीं, उस सफलता से ठीक दो साल पहले उन्होंने विश्व चैंपियन बनने का भी गौरव हासिल किया था। यानी वो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतते समय एकमात्र व पहले ऐसे भारतीय बने जिनके नाम ये दोनों सफलताएं दर्ज थीं। अभिनव ने 2014 (ग्लास्गो) कॉमनवेल्थ गेम्स में भी गोल्ड मेडल अपने नाम किया था।
– मैरी कॉम (मुक्केबाजी)
भारतीय खेल जगत में महिलाएं भी कभी पीछे नहीं रही हैं। इन्हीं में एक नाम ऐसा रहा जिसने करोड़ों युवाओं को प्रेरित किया। जी हां, हम बात कर रहे हैं मैरी कॉम की। वो पांच बार की विश्व चैंपियन बनीं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार भारत का नाम रोशन किया। वो एकमात्र ऐसी मुक्केबाज हैं जिन्होंने सभी छह विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने का कमाल किया। साल 2012 में आयोजित लंदन ओलंपिक में मैरी कॉम महिला मुक्केबाजी में क्वालीफाइ करने वाली एकमात्र भारतीय बनीं और कांस्य पदक के जरिए भारत को महिला बॉक्सिंग में पहला ओलंपिक पदक दिलाने वाली खिलाड़ी भी बनने का गौरव हासिल किया। इसके अलावा 2014 के इंचियोन एशियन गेम्स में भी वो गोल्ड मेडल जीतकर ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज बनी थीं।
– पीवी सिंधू (बैडमिंटन)
भारतीय बैडमिंटन इतिहास में प्रकाश पादुकोण, पुलेला गोपीचंद, साइना नेहवाल जैसे कई दिग्गज आए लेकिन 2016 में पीवी सिंधू ने जो कमाल किया वो आज तक कोई नहीं कर सका। सिंधू रियो ओलंपिक खेलों के महिला सिंगल्स फाइनल्स में पहुंचने वाली पहली भारतीय बनीं, वो बेशक फाइनल में हार गईं लेकिन ओलंपिक में व्यक्तिगत रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनीं। इसके अलावा सिंधू ने कई बार विश्व स्तर पर देश का नाम रोशन किया। विश्व चैंपियनशिप में दो कांस्य पदक, एशियन गेम्स में एक कांस्य पदक, कॉमनवेल्थ गेम्स में एक कांस्य पदक, एशियन चैंपियनशिप में एक कांस्य पदक और साउथ एशियन गेम्स में एक स्वर्ण और एक रजत पदक।
– बलबीर सिंह जूनियर (हॉकी)
भारत के राष्ट्रीय खेल हॉकी की चर्चा हो तो पहला नाम ध्यानचंद का सामने आता है लेकिन महान ध्यानचंद की सफलताएं आजादी से पहले दर्ज हुईं। आजादी के बाद की बात करें तो सबसे सफल हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह जूनियर साबित हुए। वो दूसरे भारतीय खिलाड़ी बने जिन्होंने तीन ओलंपिक गोल्ड मेडल हासिल किए। उनकी मौजूदगी में भारतीय टीम ने 1948, 1952 और 1956 (कप्तान के रूप में) के ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीते। वो विश्व के पहले और एकमात्र ऐसे खिलाड़ी बने जिसने ओलंपिक खेलों के एक ही मैच में पांच गोल करने की सफलता हासिल की। ये सफलता उन्होंने ओलंपिक फाइनल में नीदरलैंड्स के खिलाफ हासिल की थी जहां भारत ने 6-1 से जीत दर्ज की थी। साल 1957 में वो पद्म श्री पुरस्कार जीतने वाले पहले खिलाड़ी बने।
– …..इनको भी नहीं भूल सकते
इन 10 धुरंधरों के अलावा कई और ऐसे नाम हैं जिनकी सफलताओं को आजाद भारत के इतिहास में खास जगह हासिल है। क्रिकेट में पहला विश्व कप दिलाने वाले कपिल देव, भारत को क्रिकेट तीनों प्रारूपों में शीर्ष टीम बनाने वाले महेंद्र सिंह धौनी, भारतीय महिला बैडमिंटन की दिशा बदलने वालीं साइना नेहवाल, हॉकी के दिग्गज धनराज पिल्ले, टेनिस में शानदार सफलताएं हासिल करने वालीं सानिया मिर्जा, एथलेटिक्स में भारत का नाम रोशन करने वाली पीटी ऊषा और अंजू बॉबी जॉर्ज, पैरालंपिक में भारतीयों का दिल जीतने वाले देवेंद्र झाझरिया, निशानेबाजी के दिग्गज गगन नारंग, तीरंदाज दीपिका कुमारी, मुक्केबाज विजेंद्र सिंह, पहलवान योगेश्वर दत्त और साक्षी मलिक भी कई ऐसे नाम हैं जिन्होंने भारतीय खेल जगत में महत्वपूर्ण योगदान दिया।