क्या आप जानते है कृष्‍ण की 16,108 रानियों का रहस्य???

परब्रह्म की सम्पूर्ण कलाओं के साथ अवतरित हुए भगवान कृष्ण की 16,100 रानियां तथा आठ पटरानियां थी। जहां एक और महाभारत में सभी रानियों और पटरानियों से विवाह की कथा दी गई हैं वहीं शास्त्रकार इन कथाओं में छिपे गूढ़ रहस्य को बताते हैं। उनके अनुसार कृष्ण का अर्थ हैं अंधकार में विलीन होने वाले, सम्पूर्ण को अपने में समा लेने वाला। इसी भांति राधा शब्द भी धारा का उल्टा है। जहां धारा किसी स्रोत से बाहर आती है वहीं राधा का अर्थ है वापिस अपने स्रोत में समाना। यही कारण है कि बिना विवाह के भी राधाकृष्ण युगल को हिंदू धर्मों में शिव-पार्वती जैसी पवित्र भावना के साथ देखा जाता है। राधाकृष्ण वस्तुत कोई युगल (दो भिन्न स्त्री-पुरुष) है ही नहीं, वरन स्वयं में ध्यानलीन होना ही है।

क्या आप जानते है कृष्‍ण की 16,108 रानियों का रहस्य???कृष्‍ण की आठ पटरानियों के ये हैं रहस्य

भगवान कृष्ण की पटरानियां वस्तुतः आठ ही थी। इनके नाम रुक्मणि, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रवृंदा, सत्या, रोहिणी तथा लक्ष्मणा हैं। कृष्ण की प्रमुख पटरानी के रूप में रूक्मिणी का नाम लिया जाता है। वह विदर्भ देश की राजकुमारी थी तथा मन ही मन कृष्ण को अपना पति मानती थी। इनका प्रेमपत्र पढ़ने के बाद कृष्ण ने इनका अपहरण कर रूक्मिणीजी से विवाह कर लिया था।

सूर्यपुत्री कालिन्दी कृष्ण की दूसरी पत्नी थी। इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर कृष्ण ने इनसे विवाह किया था। कृष्ण की तीसरी पत्नी उज्जैन की राजकुमारी मित्रवृंदा थी, कृष्ण ने इन्हें स्वयंवर में विजेता बनकर अपनी पटरानी बनाया था। इन्हें स्वयंवर में भाग लेकर कृष्ण ने अपनी रानी बनाया था। चौथी पटरानी सत्या राजा नग्नजित की पुत्री थी। इनके पिता की शर्त के मुताबिक कृष्ण ने सात बैलों को एकसाथ नथ कर इनसे विवाह किया था।

पांचवी पटरानी के रूप में कृष्ण यक्षराज जाम्बवंत की कन्या जामवन्ती को ब्याह कर लाए थे। गय देश के राजा ऋतुसुकृत की पुत्री रोहिणी ने कृष्ण को स्वयंवर में वर कर विवाह किया था। कृष्ण की सातवीं रानी सत्यभामा राजा सत्राजित की पुत्री थी। उन्होंने कृष्ण तथा यादव राजवंश से मधुर संबंध बनाने के लिए ही अपनी पुत्री का विवाह कृष्ण से किया था। कृष्ण की आठवीं पटरानी लक्ष्मणा ने भी स्वयंवर में ही कृष्ण को अपना पति मानकर उनसे विवाह किया था।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button