‘अहंकार और सीट बंटवारे में देरी चुनावों में हार के लिए जिम्मेदार’, उद्धव ने एमवीए की एकता पर उठाए सवाल

मुंबई नगर निकाय चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे ने एमवीए गठबंधन दलों की एकता पर सवाल उठाया। उन्होंने विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे और उम्मीदवार चयन में देरी को हार की बड़ी वजह बताया। साथ ही कहा कि अगर यही हाल रहा तो गठबंधन का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
मुंबई में होने वाले नगर निकाय चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियों में गर्माहट तेज हो गई है। इसी बीच शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने महाविकास अघाड़ी गठबधंन दलों की एकता पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में सीट बंटवारे और उम्मीदवार तय करने में हुई देरी को लेकर महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन पर सवाल उठाए हैं। ठाकरे ने कहा कि लोकसभा चुनाव में अच्छे प्रदर्शन के बाद गठबंधन दलों में एकता कम और दलगत जीत की होड़ ज्यादा दिखने लगी, जिससे जनता में गलत संदेश गया और हार का कारण बना।
फिर साथ रहने का क्या फायदा?
उद्धव ठाकरे ने कहा कि विधानसभा चुनाव में सीटों को लेकर अंत तक खींचतान चलती रही। कई जगहों पर उम्मीदवार तय ही नहीं हो पाए। अगर ऐसी ही गलतियां होती रहीं तो फिर साथ रहने का क्या फायदा? ठाकरे ने बताया कि लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को कुछ ऐसी सीटें गठबंधन सहयोगियों को देनी पड़ीं, जहां शिवसेना (यूबीटी) पहले कई बार जीत चुकी थी। ठाकरे ने कहा कि अब वक्त है आत्ममंथन का, क्योंकि अगर गठबंधन में यही हाल रहा, तो जनता का भरोसा टूट जाएगा।
अपनी गलतियां भी माननी होगी-ठाकरे
ठाकरे का मानना है कि चुनाव के दौरान ‘लड़की बहन योजना’ जैसे वादों ने जनता को भ्रमित किया और एमवीए नुकसान में रहा। उन्होंने ईवीएम घोटाले, फर्जी वोटर लिस्ट और अचानक वोटर संख्या बढ़ने जैसे मुद्दों को लेकर भी चिंता जताई, लेकिन कहा कि सिर्फ बहाने नहीं बनाने चाहिए अपनी गलतियां भी माननी होंगी।
एक नजर चुनावी प्रदर्शन पर
गौरतलब है कि 2024 लोकसभा चुनाव में एवीए ने महाराष्ट्र की 48 में से 30 सीटें जीती थीं। लेकिन पांच महीने बाद हुए विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन (भाजपा, शिंदे गुट और अजित पवार गुट) ने करारी जीत दर्ज की। विधानसभा में 288 सीटों में से भाजपा को 132, शिंदे की शिवसेना को 57 और अजित पवार की एनसीपी को 41 सीटें मिलीं। वहीं विपक्षी एमवीए को कुल 46 सीटें मिलीं, जिनमें उद्धव ठाकरे गुट को 20, शरद पवार गुट को 16 और कांग्रेस को 10 को मिलीं।