अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर कसा शिकंजा, पटवारियों ने शुरू की जमीन की पैमाइश

सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल का लिंक सामने आने के बाद धौज स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी पर प्रशासन ने भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। शुक्रवार को पटवारियों की एक टीम यूनिवर्सिटी पहुंची और यहां जमीन की पैमाइश की। टीम ने मौके पर जांच के दौरान ये पता लगाने का प्रयास किया कि यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने गांव की कुछ सरकारी जमीन पर तो कब्जा नहीं किया है।

शुक्रवार सुबह ब्रेजा कार में सवार होकर दो पटवारियों की टीम यहां पहुंची और कई घंटे तक जांच की। इसके बाद टीम यहां से लौट गई। एक सूत्र ने बताया कि अभी ये टीम आला अधिकारियों को अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। इसके बाद ही ये स्पष्ट हो सकेगा कि यूनिवर्सिटी ने कुछ जमीन पर कब्जा किया है या नहीं। यदि जमीन पर कब्जे की बात सामने आई तो प्रशासन का दस्ता यहां तोड़-फोड़ कार्रवाई कर अपनी जमीन खाली भी करा सकता है।

पंचायत ने लगाया आरोप यूनिवर्सिटी पर गांव की सरकारी जमीन कब्जाने का आरोप धौज गांव की पंचायत ने भी लगाया हुआ है। पंचायत की ओर से लगभग 6 महीने पहले ही अदालत में याचिका भी दायर की गई है। इसमें आरोप लगाया गया है कि यूनिवर्सिटी ने गांव टीकरी खेड़ा और गांव धौज के बीच 22 मीटर चौड़ी सड़क के लगभग एक किलोमीटर के हिस्से पर कब्जा कर निर्माण कर लिया है। पूर्व के सरपंचों के साथ मिलकर इसे 78 एकड़ के कैंपस में मिलाने का आरोप है।

यूनिवर्सिटी लगभग 78 एकड़ में फैली है। साल 2014 में यूनिवर्सिटी बनने से पहले साल 1997 में अल-फलाह फाउंडेशन की ओर से यहां इंजीनियरिंग कॉलेज शुरू किया गया। साल 2016 में मेडिकल की पढ़ाई शुरू हुई। 2019 में पहला बैच आया और बाद में पैरामेडिकल के कोर्स भी शुरू हो गए। साल 2021 में इंजीनियरिंग का आखिरी बैच यहां रहा और उसके बाद इंजीनियरिंग में दाखिले बंद हो गए।

यूनिवर्सिटी में अब तक रहे पुराने डॉक्टरों का डाटा खंगाल रही टीम
अल-फलाह यूनिवर्सिटी में सामने आए सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल में जांच एजेंसी मौजूदा डॉक्टरों व स्टॉफ के अलावा पुराने लोगों को भी चेक कर रही है। शुक्रवार को जांच कर रही टीम ने यूनिवर्सिटी परिसर में पहुंचकर ये पता लगाया कि यहां पहले कौन डॉक्टर व स्टॉफ काम कर चुके हैं।

इसमें टीम ने पूछा कि वे लोग कितने समय पहले यहां से छोड़कर जा चुके हैं। उनके यहां से छोड़ने के कारण का भी पता किया गया कि वे किन कारणों से छोड़कर गए और वे कहां के रहने वाले थे। सभी के नाम, नंबर, निवास स्थान और यूनिवर्सिटी परिसर में कार्यरत रहने के दौरान उनके पद के अनुसार डिटेल ली गई है।

जांच एजेंसी के आधिकारिक सूत्रों की मानें तो ये शक है कि यहां पहले कार्यरत रह चुके कुछ लोग भी इस आतंकी मॉड्यूल का हिस्सा हो सकते हैं। इनमें डॉक्टर, छात्र या अन्य पदों पर कार्यरत सभी तरह के लोग शामिल हो सकते हैं। सूत्रों के अनुसार शुक्रवार को यूनिवर्सिटी परिसर से मिली लिस्ट में जम्मू कश्मीर के लोगों की संख्या काफी अधिक है।

इनमें डॉक्टर, प्रोफेसर, छात्र व अन्य पदों पर काम करने वाले लोग शामिल हैं। जम्मू कश्मीर पुलिस के साथ भी ये लिस्ट जांच एजेंसी ने साझा की है ताकि वो इसे वेरिफाई कर सकते हैं।

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