अलार्म क्लॉक भी पहुंचा रहा है आपके हार्ट को नुकसान

आजकल की बिजी लाइफस्टाइल में सुबह समय पर उठने के लिए ज्यादातर लोग अलार्म क्लॉक या मोबाइल अलार्म का इस्तेमाल करते हैं। अलार्म की तेज और अचानक आने वाली आवाज हमें गहरी नींद से झकझोर कर जगा देती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह अचानक झटका आपके दिल को नुकसान पहुंचा सकता है?
जी हां, अलार्म क्लॉक की तेज अवाज हमें नींद से तो जगा देती है, लेकिन इसके कारण हमारे दिल को कुछ नुकसान भुगतने पड़ जाते हैं। सुनने में कुछ अजीब लग सकता है, लेकिन यह बिल्कुल सच है। आइए जानें कैसे अलार्म क्लॉक दिल से जुड़ी समस्याओं का जोखिम बढ़ा देता है।
फ्लाइट-फाइट मोड
हमारा शरीर नींद के दौरान रिलैक्स मोड में होता है। इस समय दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर सामान्य से भी कम स्तर पर रहता है। लेकिन जब अचानक कोई तेज आवाज, जैसे- अलार्म कानों तक पहुंचती है, तो दिमाग तुरंत खतरे का संकेत मान लेता है। इससे स्ट्रेस हार्मोन यानी एड्रेनालिन और कॉर्टिसोल तेजी से रिलीज होते हैं। नतीजा यह होता है कि धड़कन अचानक तेज हो जाती है और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। बार-बार ऐसा होने पर यह दिल पर दबाव डाल सकता है।
स्लीप साइकिल टूटना
हमारी नींद अलग-अलग स्टेज में पूरी होती है- हल्की नींद, गहरी नींद और REM। अगर अलार्म गहरी नींद के बीच में बजता है, तो स्लीप साइकिल अधूरा रह जाता है। इससे शरीर को पूरी तरह से आराम नहीं मिलता और लंबे समय में यह दिल की बीमारियों के जोखिम को बढ़ा सकता है।
लगातार तनाव और थकान
बार-बार झटके से जागने की आदत हमारे दिमाग और दिल दोनों को तनाव की स्थिति में रखती है। इससे सुबह की थकान और चिड़चिड़ापन भी बढ़ता है। नींद की कमी और तनाव मिलकर दिल की बीमारियों जैसे हाई ब्लड प्रेशर, एरिदमिया और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ा सकते हैं।
इससे बचने के लिए क्या करें?
माइल्ड टोन अलार्म- अचानक तेज आवाज की बजाय धीमी और मधुर टोन वाले अलार्म का इस्तेमाल करें।
फिक्स्ड रूटीन- रोजाना एक ही समय पर सोने और उठने की आदत डालें, ताकि बिना अलार्म भी शरीर खुद समय पर जागने लगे।
पूरी नींद- 7–8 घंटे की नींद लें, जिससे अलार्म की जरूरत कम पड़े।