अलग-थलग पड़े शिवपाल बोले- नेताजी खुद सपा संभालें या मुझे आजाद कर दें
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हालांकि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद लगातार भाजपा नेतृत्व के संपर्क में रहे शिवपाल को कई तरह के प्रस्ताव मिले थे। इसमें मुलायम का भी ‘ख्याल’ रखने का प्रस्ताव था।
सूत्रों के मुताबिक शिवपाल ने भाजपा के प्रस्तावों पर भी मुलायम से बात की थी। शरद यादव से रविवार को हुई मुलाकात के दौरान भी शिवपाल ने जदयू में शामिल होने की संभावना तलाशी।
पार्टी की रणनीति शिवपाल के साथ-साथ मुलायम को भी साधने की है। बताते हैं कि बिहार में घटे सियासी घटनाक्रम के बाद पार्टी की ओर से शिवपाल को फिर से पूर्व में दिए गए प्रस्तावों पर जल्द निर्णय लेने के लिए कहा गया।
बताते हैं कि शिवपाल भाजपा के प्रस्तावों पर पहले से ही राजी हैं। हालांकि मुलायम अनिर्णय की स्थिति में हैं। यही कारण है कि शिवपाल ने मुलायम से मिल कर अपनी भविष्य की रणनीति पर चर्चा की है।
आगे नहीं है कोई विकल्प
शिवपाल सपा में लगभग एक साल से अलग-थलग पड़े हुए हैं। सितंबर 2016 में अखिलेश यादव की जगह उन्हें सपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। इसके बाद अखिलेश ने उन्हें कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया था।
अखिलेश और शिवपाल समर्थक आमने-सामने आ गए थे। एक जनवरी 2017 को विशेष राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित कर शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष व मुलायम सिंह यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। तभी से शिवपाल मुलायम को पार्टी की कमान सौंपने की मांग कर रहे हैं।
सपा में उन्हें न तो बैठकों में बुलाया जाता है और न ही किसी निर्णय में सलाह मशविरा लिया जाता है। उनका अखिलेश यादव के साथ संवाद भी लगभग बंद है। ऐसे में शिवपाल के सामने राजनीतिक रास्ता चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।