अलगाव का हथियार या स्वस्थ रिश्ते का आधार, रिलेशनशिप में कैसे सेट करें हेल्दी बाउंड्री

रिश्तों में बाउंड्रीज जरूरी हैं, लेकिन इन्हें बातचीत और संवेदनशीलता के साथ बनाना चाहिए। एकतरफा सीमाएं दूरियां बढ़ा सकती हैं और अलगाव का कारण बन सकती हैं। इसलिए बाउंड्री सेट करते समय सामने वाले व्यक्ति की भावनाओं को समझना भी जरूरी है। इससे रिश्ते में हेल्दी बाउंड्री सेट होती है।

जीवन की भागदौड़ और रिश्तों की जटिलताओं के बीच ‘सीमाएं’ यानी बाउंड्रीज शब्द अक्सर सुनने को मिलता है। इसे स्वस्थ रिश्तों का आधार बताया जाता है। लेकिन क्या यही सीमाएं रिश्तों में दूरियां भी बढ़ा सकती हैं?

क्या इन्हें अलगाव के हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है? सच तो यह है कि सीमाएं तभी काम करती हैं, जब उनके साथ कम्युनिकेशन और सेंसिटिविटी को जगह दिया जाए। आइए जानें किसी भी रिलेशनशिप में कैसे हेल्दी बाउंड्री बना सकते हैं।

सीमाएं हैं जरूरी, पर एकतरफा नहीं

इस कहानी को ध्यान से पढ़ें- एक महिला लंबे समय से जिस शख्स के संपर्क में थी, उससे मिलने एयरपोर्ट पहुंची। उतरते ही उसने मैसेज किया कि उसे रिश्ते को समझने के लिए कुछ वक्त चाहिए और अगली मुलाकात तक कोई बात नहीं होगी। यह उसकी बाउंड्री थी, जिसे महिला ने स्वीकार किया। लेकिन कुछ दिन बाद ही उसने ईमेल के जरिए रिश्ता खत्म कर दिया। इस घटना ने एक बड़ा सवाल खड़ा किया- क्या बाउंड्रीज खुद को बचाने का बहाना भर तो नहीं रह गई हैं?

इसे यूं समझिए कि बाउंड्रीज कभी भी एकतरफा नहीं होनी चाहिए। हमारी जरूरतों पर दूसरों के रिएक्शन उनके अपने अनुभवों और इमोशनल इंटेलिजेंस पर निर्भर करती है। सोशल मीडिया पर बाउंड्रीज के बारे में होने वाली सामान्य बातचीत अक्सर रिश्तों की इस कॉम्प्लिकेशन को नहीं समझ पाती। सही बैलेंस तो बातचीत और सेंसिटिविटी से ही आती है।

सीमाओं का असर समझना जरूरी है

लोग अक्सर दूसरों के सामने यह कहकर सीमा तय कर देते हैं- “यह मेरी बाउंड्री है, तुम्हें पसंद हो या नहीं।” यह रवैया अजनबियों के साथ तो चल सकता है, लेकिन करीबी रिश्तों में यह नुकसानदेह हो सकता है। बाउंड्रीज होना जरूरी हैं, लेकिन उनके दूसरे व्यक्ति पर पड़ने वाले इमोशनल असर को समझना भी उतना ही अहम है। बिना बातचीत के, ये सीमाएं दीवार बन जाती हैं, जो रिश्ते को तोड़ सकती हैं।

समझ और जुड़ाव का होना है जरूरी

जैसे ऊपर बताई गई कहानी में पुरुष ने अलग तरह से बात की होती, तो शायद नतीजा कुछ और होता। जैसे कि, “मुझे अभी थोड़ा स्पेस चाहिए, लेकिन मुझे पता है कि यह तुम्हारे लिए अचानक हो सकता है। क्या कुछ ऐसा है जो तुम्हें सपोर्ट दे सके?”

इस तरह की बातचीत रिश्ते में सपोर्ट और केयर की भावना पैदा करती है। जब हम अपने डर और जरूरतों को शेयर करते हैं, तो बाउंड्रीज सिर्फ खुद को बचाने का तरीका नहीं रह जातीं, बल्कि आपसी समझ और जुड़ाव का जरिया बन जाती हैं।

फ्लेक्सीबल बाउंड्री होनी चाहिए

बाउंड्री सेट करना एक धीमी और सोच-समझकर की जाने वाली प्रक्रिया है। समय के साथ जरूरतें बदलती हैं, इसलिए ये फ्लेक्सीबल और परिस्थिति के अनुसार होनी चाहिए। अगर आपकी सीमाएं पहले से अलग हो गई हैं, तो दूसरे व्यक्ति के साथ इस पर बात करना बेहद जरूरी है।

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