अरावली टूटी तो बिगड़ेगा दिल्ली का मौसम; सर्दियों में चरम पर होंगे ठंड और प्रदूषण

अरावली पर्वत शृंखला का क्षरण दिल्ली-एनसीआर की जलवायु के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, खनन बढ़ा तो लू, ठंड और प्रदूषण तीनों का प्रकोप तेज होगा।
राजधानी और उसके आसपास बसे करोड़ों लोगों के जीवन में अरावली पर्वत शृंखला की भूमिका केवल भौगोलिक नहीं, बल्कि जीवनरक्षक है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि अरावली में माइनिंग का विस्तार हुआ तो इसका सीधा और गहरा असर दिल्ली की जलवायु पर पड़ेगा। गर्मियों में लू के थपेड़े और अधिक तीव्र और लंबे समय तक पड़ेंगे। सर्दियों में तापमान असामान्य रूप से गिर सकता है।
वैज्ञानिक अध्ययनों और पर्यावरणीय रिपोर्टों के अनुसार, अरावली का क्षरण न केवल दिल्ली की भौगोलिक संरचना को प्रभावित करेगा, बल्कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती को और अधिक भयावह बना देगा। जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने बताया कि अरावली पर्वत शृंखला उत्तर भारत में फैली हुई है और दिल्ली-एनसीआर के लिए एक प्राकृतिक बफर यानी दीवार की तरह काम करती है। यह पहाड़ियां मानसून की बारिश को प्रभावित करती हैं, नमी को बनाए रखती हैं और गर्म हवाओं को रोकती हैं।
उन्होंने बताया कि अरावली की तबाही से दिल्ली में हीटवेव्स बढ़ जाएंगी। ये पहाड़ियां दिल्ली को थार रेगिस्तान की गर्म हवाओं से बचाती हैं। अगर खनन से पेड़-पौधे और मिट्टी नष्ट हो गई, तो गर्म हवाएं सीधे दिल्ली पहुंचेंगी। इससे तापमान ज्यादा बढ़ेगा, रातें भी गर्म रहेंगी और लोगों को डिहाइड्रेशन, नींद की कमी जैसी समस्याएं होंगी।
रेगिस्तान की हवाएं बढ़ाएगी ठंड
मोंगाबे इंडिया की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, अरावली का स्थान मौसम को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण है। यह मानसून बादलों को हिमालय की तरफ धकेलती है, जिससे उत्तर भारत में जरूरी बारिश होती है। लेकिन खनन से ये पहाड़ियां कमजोर हो रही हैं, जिससे रेगिस्तान की रेत दिल्ली तक पहुंच सकती है और वायु प्रदूषण बढ़ सकता है। इससे दिल्ली में पहले से ही खराब हवा की समस्या और बदतर हो जाएगी। कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि अगर अरावली कमजोर हुई, तो रेगिस्तान की हवाएं ठंड को और बढ़ा सकती हैं, क्योंकि बफर कम हो जाएगा।





