अरबपति बिजनेसमैन की पत्नी प्रीति ने बिगाड़ा कपिल का खेल, जानिए क्यों

preeti_mahapatra_election_201662_95826_02_06_2016नई दिल्ली। 11 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव पर सबकी निगाहें देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश पर टिकी हुई हैंं। निर्दलीय उम्मीदवार प्रीति महापात्रा के नामांकन के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के कद्दावर नेता कपिल सिब्बल को रोकने के लिए भाजपा पुरजोर कोशिश कर रही है। हालांकि भाजपा ने साफ किया कि कांग्रेस के राजनीति के चश्मे का पावर धुंधला हो चुका है। मुद्दाविहीन कांग्रेस के पास कुतर्क के अलावा कुछ भी नहीं है।

ये हैं प्रीति महापात्रा

भाजपा तथा अन्य दलों में इस बात को लेकर बड़ी आतुरता है कि आखिर प्रीति महापात्रा हैं कौन जिन्होंने रातों-रात यूपी की राजनीति में हड़कंप मचा दिया। हम आपको बताते चलें कि प्रीति महापात्रा गुजरात से हैं। उनके पति अरबपति बिजनेसमैन हैं। लिहाजा प्रीति का भी बैकग्राउंड रईसों वाला है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा ने उन्हें यहां मैदान में उतारा है जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर आज नामांकन किया।

प्रीति महापात्रा के फेसबुक और ट्विटर अकाउंट के मुताबिक उनकी कुछ फोटोज में वह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ भी हैं। फेसबुक पोस्ट्स के मुताबिक वे अपने आपको उनका करीबी बताती हैं। हालांकि प्रीति और उनके पति हरि महापात्रा की छवि थोड़ी दागदार और संदिग्ध भी है। कहा जा रहा है कि प्रीति के ऊपर एक डॉक्टर ने पांच करोड़ से ज्यादा के गबन का केस भी दर्ज कराया है। फिलहाल प्रीति के धनबल और ठाठ-बाट के आगे कई भाजपा विधायक की आंखे चौंधियां गई है। एक बात तो तय है कि अब चुनाव दिलचस्प हो गया है।

राजनीति का रास्ता इतना सीधा भी तो नहीं होता है। बहस के केंद्र में गुजरात की रहने वाली अरबपति व्यवसायी की पत्नी प्रीति महापात्रा हैं, जिन्होंने उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए 12वेंं उम्मीदवार के तौर पर निर्दलीय पर्चा भरा है। उत्तर प्रदेश से सपा की तरफ से 7 उम्मीदवार, बसपा की तरफ से 2 उम्मीदवार, भाजपा और कांग्रेस की तरफ से एक एक उम्मीदवार हैं। प्रीति महापात्रा के नामांकन के बाद कांग्रेसी खेमे में खलबली है।

कांग्रेस ने कहा कि भाजपा प्रमुख अमित शाह के साथ प्रीति महापात्रा की फोटो बहुत कुछ इशारा करती है। भाजपा पूरी तरह से प्रीति महापात्रा को समर्थन दे रही हैं। कांग्रेस ने सवाल उठाया कि गुजरात की रहने वाली प्रीति को उत्तर प्रदेश से क्या लेना-देना है? लेकिन राजनीतिक हलकों में ये बात सामने आई कि कपिल सिब्बल भी तो बाहरी हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा किसी भी हालत में कपिल सिब्बल को राज्यसभा में नहीं देखना चाहती है।

राज्यसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश की गणित

प्रीति महापात्रा के नामांकन भरने के साथ ही कांग्रेस का गणित गड़बड़ा गया है। कांग्रेस उम्मीदवार कपिल सिब्बल का राज्यसभा में एंट्री मिलने में दिक्कतें आ रही हैं। आप को समझाने की कोशिश करते हैं कि आखिर राज्यसभा में चुनावी गणित का हिसाब किताब क्या है?

सपा का समीकरण

राज्यसभा में एक सीट हासिल करने के लिए 34 विधायकों का समर्थन चाहिए। समाजवादी पार्टी ने सात उम्मीदवारों को उतारा है। यानि की एसपी को कुल 238 विधायकों का समर्थन चाहिए। समाजवादी पार्टी के पास 229 विधायक हैं। उनके पास 9 विधायकों की कमी है। लेकिन वो निर्दलीय राजा भैय्या,पीस पार्टी और दूसरे विधायकों के समर्थन से सातों उम्मीदवारों को राज्यसभा में भेज सकती है।

भाजपा का गणित

भाजपा के पास 41 विधायक हैं। पार्टी ने केवल शिव प्रताप शुक्ला को उम्मीदवार बनाया है। लिहाजा पार्टी की संख्या बल के आधार उनका राज्यसभा के लिए निर्वाचन तय माना जा रहा है।

बसपा के पास संख्याबल

बसपा के पास 80 विधायक हैं लिहाजा वो अपने दो उम्मीदवारों को आसानी से राज्यसभा में भेज सकती है। इस लिहाज से बसपा के पास शेष 22 विधायक होते हैं। विधायक बाला प्रसाद अवस्थी के समर्थन देने के बाद इस बात की संभावना है कि प्रीति महापात्रा के समर्थन में दूसरे विधायक भी आ सकते हैं।

मुश्किल में कांग्रेस

कांग्रेस के पास कपिल सिब्बल को भेजने के लिए महज 29 विधायक हैं और उन्हें राज्यसभा में एंट्री के लिए पांच विधायकों की जरुरत है। लिहाजा प्रीति महापात्रा की उम्मीदवारी के बाद कपिल सिब्बल की राह आसान नहीं है। दरअसल प्रीति महापात्रा की दावेदारी के बाद उनका खेल यूं भी बिगड़ता नजर आ रहा है। प्रीति महापात्रा के प्रस्तावकों में से 10 भाजपा के ही हैं। वहीं बसपा के बागी बाला प्रसाद अवस्थी भी उनके एक प्रस्तावक हैं। बताया जा रहा है कि प्रीति को भाजपा, बसपा और दूसरे निर्दलीय विधायकों का समर्थन आसानी से मिल सकता है।

प्रीति की दावेदारी और बयानों की झड़ी

प्रीति की दावेदारी पर कांग्रेस का कहना है कि भाजपा का असली चेहरा सबके सामने आ चुका है। भाजपा खरीद-फरोख्त के जरिए लोकतंत्र की मर्यादा को तार-तार कर रही है। समाजवादी पार्टी ने कहा कि चाल-चरित्र की दुहाई देने वाली भाजपा का चेहरा उत्तराखंड में बेनकाब हो चुका है। वहीं बसपा ने कहा कि प्रीति महापात्रा की दावेदारी से उनकी पार्टी पर असर नहीं पड़ेगा।

Back to top button