अमेरिकी प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए मोदी, पुतिन और शी ने दिखाई एकजुटता

एससीओ शिखर सम्मेलन में भारत रूस और चीन की एकजुटता की तस्वीरें अमेरिकी मीडिया में अब भी ताजा हैं। तियानजिन से दुनिया के लिए निकले संदेश की सम्मेलन के दो दिन बाद भी समीक्षा की जा रही है। कहा जा रहा है कि ट्रंप की आक्रामक व्यापार नीतियों के जवाब में अमेरिकी प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए जानबूझकर एकजुटता प्रदर्शित की गई।

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भारत, रूस और चीन की एकजुटता की तस्वीरें अमेरिकी मीडिया में अब भी ताजा हैं। तियानजिन से दुनिया के लिए निकले संदेश की सम्मेलन के दो दिन बाद भी समीक्षा की जा रही है और पावर शो के लिए ट्रंप को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। कहा जा रहा है कि ट्रंप की आक्रामक व्यापार नीतियों के जवाब में अमेरिकी प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए जानबूझकर एकजुटता प्रदर्शित की गई।

द न्यूयार्क टाइम्स ने त्रिगुट की मुस्कुराती अभिव्यक्ति शीर्षक से लिखा कि ये अमेरिकी वैश्विक नेतृत्व का विकल्प प्रस्तुत कर रहा है। अखबार ने इस बात पर गौर किया कि पुतिन की लिमोजिन में प्रधानमंत्री मोदी का साथ-साथ जाना गर्मजोशी बयान करता है।

सीएनएन ने शिखर सम्मेलन में दिखावे पर अधिक जोर दिया, जिसमें शी ने प्रधानमंत्री मोदी और पुतिन के लिए लाल कालीन बिछाया, जबकि एससीओ को अमेरिका के नेतृत्व वाली विश्व व्यवस्था के विकल्प के रूप में चित्रित किया।

फॉक्स न्यूज ने मोदी की बैठकों को वाशिंगटन के लिए एक ”स्पष्ट फटकार” बताया, जो ट्रंप टैरिफ का जवाब माना जा रहा है। सीएनबीसी पर यूरेशिया समूह के जेरेमी चान ने बताया कि सम्मेलन में ट्रंप के टैरिफ को नया जीवन मिला, जबकि चीन को ग्लोबल साउथ को बढ़ावा देने और भारत को अमेरिका से दूर करने का मौका मिला।

वाशिंगटन पोस्ट ने भी ‘भारत के साथ ट्रंप की सख्ती उलटी पड़ सकती है’ शीर्षक से एक संपादकीय में ट्रंप की आलोचना की। वाल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा कि ”एकता का प्रदर्शन” ट्रंप पर ही लक्षित था और यह वैश्विक मामलों में उनके गैरपरंपरागत नजरिये की चुनौतियों के बारे में बताता है।

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