पहले अमेरिका को थी आशंका, पाक पर अटैक करा सकती हैं इंदिरा

यह बात सही हो सकती है।क्योंकि तब यह सामर्थ इंदिराजी में थी कि वे अपनी मर्जी से जब चाहें पाकिस्तान को कुचल डालें। या फिर आज यह सामर्थ मोदीजी में है कि जिस भी दिन वे फैसला करें उसी दिन पाकिस्तान को उसकी औकात में ला दें।
पहले अमेरिका को थी आशंका, पाक पर अटैक करा सकती हैं इंदिरा
अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की ओर से हाल ही में सार्वजनिक किए गए दस्तावेजों से पता चला है कि1971 में यूएस ने सोचा था कि इंदिरा गांधी पीओके पर कब्जे के लिए सेना को आदेश दे सकती हैं। दस्तावेजों के मुताबिक बांग्लादेश के निर्माण के बाद अमेरिका ने सोचा था कि तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पीओके पर कब्जे के लिए पश्चिम पाकिस्तान पर हमले का आदेश दे सकती हैं। भारत ने 1971 में पाकिस्तान के पूर्वी हिस्से को पड़ोसी देश से अलग कर बांग्लादेश के गठन में प्रमुख भूमिका निभाई थी।

सीआईए की रिपोर्ट्स और भारत-पाक के बीच तनाव पर वॉशिंगटन में हुई उच्च-स्तरीय बैठकों के ब्योरे के मुताबिक, यह स्पष्ट था कि भारत की ओर से पश्चिम पाकिस्तान की सैन्य ताकत को तबाह करने की स्थिति से निपटने के लिए अमेरिका रणनीति तैयार करने में जुटा था। पूर्वी पाकिस्तान में भारत की सैन्य कार्रवाई के मद्देनजर भारत-पाक के रिश्ते बिगड़ने के कारण अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हेनरी ए. किसिंजर ने विभिन्न संभावनाओं पर चर्चा की थी।

बहरहाल, वॉशिंगटन में कुछ शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों को लगा था कि भारत की ओर से पश्चिमी पाकिस्तान पर हमला करने की संभावना बहुत कम है। दस्तावेजों के मुताबिक, वॉशिंगटन के स्पेशल ऐक्शन ग्रुप की एक बैठक में सीआईए के तत्कालीन निदेशक रिचर्ड होम्स ने कहा, ‘यह बताया गया है कि मौजूदा कार्रवाई को खत्म करने से पहले इंदिरा गांधी पाकिस्तान के हथियारों और वायुसेना की क्षमताओं को खत्म करने की कोशिश करने पर विचार कर रही हैं।’ पिछले हफ्ते सीआईए ने करीब एक करोड़ 20 लाख दस्तावेजों को सार्वजनिक किया था। भारत संबंधी खुलासों के ये दस्तावेज उन्हीं में शामिल हैं।
डॉक्युमेंट्स के मुताबिक, निक्सन ने ‘पूर्वी पाकिस्तान में युद्ध की स्थिति में आर्थिक सहायता बंद करने की चेतावनी दी थी, लेकिन अमेरिकी प्रशासन को पता ही नहीं था कि इसे लागू कैसे करना है।’ 17 अगस्त 1971 को शीर्ष रक्षा एवं सीआईए अधिकारियों की एक बैठक में किसिंजर ने कहा था, ‘राष्ट्रपति और विदेश मंत्री दोनों ने भारतीयों को चेताया है कि युद्ध की स्थिति में हम आर्थिक सहायता बंद कर देंगे, लेकिन क्या हमें इसका मतलब पता है ? किसी ने इसके नतीजों पर गौर नहीं किया है या सहायता बंदी लागू करने के मतलब का पता नहीं लगाया है।’
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तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार किसिंजर इस बात से भी नाखुश थे कि सीआईए के पास इस बाबत पर्याप्त सूचना नहीं थी कि चीनी, भारतीय और पाकिस्तानी क्या करने वाले हैं। बैठक के ब्योरे के मुताबिक, किसिंजर क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए चीन और सोवियत संघ की मदद लेने के लिए तैयार थे।
 
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