अमरनाथ यात्रा 2025: शंकराचार्य मंदिर में हुई पवित्र छड़ी मुबारक की पूजा

श्रावण अमावस्या पर शंकराचार्य मंदिर में शिव-शक्ति स्वरूप पवित्र छड़ी मुबारक की विधिवत पूजा हुई, जिसमें महंत दीपेंद्र गिरी के नेतृत्व में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। अब यह यात्रा हरि पर्वत होते हुए चार अगस्त को श्री अमरनाथ गुफा के लिए प्रस्थान करेगी।

श्रावण अमावस्या (हरियाली अमावस्या) के पावन अवसर पर गुरुवार को सुबह गोपाद्री पर्वत स्थित शंकराचार्य मंदिर में श्री अमरनाथ जी जाने से पूर्व पवित्र छड़ी की भव्य पूजा-अर्चना हुई। दशनामी अखाड़ा के महंत दीपेंद्र गिरी की अगुवाई में छड़ी लेकर पहुंचे जत्थे का श्रद्धालुओं ने ”बम बम भोले” के जयघोष के साथ स्वागत किया। महंत दीपेंद्र गिरी के साथ ही साधु-संतों एवं अन्य लोगों ने मंदिर में स्थित शिवलिंग का रुद्राभिषेक, छड़ी पूजन और ध्वजा पूजन किया।

इस दौरान सेना के जवानों ने शंकराचार्य मंदिर पर पहुंचे सैकड़ों भक्तों के बीच प्रसाद स्वरूप केला और चना वितरित किया। करीब एक घंटे तक चली पूजा-अर्चना के बाद छड़ी मुबारक यात्रा अपने अगले पड़ाव हरि पर्वत स्थित शारिका भवानी मंदिर के लिए प्रस्थान कर गई। शुक्रवार को यहां भी पवित्र छड़ी की भव्य पूजा-अर्चना की जाएगी। महंत दीपेंद्र गिरी ने श्रद्धालुओं को श्रावण मास की बधाई देते हुए ज्यादा से ज्यादा संख्या में यात्रा में शामिल होने की अपील की।

सख्त सुरक्षा के बीच सुबह करीब सवा आठ बजे महंत दीपेंद्र गिरी के नेतृत्व में शंकराचार्य मंदिर पहुंची छड़ी मुबारक यात्रा का पहले से मौजूद सैकड़ों श्रद्धालुओं ने ‘बम बम भोले, ‘हर हर महादेव’ के जयकारे के साथ स्वागत किया। एहतियातन पुलिस एवं सेना के जवानों ने कुछ देर के लिए गर्भगृह को खाली करा दिया। शिवलिंग पर फल-फूल चढ़ाने के बाद महंत ने वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच भोलेनाथ का रुद्राभिषेक किया।

शिव-शक्ति स्वरूप छड़ी के साथ ही ध्वजा का भी पूजन किया गया। धार्मिक अनुष्ठान के बाद छड़ी मुबारक संग महंत दीपेंद्र गिरी और श्री चंद्र चिनार मंदिर श्रीनगर के महंत अमृत दास, श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर श्रीनगर के महंत श्री कामेश्वर दास दशनामी अखाड़ा लौट आए। पवित्र छड़ी के साथ आए साधुओं ने लगभग 90 मिनट तक चली प्रार्थना में भाग लिया।

चार अगस्त को पवित्र अमरनाथ गुफा के लिए प्रस्थान करेगा जत्थावर्षों से चली आ रही धार्मिक परंपरा के अनुरूप श्रावण मास की अमावस्या के दिन ऐतिहासिक आदि शंकराचार्य मंदिर पर शिव-शक्ति स्वरूप छड़ी मुबारक की पूजा-अर्चना की गई। भोलेनाथ का रुद्राभिषेक किया गया। जम्मू-कश्मीर समेत पूरे देश में सुख, समृद्धि एवं शांति की कामना की गई। शुक्रवार को छड़ी मुबारक यात्रा हरि पर्वत पर पहुंचेगी जहां शारिका भवानी मंदिर में इसकी पूजा होगी। चार अगस्त को जत्था पवित्र श्री अमरनाथ जी गुफा के लिए प्रस्थान करेगा। महंत दीपेंद्र गिरी, दशनामी अखाड़ा

छड़ी मुबारक पूजा का धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक शिव-शक्ति स्वरूप छड़ी मुबारक का काफी विशेष महत्व है। मान्यता है कि अमरनाथ यात्रा पारंपरिक रूप से छड़ी मुबारक की प्रथम पूजा के साथ शुरू होती है।

छड़ी मुबारक को कश्मीर के विभिन्न मंदिरों में ले जाया जाता है जहां इसकी पूजा की जाती है। परंपरा के अनुसार, छड़ी मुबारक की सबसे बड़ी पूजा चार अगस्त को होगी। उस दिन छड़ी मुबारक को दशनामी अखाड़े से कश्मीर के विभिन्न मंदिरों से होते हुए पहलगाम और फिर श्री अमरनाथ गुफा तक ले जाया जाएगा, जहां अंतिम पूजा के साथ इस वर्ष की अमरनाथ यात्रा संपन्न होगी।

श्री अमरनाथ यात्रा की अंतिम पूजा पूरी होने के बाद, पहलगाम में लिद्दर नदी के तट पर अंतिम पूजा की जाती है, जिसके साथ यात्रा पूरी होती है। इसके बाद छड़ी मुबारक को वापस दशनामी अखाड़े में लाया जाता है, जहां छड़ी मुबारक को अगले वर्ष तक के लिए पुनः स्थापित कर दिया जाता है।

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