अमरनाथ यात्रा 2025: प्रशासन और सेना अमरनाथ यात्रियों की हर संभव कर रही मदद

अमरनाथ यात्रा के श्रद्धालुओं ने प्रशासन और भारतीय सेना द्वारा की जा रही सेवा और सुरक्षा व्यवस्था की सराहना करते हुए यात्रा को सहज और सुरक्षित बताया। यात्रियों ने कहा कि इस बार सिर्फ सुरक्षा ही नहीं, बल्कि हर मोर्चे पर सहयोग और मार्गदर्शन मिला।

अमरनाथ यात्रा इस बार सिर्फ श्रद्धा का प्रतीक ही नहीं, बल्कि प्रशासनिक सुरक्षा और सेवा के मामले में यात्रियों के दिलों में विश्वास जगाने वाली साबित हुई है। यह बात जम्मू रेलवे स्टेशन पर यात्रा पूरी कर वापस लौट रहे श्रद्धालुओं ने प्रशासन का आभार जताते हुए कही।

यात्रियों का कहना है कि इस बार यात्रा मार्ग के हर चप्पे पर सेना की मौजूदगी है, और वह सिर्फ हथियारों तक सीमित नहीं बल्कि हर सैनिक यात्रियों के लिए चलता-फिरता सहायता केंद्र बना हुआ है। उन्होंने बताया कि पहले जहां सिर्फ तलाशी और निगरानी पर ध्यान दिया जाता था, वहीं इस साल प्रशासन सुरक्षा के साथ-साथ सेवा, संवाद और सहायता का नया चेहरा लेकर उभरा है। श्रद्धालुओं के लिए न सिर्फ पुख्ता सुरक्षा बल्कि मेडिकल सुविधा, ऑक्सीजन की उपलब्धता, पूछताछ और मार्गदर्शन जैसी हर सुविधा प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है।

बोले श्रद्धालु जैसा सोचे थे वैसा कुछ भी नहीं
घर से निकलने से पहले हाल की घटनाओं को लेकर मन में डर था, लेकिन भोले का नाम लेकर यात्रा पर निकल पड़े। प्रशासनिक सुरक्षा के बीच बाबा बर्फानी के दर्शन करने के बाद पता चला कि जैसा सोच रहे थे, वैसा यहां कुछ भी नहीं था। विनोद सिंह, गोंडा (उत्तर प्रदेश)

प्रशासन की मदद से सुगमता से यात्रा पूर्ण
पिछले तीन साल से लगातार बाबा बर्फानी के दर्शन करने आ रहा हूं। पहले की अपेक्षा इस साल प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद है। उनकी मदद से दर्शन आसानी से हो सके, इसके लिए हम प्रशासन के आभारी हैं। दुराई स्वामी कृष्णा गिरि, तमिलनाडु

इस साल हर तरह से मिल रहा था सहयोग
आठ साल से बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए आता हूं। भारतीय सेना का विशेष धन्यवाद करना चाहूंगा, जिनकी बदौलत यात्रा सुगमता से पूरी हुई। मौसम ने थोड़ा करवट बदली, लेकिन सेना और प्रशासन हर संभव मदद कर रहे थे। मेश यादव, बहराइच (उत्तर प्रदेश)

स्थानीय लोग भी कर रहे थे यात्रियों की मदद
दूसरी बार दर्शन करने आया हूं। पिछली बार बालटाल मार्ग से गया था, लेकिन हाल की घटनाओं को देखते हुए इस बार पहलगाम मार्ग चुना। प्रशासन के साथ-साथ स्थानीय लोग भी हर संभव सहायता करते नजर आए।अंकन दत्त, पूर्व मेदिनीपुर (पश्चिम बंगाल)

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