अभी-अभी: पीएम मोदी को लगा सबसे बड़ा झटका, अध्यक्ष समेत पांच सबसे बड़े नेताओं ने दिया एक साथ इस्तीफा

नई दिल्ली। एक ओर भारतीय जनता पार्टी हर तरफ अपनी जीत का परचम फहरा रही है तो वहीँ दूसरी तरफ पार्टी में मौजुद कुछ लोगों ने एक साथ मिलकर पार्टी को बड़ा झटका दिया है। दरअसल, दमन और दीव में बीजेपी को दीव नगर निगम चुनावों में मिली हार के बाद पार्टी का बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। दीव जिला पंचायत अध्यक्ष समेत पांच लोगों ने इस हफ्ते की शुरुआत में बीजेपी से किनारा कर लिया। इस सामूहिक इस्तीफे के बाद बीजेपी की जिला पंचायत की सत्ता को करारा झटका लगा है।

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भारतीय जनता पार्टी

बीजेपी राज्य चीफ गोपाल टंडेल का कहना है कि “फिलहाल किसी भी बीजेपी नेता का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है लेकिन जल्द ही इस मामले को सुलझा लिया जाएगा”। दीव जिला पंचायत अध्यक्ष शशिकांत सोलंकी समेत उपाध्यक्ष अश्विनी बामनिया और जिला पंचायत सदस्य पूजा पंजानी, धनीबेन सोलंकी और जेंतीलाल सोमालाल ने सोमवार को दीव प्रदेश अध्यक्ष बिपिन शाह को अपना इस्तीफा दिया।

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भारतीय जनता पार्टी को तगड़ा झटका

आपको बता दें कि शाह ने इन लोगों का इस्तीफा मंजूर करते हुए उसे टंडेल के पास भेज दिया। इसके एक घंटे बाद शाह ने भी पंचायत चुनाव के हार की जिम्मेदारी अपने सिर लेते हुए दीव यूनिट चीफ पद से इस्तीफा दे दिया।

बता दें कि इस महीने के शुरुआत में दीव में नगर निगम के चुनाव हुए थे जिसमें कांग्रेस ने 13 सीटों में से 10 सीटों पर अपना कब्जा जमाया। इन चुनावों में बीजेपी को केवल तीन सीटों से ही संतुष्ट होना पड़ा था। जिस दिन इन चुनावों के नतीजे आए थे उसी दिन हार की जिम्मेदारी लेते हुए और नैतिक कृतव्य की बात करते हुए प्रदेश उपाध्यक्ष किरित वजा ने इस्तीफा दे दिया था।

शशिकांत सोलंकी ने कहा “पार्टी मुझे जिला पंचायत के अध्यक्ष पद से हटाना चाहती है, जबकि मैंने नगर निगम चुनावों में पार्टी के सभी उम्मीदवारों का खुलकर समर्थन किया था। हम अब बीजेपी के साथ जुड़े नहीं रह सकते इसलिए हम किसी अन्य राजनीतिक पार्टी में शामिल होने के लिए जा रहे है”।

इस पर बात करते हुए प्रदेश अध्यक्ष टंडेल ने कहा कि “अभी न तो किसी भी जिला पंचायत से जुड़े व्यक्ति का इस्तीफा मंजूर किया गया है और न ही शाह और वजा का इस्तीफा मंजूर हुआ है। प्रदेश की होने वाली अगली बैठक में इस मामले पर चर्चा की जाएगी और तभी इन लोगों के इस्तीफे को लेकर कोई फैसला लिया जाएगा। बता दें कि 2015 में हुए पंचायत चुनावों में बीजेपी ने सात सीटों पर अपना कब्जा जमाया था, जबकि कांग्रेस के हाथ एक भी सीट नहीं लगी थी।

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