अटारी-वाघा के गेट खुले: अमन की उम्मीदें लिए वतन लाैटे पाक नागरिक

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के सभी नागरिकों को अपने देश लाैटने के लिए कहा था। गुरुवार को पाकिस्तान ने वाघा बाॅर्डर के गेट नहीं खोले थे जिसके चलते कई लाेग वापस नहीं जा पाए थे।

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच हुए तनाव के बाद वीरवार को बार्डर के गेट पूरी तरह से बंद कर दिए गए थे। जिस कारण सैकड़ों लोग दोनों तरफ फंस गए। इन्हीं हालातों को देखते हुए शुक्रवार को दोनों से तरफ गेट खोल दिए गए और दोनों तरफ के नागरिकों को बार्डर क्रास करवाया गया। लोगों के मन में अब डर का माहौल बन गया था कि अब पता नहीं आगे उनके साथ क्या होगा। लोग लगातार सरकारों से गुहार लगा रहे थे कि उन्हें अपने घरों को अपनों के पास लौटने दिया जाए।

पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने जारी किया था बयान
वीरवार को दोनों तरफ से गेट बंद रहे और लोग फंस गए। इसी दौरान पाकिस्तान विदेश मंत्रालय की ओर से एक बयान जारी हुआ था कि पाकिस्तानी नागरिकों को जारी वीजा अचानक रद्द किए जाने के कारण कई मरीज इलाज पूरा किए बिना गंभीर हालत में वाघा बॉर्डर के रास्ते वापस लौटे हैं। इस निर्णय के कारण कई परिवार जबरन बिछड़ गए, जिनमें बच्चे भी अपने माता-पिता से अलग हो गए।

हालांकि वाघा सीमा से लौटने की अंतिम तारीख 30 अप्रैल थी, लेकिन मीडिया रिपोर्टों के अनुसार कुछ पाकिस्तानी नागरिक अब भी अटारी बॉर्डर पर फंसे हुए हैं। अगर भारतीय प्रशासन अनुमति देता है, तो हम अपने नागरिकों को वापस लेने के लिए तैयार हैं। वाघा सीमा भविष्य में भी लौटने वाले पाकिस्तानी नागरिकों के लिए खुली रहेगी। जिसके बाद भारत सरकार की ओर से अपने नागरिकों को वापिस लाने और पाकिस्तान नागरिकों को बार्डर क्रास करवाने के तहत गेट खोलने के आदेश जारी कर दिए थे।

पाकिस्तानी जाने के लिए अटारी बार्डर पर पहुंची सकीना ने कहा कि वह करीब 20 दिन पहले भारत में अपने एक रिश्तेदार से मिलने के लिए आई थी। 30 अप्रैल की शाम को वह वापिस जाने के लिए अटारी पहुंच गई थी। लेकिन देरी होने के कारण वह वापिस नहीं जा सकी थी। एक मई को गेट न खुले तो वह काफी घबरा गई थी। मगर आज उसे वापिस भेजा जा रहा है। वह बेहद खुश है और साथ ही अल्ला-ताला से दुआ करती है कि दोनों देशों के बीच दोस्ताना रिश्ता बने और यह बार्डर हमेशा के लिए खुल जाए।

शौहर बार्डर पर खड़े राह देख रहे थे
लाहौर की रहने वाली नूर ने बताया कि एक मई को वह अटारी बार्डर पर पाकिस्तान जाने के लिए पहुंची थी। बार्डर के उस पर वाघा सीमा पर उसका शौहर और बच्चे उसका इंतजार कर रहे थे। लेकिन जब पूरा दिन उसे वापिस न भेजा गया तो पति और बच्चे बेहद डर गए थे।

लेकिन आज वह वापिस जा रही है तो बेहद खुश है कि वह अपने बच्चों और शौहर से मिल पाएगी। इसी तरह परिवार के 16 सदस्यों के साथ हरिद्वार स्नान करने के लिए राजेश ने बताया कि सरकार ने उन्हें वापिस भेजने के लिए गेट खोल दिए है। इसके लिए वह दोनों देशों की सरकारों का शुक्रिया अदा करता हैं और कामना करता हैं कि भविष्य में हालात सुधरेंगे।

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