आखिर अखिलेश की हुई “साईकिल” सपा में मुलायम युग का अंत

लखनऊ. समाजवादी संग्राम का एक बड़ा अंत सोमवार की शाम को हो गया जब चुनाव आयोग ने अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी को “साईकिल’ का चुनाव चिह्न दे दिया. इसके साथ ही अखिलेश यादव धड़े को ही असली समाजवादी पार्टी मान लिया गया है.  इसके साथ ही अखिलेश यादव के समाजवादी सुलतान होने में कोई शक नहीं रह गया है. अखिलेश की हुई "साईकिल"

अखिलेश की हुई “साईकिल”

चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद अब अखिलेश यादव को बड़ी मजबूती मिली है. इसके साथ ही 25 साल पहले मुलायम सिंह ने जिस समाजवादी पार्टी को खड़ा किया था आज उसी से बेदखल हो गए.        

बीते कई दिनों से इस बात को ले कर पार्टी के नेता और कार्यकर्ता बुरी तरह परेशांन थे. चुनावो के ऐन  मौके पर परी चुनाव चिह्न को ले कर चल रही अटकले कार्यकर्ताओं को भी निराश कर रही थी. सियासत के जानकारों में भी इस बात को ले कर मतैक्य नहीं था कि साईकिल सीज हो जाएगी या फिर किसी पक्ष को मिलेगी. 

मुलायम सिंह यादव को हालाकि इस बात का इल्हाम पहले ही हो गया था जब उन्होंने अपने समर्थको को यह कहा था कि – ” मेरे पास अब सिर्फ कार्यकर्त्ता ही बचे हैं” लेकिन इसके बावजूद सियासत के दंगल के बड़े पहलवान मुलायम सिंह यादव ने हार नहीं मानी थी औरवे पार्टी कार्यालय पर अपना कब्ज़ा छोड़ने को तैयार नहीं थे. 

चुनाव आयोग में कानूनी लडाई लड़ रहे दोनों पक्षों का संघर्ष पार्टी कार्यालय पर कब्जे तक भी जारी रहा. नेम प्लेट तोड़ने और कमरों में ताले लगाने तक की नौबत आई. यहाँ तक कि सोमवार की सुबह मुलायम ने अपना ब्रह्मास्त्र चलने की कोशिश की जब उन्होंने अपने ही बेटे को मुसलमानों का विरोधी बता दिया. मुलायम के पार्टी कार्यालय से निकलने के फ़ौरन बाद ही अखिलेश समर्थको ने वहां अखिलेश यादव के राष्ट्रीय अध्यक्ष की पट्टी लगा दी थी. 

अखिलेश यादव बीते लगभग एक सप्ताह से मीडिया से दूर अपनी चुनावी रणनीति को धार देने में लगे थे. कांग्रेस और रालोद के साथ कई अन्य छोटी पार्टियों के साथ उनका गठबंधन भी आकार ले चूका है अब उसकी औपचारिक घोषणा मात्र बाकी है. 

हालांकि चुनाव आयोग में जब दोनों पक्ष पहुंचे थे तब  मुलायम पक्ष इस बात पर जोर दिया था कि जिस सम्मलेन में मुलायम को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाया गया था वह सम्मलेन ही पार्टी संविधान के खिलाफ था. दूसरी तरफ अखिलेश यादव खेमें की तरफ से रामगोपाल ने 200 विधायको और पार्टी पदाधिकारों के हस्ताक्षरों वाले एफिडेविट दिए थे. माना जा रहा था कि कभी मुलायम के चाणक्य रहे प्रो. रामगोपाल यादव ने अखिलेश के पक्ष में सभी कानूनी तौर तरीके से कील कांटे दुरुस्त रख छोड़े थे.     

जिस वक्त चुनाव आयोग ने अखिलेश के पक्ष में फैसला सुनाया उसी वक्त भाजपा यूपी के लिए अपने प्रत्याशियों की सूची जारी की. ये दोनों ही व्बहुप्रतिक्षित कदम थे. इसके साथ ही यूपी के दंगल में नया रंग आ चूका है और मंगलवार की सुबह चुनाव के रंग में पूरी तरह रंगी दिखाई देगी.   

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