हेमंत सोरेन ने लिया बड़ा फैसला, सीएए का विरोध करने वाले अब आजाद
रांची। झारखंड सरकार ने धनबाद जिले के तीन हजार लोगों पर लगे राष्ट्रद्रोह के आरोप को वापस लेने का फैसला किया है। इन लोगों पर नागरिकता संशोधन कानून का विरोध पर यह मामला धनबाद के एक स्थानीय पुलिस थाने में दर्ज किया गया था। इसकी घोषणा करते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जनता से कानून व्यवस्था बनाए रखने में मदद की अपील की।
धनबाद के वासेपुर इलाके में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने पर तीन हजार लोगों के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मामला दर्ज किया गया था। हेमंत सोरेन सरकार ने इसे वापस लेने का ऐलान किया है। सोरेन ने अपने एक ट्वीट में कहा कि क़ानून जनता को डराने एवं उनकी आवाज़ दबाने के लिए नहीं बल्कि आम जन-मानस में सुरक्षा का भाव उत्पन्न करने को होता है।
उन्होंने आगे कहा कि मेरे नेतृत्व में चल रही सरकार में क़ानून जनता की आवाज़ को बुलंद करने का कार्य करेगी। धनबाद में 3000 लोगों पर लगाए गए राजद्रोह की धारा को अविलंब निरस्त करने के साथ साथ दोषी अधिकारी के ख़िलाफ़ समुचित करवाई की अनुशंसा कर दी गयी है। साथ ही मैं झारखंड के सभी भाइयों/बहनों से अपील करना चाहूँगा की राज्य आपका है, यहाँ के क़ानून व्यस्था का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है।
मंगलवार रात धनबाद के वासेपुर थाना क्षेत्र में तीन हजार से अधिक लोगों ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। इसके बाद पुलिस ने सात लोगों के खिलाफ नामजद और तीन हजार अज्ञात लोगों के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज किया था। आरोप था कि इन लोगों ने बिना प्रशासन की इजाजत के यह विरोध प्रदर्शन किया था।
इससे पहले मुख्यमंत्री बनने के बाद हेमंत सोरेन ने पत्थलगढ़ी आंदोलन के आरोपियो पर से भी राष्ट्रद्रोह का मुकदमा वापस लिया था। पत्थलगढ़ी आंदोलन चलाने के आरोप में हजारों लोगों के खिलाफ तत्तकालीन रघुबर दास सरकार ने राष्ट्रद्रोह का मुकदमा वापस लिया था। हेमंत सोरेन ने इसी महीने झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है।