हिंसा के कारण पाकिस्तान में न घरेलू निवेश हो रहा न विदेशी, लेकिन खूब बढ़ रहा अवैध व्यापार

पाकिस्तान में अंतर्कलह और हिंसा इतनी है कि उसकी वजह से घरेलू निवेश तो कम हुआ ही, सुरक्षा कारणों से विदेशी निवेशक भी वहां जाने से कतराते हैं। वहां के उद्योग लगातार जर्जर होते जा रहे हैं। सालाना विदेशी निवेश (FDI in Pakistan) दो अरब डॉलर से भी कम है और मैन्युफैक्चरिंग 50 अरब डॉलर की भी नहीं रह गई है। हालांकि अवैध व्यापार वहां फल-फूल रहा है। वर्ष 2025 के अवैध व्यापार इंडेक्स में 158 देशों की सूची में पाकिस्तान 101वें स्थान पर है।

आर्थिक आंकड़े उपलब्ध कराने वाली संस्था सीईआईसी (CEIC) के मुताबिक वर्ष 2024 की पहली छमाही को छोड़ दें तो जुलाई 2022 से अब तक पाकिस्तान का औद्योगिक उत्पादन इंडेक्स लगभग हर महीने निगेटिव रहा है, यानी औद्योगिक उत्पादन में गिरावट आई है। इसके विपरीत भारत के औद्योगिक उत्पादन में इस दौरान लगातार वृद्धि हुई है।

रिसर्च प्लेटफॉर्म मैक्रोट्रेंड्स (Macrotrends) के अनुसार वर्ष 2023 में पाकिस्तान में 45.94 अरब डॉलर की मैन्युफैक्चरिंग (Manufacturing in Pakistan) हुई थी। इस लिहाज से यह दुनिया में 37वें स्थान पर था। एक साल पहले 2022 में 51.58 अरब डॉलर का मैन्युफैक्चरिंग उत्पादन हुआ था, जो अब तक का रिकॉर्ड है। तुलनात्मक रूप से देखें तो भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का उत्पादन 2023 में 455.77 अरब डॉलर का था। चीन और जर्मनी के बाद भारत का स्थान तीसरा था।

एक तरफ बिजनेस में पाकिस्तान की यह हालत है तो दूसरी तरफ वहां अवैध व्यापार (Pakistan Illicit Trade)) खूब होता है। वर्ष 2025 के अवैध व्यापार इंडेक्स में 158 देशों की सूची में वह 101वें स्थान पर है। पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ मार्केट इकोनॉमी (PRIME) और ट्रांसनेशनल अलायंस टू कॉम्बैट इलिसिट ट्रेड (TRACIT) के अनुसार अवैध व्यापार से पाकिस्तान को हर साल लगभग 751 अरब रुपये (पाकिस्तानी करेंसी) का नुकसान होता है। सबसे अधिक नुकसान तंबाकू में 300 अरब रुपये, पेट्रोलियम उत्पादों में 270 अरब, टायर और लुब्रिकेंट्स में 106 अरब, फार्मा में 60-65 अरब और चाय में 10 अरब रुपये का होता है। पाकिस्तान में निवेश कम होने का एक प्रमुख कारण अवैध व्यापार भी है।

चीन भी नए निवेश से कतरा रहा है
पाकिस्तान में 2023 में सिर्फ 1.82 अरब डॉलर का FDI आया जबकि भारत में 2023-24 में 44 अरब डॉलर से अधिक का विदेशी निवेश हुआ था। चीन ने पाकिस्तान में काफी निवेश किया है, (Pakistan China Trade Relations) लेकिन हाल के वर्षों में उसने भी हाथ खींच लिए हैं। नई दिल्ली स्थित थिंकटैंक इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स में रिसर्च फेलो डॉ. ध्रुबज्योति भट्टाचार्य के अनुसार, “चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) की ताजा स्थिति (CPEC Updates 2025) यह है कि चीन ने लगभग 3 साल बाद 70 लाख डॉलर का नया निवेश किया है। यह निवेश ग्वादर में है, जहां गधों की खाल की फैक्ट्री लगाई जाएगी। चीन में एक दवा बनाने में गधों की खाल का इस्तेमाल होता है, उसी के निर्यात (Pakistan Export) के लिए यह फैक्ट्री लगाई गई है। ग्वादर के स्पेशल इकोनॉमिक जोन (SEZ) में अभी तक कोई इंडस्ट्री नहीं लग पाई है।”

ग्वादर पोर्ट का ऑपरेशन चाइनीज कंपनी के ही जिम्मे है। यह पोर्ट 2007 में बनकर तैयार हुआ था, लेकिन शायद ही किसी साल वहां 20 से ज्यादा जहाज आए हों। ग्वादर को पोर्ट सिटी बनाने के लिए वहां स्पेशल इकोनॉमिक जोन स्थापित किया गया। दरअसल, ग्वादर पोर्ट पाकिस्तान के बलूचिस्तान इलाके में है। वहां काम करने वाले चाइनीज नागरिकों पर अनेक बार हमले हुए हैं। ध्रुबज्योति के अनुसार, पाकिस्तान का एक प्रतिशत समुद्री व्यापार भी ग्वादर से नहीं हो रहा है। समुद्र के रास्ते ट्रेड सिर्फ कराची से हो रहा है।

18 घंटे पावर कट में कैसे चलेगी इंडस्ट्री
इंडस्ट्री की इस हालत का एक बड़ा कारण बिजली उपलब्ध नहीं होना है। डॉ. भट्टाचार्य के मुताबिक, “पाकिस्तान में बिजली की हालत बहुत खराब है। (Pakistan Energy Crisis) जिस देश में बिजली सप्लाई ठीक ना हो वहां इंडस्ट्री नहीं चल सकती है। अनेक इलाकों में दिन में 18 घंटे तक बिजली नहीं आती है। इसलिए टेक्सटाइल इंडस्ट्री (Textile Industry Pakistan) भी नहीं चल रही है।”

पाकिस्तान में टेक्सटाइल इंडस्ट्री है और इस बार कपास की अच्छी फसल भी हुई है। लेकिन पावर कट से इंडस्ट्री नहीं चल रही थी तो पाकिस्तान बांग्लादेश को कपास का निर्यात करने लगा। हालांकि शेख हसीना सरकार के जाने के बाद अराजकता बढ़ी तो बांग्लादेश को निर्यात के आर्डर कम होने लगे। अब उसने भी पाकिस्तान से कपास की खरीद कम कर दी है।

पाकिस्तान में लगभग 99% कपास पंजाब और सिंध प्रांत में होती है। दोनों राज्य पानी के लिए सिंधु बेसिन पर निर्भर हैं। आगे चलकर अगर भारत इन नदियों का पानी अवरुद्ध करता है तो इससे कपास का उत्पादन और आखिरकार टेक्सटाइल इंडस्ट्री को नुकसान होगा।

जम गया पनबिजली परियोजना का पानी
डॉ. भट्टाचार्य बताते हैं, “मार्च में गिलगिट-बालटिस्तान में 18 घंटे तक की बिजली कटौती हो रही थी। वहां पाकिस्तान ने पनबिजली परियोजना लगाई है। वह जगह काफी ऊंचाई पर है और ठंड के मौसम में पानी जम गया तो प्लांट में बिजली बनाना मुश्किल हो गया। आश्चर्यजनक रूप से इसके लिए कोई वैकल्पिक योजना पाकिस्तान सरकार ने नहीं बनाई।”

इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) के 2022 के आंकड़ों के अनुसार पाकिस्तान में 27.2% बिजली प्राकृतिक गैस से, 20% हाइड्रो, 16.6% ऑयल, 15.9% कोयले, 15.6% न्यूक्लियर और 3.7% पवन ऊर्जा से बनती है। नीलम-झेलम, तरबेला और मंगला समेत पाकिस्तान के कई हाइड्रो पावर प्लांट सिंधु और झेलम नदियों पर निर्भर हैं। जब भारत से सिंधु-झेलम में पानी की सप्लाई कम होगी तो पाकिस्तान में बिजली उत्पादन भी प्रभावित होगा।

पिछले 10 वर्षों में पाकिस्तान में चीन ने कई पावर प्रोजेक्ट लगाए हैं। पनबिजली परियोजनाएं भी लगी हैं, लेकिन ज्यादा प्रोजेक्ट सोलर पावर और कोयला आधारित थर्मल प्लांट के हैं। डॉ. भट्टाचार्य बताते हैं, “चीन जो पावर प्लांट लगा रहा है, उसमें शर्त यह है कि शुरुआत में चाइनीज कंपनियां ही उसे चलाएंगी। कुछ समय बाद पाकिस्तान को सौंपा जाएगा। शर्त के मुताबिक इस दौरान पाकिस्तान की सरकार चाइनीज कंपनी को पैसे देगी। लेकिन सरकार इसमें भी डिफॉल्ट कर रही है। चाइनीज कंपनियों ने पिछले साल ही कह दिया था कि पैसे नहीं मिलने पर वे अगली गर्मियों (अर्थात इस साल) में प्लांट नहीं चलाएंगी।”

इस बार चीन भी खुलकर पाकिस्तान के साथ नहीं
पहलगाम घटना के बाद चीन ने काफी संयमित प्रतिक्रिया दी है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी और पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार के बीच पिछले रविवार को बात हुई थी। उसके बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि बीजिंग ने पहलगाम घटना की ‘निष्पक्ष जांच’ का समर्थन किया। वांग ने दोनों देशों से संयम बरतने और तनाव कम करने का भी आग्रह किया।

ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर और चीन मामलों की जानकार डॉ. गुंजन सिंह कहती हैं, “चीन की यह प्रतिक्रिया काफी संयमित लग रही है। उरी हमले के बाद जब तनाव बढ़ा था, तब पाकिस्तानी अखबार डॉन ने लिखा, चीनी प्रधानमंत्री ने न्यूयॉर्क में नवाज शरीफ के साथ एक बैठक के दौरान आश्वासन दिया कि चीन कश्मीर पर पाकिस्तान के रुख का समर्थन जारी रखेगा। चीन ने पठानकोट हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादी सूची में जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर को शामिल करने पर 2019 तक वीटो भी लगाया था।”

वे कहती हैं, “इस बार चीन की नियंत्रित प्रतिक्रिया को भारत-चीन के हाल के संबंधों की पृष्ठभूमि में देखा जा सकता है। वर्ष 2020 में गलवान झड़प के बाद दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में तल्खी आ गई थी। करीब साढ़े चार साल बाद पिछले साल अक्टूबर में दोनों पक्षों ने संबंध सुधारने के संकेत दिए थे।”

“बीजिंग की नियंत्रित प्रतिक्रिया में अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर की भी अहम भूमिका हो सकती है। कोविड-19 के बाद चीन की विकास दर लगातार धीमी बनी हुई है। मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए वह भारत को दूर नहीं करना चाहता।” चीन में बनी वस्तुओं का भारत बड़ा खरीदार है।

डॉ. गुंजन के अनुसार, “एक और महत्वपूर्ण कारण पाकिस्तान में चीनी निवेश और उसके नागरिकों पर बढ़ते हमले हो सकते हैं। पाकिस्तान का विदेशी कर्ज 100 अरब डॉलर के आसपास है, जिसमें से करीब 30% चीन का है।” डॉ. भट्टाचार्य बताते हैं, “पुरानी काफी रकम बकाया होने के कारण चीन नया निवेश नहीं कर रहा है। पाकिस्तान को चीन की मदद पुराने कर्ज के रोलओवर के रूप में है।”
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) में लगभग 62 अरब डॉलर का निवेश प्रस्तावित है। इसमें लगातार बाधाएं आ रही हैं।

पाकिस्तान में चीनी नागरिकों पर कई बार आतंकी हमले हुए हैं। मार्च में जफर एक्सप्रेस की हाईजैकिंग में 31 लोगों की जान गई थी। बीजिंग ने अपने कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए अपने सुरक्षा कर्मियों को तैनात करने का निर्णय लिया है। डॉ. गुंजन के अनुसार, “यह स्पष्ट संकेत है कि बीजिंग अब पाकिस्तानी सुरक्षा व्यवस्था पर भरोसा नहीं करता। CPEC के तहत लगभग 30,000 चीनी नागरिक विभिन्न परियोजनाओं में शामिल हैं।”

भारत-पाकिस्तान व्यापार (India Pakistan Trade Relations)
पहलगाम घटना के बाद भारत की सख्ती के जवाब में पाकिस्तान ने भारत के साथ सीधे या किसी तीसरे देश के जरिए कारोबार बंद करने की घोषणा की है। लेकिन इसका भी ज्यादा नुकसान पाकिस्तान को ही उठाना पड़ेगा। भारत के साथ व्यापार रोकने पर पाकिस्तान में दवाओं की कमी हो सकती है। भारत के वाणिज्य मंत्रालय के निर्यात पोर्टल पर दी जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान ने 2024-25 में भारत से 55.77 करोड़ डॉलर का आयात किया। इसमें 20.8 करोड़ डॉलर यानी 37.34% आयात दवाओं का था। उसके बाद केमिकल, इंजीनियरिंग गुड्स और पेट्रोलियम प्रोडक्ट हैं।

भारत ने 1996 में पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा दिया था। उसके बाद 2017-18 तक द्विपक्षीय व्यापार लगभग ढाई अरब डॉलर तक पहुंचा। लेकिन 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारत ने एमएफएन दर्जा खत्म कर दिया। तब भारत ने पाकिस्तान से आयात पर 200 प्रतिशत आयात शुल्क लगा दिया था। पाकिस्तान ने कभी भारत को एमएफएन का दर्जा नहीं दिया।

पिछले वित्त वर्ष में भारत से पाकिस्तान को सीधा निर्यात भले 50 करोड़ डॉलर के आसपास रहा हो, थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव का आकलन है कि दुबई, कोलंबो और सिंगापुर के रास्ते लगभग 10 अरब डॉलर का भारतीय सामान पाकिस्तान जाता है। इस रास्ते जाने वाले सामान पर निर्यातक देश का नाम भारत की जगह बदलकर कुछ और लिख दिया जाता है।

आम तौर पर अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रतिबंधों या ज्यादा टैरिफ से बचने के लिए इस तरह सामान की री-रूटिंग की जाती है। चीन इस तरह दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के जरिए काफी निर्यात करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि तीसरे देश से आयात रोकना पाकिस्तान के लिए मुश्किल होगा क्योंकि वहां भारतीय प्रोडक्ट की काफी मांग रहती है।

Back to top button