हत्या आरोपी 26 साल बाद बरी: प्रेमिका के पति के कत्ल में मिली थी सजा

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पा चुके व्यक्ति को 26 वर्ष बाद दोष मुक्त करार दिया है। याची को 2003 में लुधियाना की अदालत ने उसकी प्रेमिका के पति की हत्या का दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
याचिका दाखिल करते हुए सोम नाथ ने हाईकोर्ट को बताया कि उस पर आरोप है कि उसने अपनी प्रेमिका के पति पर हमला करने के बाद उसे रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया था। याची ने दोषी करार देने और सजा दोनों को चुनौती दी थी। जस्टिस गुरविंदर सिंह गिल और जस्टिस जसजीत सिंह बेदी की खंडपीठ ने पुलिस कांस्टेबल की गवाही की सत्यता पर सवाल उठाया।
उसने दावा किया था कि मृतक पति, जिसके दोनों पैर ट्रेन से कटने के कारण बहुत अधिक खून बह गया था, ने उस समय आरोपी का नाम बताया था। कोर्ट ने कहा कि इस बात पर संदेह है कि मृतक पुलिस दल को आरोपी का नाम आदि कैसे और किन परिस्थितियों में बता पाया, खासकर जब उसके दोनों पैर कटे हुए थे और उसे काफी मात्रा में खून बह गया होगा।
कोर्ट ने आरोपी के हत्या के उद्देश्य पर भी संदेह जताया, जबकि वह पहले से ही मृतक की पत्नी के साथ रह रहा था। कोर्ट ने कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है जिसमें मृतक द्वारा अपनी पत्नी और आरोपी के बीच संबंधों में बाधा उत्पन्न करने का कोई सबूत हो।
अभियोजन पक्ष ने तरलोक चंद नामक व्यक्ति के बयान पर बहुत अधिक भरोसा किया था। इसने दावा किया था कि उसने मृतक को आखिरी बार आरोपी के साथ देखा था। कोर्ट ने कहा कि यह जानकारी तरलोक चंद ने घटना के सात महीने बाद बताई थी, जो यह दर्शाता है कि उसने कुछ भी नहीं देखा था और यह अभियोजन पक्ष द्वारा केवल एक सेट-अप था।
कोर्ट ने कहा कि अगर यह मान भी लिया जाए कि तरलोक चंद झूठ नहीं बोल रहा है, तो भी आरोपी को मृतक के साथ कथित तौर पर देखे जाने और मृतक के रेलवे ट्रैक पर पाए जाने के बीच 6 से 8 घंटे का काफी अंतर था। किसी भी तरह से यह नहीं माना जा सकता है कि 6 से 8 घंटे के दौरान कोई और व्यक्ति नहीं था जो अपराध कर सकता था।