स्वतंत्रता दिवस पर महाराष्ट्र में मीट की दुकानें बंद करने पर छिड़ी बहस

महाराष्ट्र में लगभग आधा दर्जन नगर निकायों द्वारा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मांस की दुकानों और बूचड़खानों को बंद करने के आदेश के बाद सत्तारूढ़ सहयोगी भाजपा और राकांपा ने अलग-अलग रुख अपनाया हुआ है। नागपुर नासिक मालेगांव छत्रपति संभाजीनगर और कल्याण-डोंबिवली नगर निगमों ने अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले बूचड़खानों और मांस की दुकानों को 15 अगस्त को बंद करने के निर्देश जारी किए हैं।
महाराष्ट्र में लगभग आधा दर्जन नगर निकायों द्वारा स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मांस की दुकानों और बूचड़खानों को बंद करने के आदेश के बाद सत्तारूढ़ सहयोगी भाजपा और राकांपा ने अलग-अलग रुख अपनाया हुआ है। इस मुद्दे को लेकर बहस छिड़ गई है।
15 अगस्त को बंद रहेंगी मीट की दुकानें
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि सरकार लोगों के खाने-पीने के विकल्पों पर नियंत्रण रखने में दिलचस्पी नहीं रखती। नागपुर, नासिक, मालेगांव, छत्रपति संभाजीनगर और कल्याण-डोंबिवली नगर निगमों ने अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले बूचड़खानों और मांस की दुकानों को 15 अगस्त को बंद करने के निर्देश जारी किए हैं।
उप मुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ने बंद करने पर सवाल उठाया है। जबकि, सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन में उसकी सहयोगी भाजपा ने 1988 के राज्य सरकार के प्रस्ताव (जीआर) का हवाला देते हुए इस कदम का बचाव किया, जिसमें नगर निकायों को ऐसे प्रतिबंध लगाने का अधिकार दिया गया था।
स्वतंत्रता दिवस पर बूचड़खाने बंद को लेकर कही ये बात
भाजपा ने कहा है कि स्वतंत्रता दिवस पर बूचड़खाने बंद रखने की नीति पहली बार 1988 में लागू की गई थी। उस समय राकांपा (शरदचंद्र पवार) अध्यक्ष शरद पवार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। भाजपा ने जानना चाहा कि क्या विपक्ष इस बारे में वरिष्ठ नेता से सवाल करेगा।
महाराष्ट्र भाजपा के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्याय ने कहा कि 15 अगस्त को बूचड़खाने बंद रखने की नीति मूल रूप से शंकरराव चव्हाण के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा बनाई गई थी। 1988 में एक महीने के भीतर ही शरद पवार मुख्यमंत्री बन गए और उन्होंने पहली बार इस नीति को लागू किया।
कांग्रेस ने महायुति सरकार पर लगाए यह आरोप
कांग्रेस ने कहा है कि महायुति सरकार गंभीर मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए शहरों में कबूतरों को दाना खिलाने और स्वतंत्रता दिवस पर मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने जैसे बेतुके मुद्दों पर विवाद पैदा कर रही है।