स्टॉक मार्केट में निवेश के नाम पर ठगी, खाते में पहुंचे 10.41 करोड़ रुपये; दो गिरफ्तार

स्टाॅक मार्केट में निवेश के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह का शाहदरा जिला के साइबर थाना पुलिस ने खुलासा किया है। पुलिस ने मामले में गोरखपुर के सहजनवा में दबिश देकर दो आरोपी शशि प्रताप सिंह और निहाल पांडेय को गिरफ्तार किया है।
आरोपियों ने मिलकर करोड़ों रुपये की ठगी की है।आरोपी शशि प्रताप के खाते में 30 दिनों के भीतर 105 अलग-अलग स्थानों से 10.41 करोड़ की लेनदेन हुई है। रकम को ठिकाने लगाने के लिए निहाल शशि प्रताप को अपने साथ नेपाल के काठमांडू ले गया था।
वहां करीब 15 दिन उसने शशि को एक होटल में रखा। इस दौरान साइबर ठगों ने करोड़ों की रकम इधर से उधर की। अपना खाता देने के बदले शशि ने 10 लाख रुपये कमीशन के रूप में लिए। छानबीन के दौरान पुलिस को पता चला कि शशि के साथ कुछ और लोग भी रुके थे।
इनके खातों में भी रकम मंगाकर उसे इधर-उधर किया जा रहा था। पकड़े गए आरोपियों में शशि बीबीए किए हुए है जबकि निहाल एमसीए पास है। पता किया जा रहा है कि निहाल ने कितने अकाउंट में अब तक ठगी की रकम को भिजवाया है।
शाहदरा जिला के पुलिस उपायुक्त प्रशांत गौतम ने बताया कि शाहदरा निवासी सचिन कुमार तोमर ने साइबर थाने में निवेश के नाम पर 8.15 लाख रुपये ठगी की शिकायत दर्ज कराई थी। व्हाट्सएप पर युवती साक्षी यादव ने मैजेस किया था और ट्रेडिंग के जाल में उन्हे फंसा लिया। बाद में कई ग्रुप में जोड़कर निवेश के नाम पर उससे रकम ले ली गई।
डिजिटल गिरफ्तार कर सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी से ठगे 14 लाख
उत्तर जिला पुलिस ने डिजिटल गिरफ्तार कर सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी से 14 लाख रुपये की ठगी करने के आरोप में 20 वर्षीय बंशी लाल और प्रेम कुमार को गिरफ्तार किया है। आरोपियों ने उन्हें मुंबई से साइबर अपराध अधिकारी होने का दावा करते हुए वीडियो कॉल कर डिजिटल गिरफ्तार कर रखा।
उत्तर जिला पुलिस उपायुक्त राजा बांठिया के अनुसार कैलाश कुमार मीना (57) को कॉल करने वालों ने उन पर साइबर धोखाधड़ी में शामिल होने का झूठा आरोप लगाया और चेतावनी दी कि पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने आ रही है। आरोपी पहचान से बचने के लिए अक्सर अपने ठिकाने बदलते रहते थे, लेकिन मोबाइल लोकेशन से उनकी राजस्थान के बाड़मेर में उनकी मौजूदगी का पता लगा। पुलिस टीम ने यहां घेराबंदी कर बंशी लाल को 15 जून को गिरफ्तार कर लिया।
आरोपी से पूछताछ के आधार पर उसके सहयोगी प्रेम कुमार को भी उसी गांव से पकड़ा गया। पूछताछ के दौरान बंशी लाल ने खुलासा किया कि उसने एक बैंक खाता खोला था और उससे जुड़ा मोबाइल नंबर और इंटरनेट बैंकिंग विवरण 8,000 रुपये में प्रेम कुमार को सौंप दिया था। बदले में प्रेम कुमार ने यह खाता मुख्य साजिशकर्ता सतपाल बिश्नोई को 15,000 रुपये में बेच दिया।
चेक का करते थे इस्तेमाल
बिश्नोई ने ठगी की गई रकम को ट्रांसफर करने के लिए खाते का इस्तेमाल किया और बंशी लाल को चेक का इस्तेमाल कर नकदी निकालने का निर्देश दिया। प्रेम कुमार ने खुलासा किया कि उसने इसी तरह के भुगतान के लिए अपना और अपने एक अन्य सहयोगी चिन्नू लाल का बैंक खाता भी बिश्नोई को मुहैया कराया था। गिरफ्तार आरोपियों के पास से धोखाधड़ी में इस्तेमाल किए गए सिम कार्ड सहित दो मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं। प्रारंभिक डाटा विश्लेषण से पता चलता है कि प्रेम कुमार ने बैंक खातों को एक व्यापक गिरोह नेटवर्क तक पहुंचाने में केंद्रीय भूमिका निभाई।