सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान की इन नदियों में बढ़ते प्रदूषण पर जताई कड़ी नाराजगी

सुप्रीम कोर्ट में जोजरी, लूणी और बांडी नदियों में बढ़ते प्रदूषण पर हुई सुनवाई में राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगी। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि उद्योगों से फैल रहे प्रदूषण पर नियंत्रण में राज्य की स्थिति बेहद दयनीय है, जिसकी वजह से जोधपुर, पाली और बालोतरा क्षेत्र के लगभग 20 लाख लोग प्रभावित हो रहे हैं।
न्यायाधीश विक्रम नाथ व न्यायाधीश संदीप मेहता की खंडपीठ में राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट पेश की। खंडपीठ ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेते हुए मामला 21 नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया और कहा कि संकट की गंभीरता को देखते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेशों से भी अधिक सख्त निर्देश देने पड़ सकते हैं। खंडपीठ ने कहा कि नदियों में औद्योगिक अपशिष्ट सीधे छोड़ा जा रहा है और अधिकांश सीईटीपी को बायपास कर दिया गया है।
लगातार बिगड़ती जा रही है स्थिति
कोर्ट ने पूछा कि जब स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है, तो ऐसे में शहरी निकायों और रीको को एनजीटी की ओर से लगाए गए दंड से राहत कैसे दी जा सकती है। शर्मा ने कोर्ट से अनुरोध किया कि एनजीटी की ओर से लगाए गए दो करोड़ रुपए के पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति दंड और प्रतिकूल टिप्पणियों पर फिलहाल रोक लगाई जाए, ताकि राज्य अनुपालना की प्रगति कोर्ट के सामने प्रस्तुत कर सके। उन्होंने कहा कि सरकार ने अब एनजीटी के सभी सकारात्मक परिचालन निर्देशों को लागू करने का निर्णय लिया है और प्रदूषण नियंत्रण के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
अब केवल कागजी आश्वासन नहीं
खंडपीठ ने राज्य के इस रुख को देखते हुए कहा कि अब केवल कागजी आश्वासन नहीं, बल्कि जमीन पर दिखाई देने वाली कार्रवाई जरूरी है। कोर्ट अब 21 नवंबर को इस जनहित याचिका पर विस्तृत आदेश जारी करेगा। सुनवाई के दौरान संकेत दिए गए कि कोर्ट कड़े दिशा-निर्देश जारी कर सकता है।





