सिलगुर देवता मंदिर में प्रवेश हिंसा: नौ साल बाद दर्ज होंगे पूर्व सांसद तरुण विजय के बयान

उत्तराखंड: घटना 20 मई 2016 को हुई थी। तरुण पुजारियों की ओर से प्रतिबंधित मंदिर में दलित समुदाय के सदस्यों के साथ प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे, तभी उन पर पत्थरों से हमला किया गया था।

चकराता स्थित सिलगुर देवता मंदिर में प्रवेश हिंसा कांड के नौ साल बाद अदालती कार्यवाही आगे बढ़ी है। अदालत ने पूर्व सांसद तरुण विजय को आगामी 19 दिसबंर को जिला अदालत में अपने बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया है। उस दौरान तत्कालीन सांसद तरुण पर पत्थरों से हमला हुआ था। उनके लिए आयी एंबुलेंस को भी वापस लौटा दिया गया था।

घटना 20 मई 2016 को हुई थी। तरुण पुजारियों की ओर से प्रतिबंधित मंदिर में दलित समुदाय के सदस्यों के साथ प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे, तभी उन पर पत्थरों से हमला किया गया था। इस घटना की गूंज देश-विदेश तक फैली थी।

तत्कालीन गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शीर्ष अधिकारी भैया जी जोशी, कांग्रेस नेता सचिन पायलट, बसपा सुप्रीमो मायावती और दलित नेता रामविलास पासवान सहित सभी दलों ने तरुण विजय को समर्थन दिया था।तत्कालीन राज्यपाल केके पॉल ने घायल विजय को लाने के लिए विशेष हेलीकॉप्टर भेजा था। तब के मुख्यमंत्री हरीश रावत उनसे मिलने अस्पताल आए थे और घटना की जांच घोषित की थी।

तरुण विजय का पक्ष
बयान दर्ज कराने से पहले तरुण विजय ने इस मुद्दे पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा हिंदू समाज के व्यापक हितों और संगठन से जुड़ा है। हिंदुओं का सबसे बड़ा शत्रु जातिवादी व्यवहार है। बड़ी जातियों का झूठा अहंकार हिंदुओं को तोड़ रहा है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनके मन में किसी के लिए कोई विद्वेष या प्रतिशोध की भावना नहीं है। उनका मिशन है कि हिंदू समाज जातिवाद को छोड़कर समरसता के भाव में रचे-बसे।

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