सिंधु जल संधि टूटी तो 24 घंटे मिल सकता है जम्मू को पानी

2014 में चिनाब वैली व भगवती नगर-त्रिकुटा वाटर स्कीम डीपीआर व फंड होने के बावजूद आगे नहीं बढ़ पाई। ये दोनों प्रोजेक्ट शुरू हो जाएं, तो जम्मू को 24 घंटे पानी मिल सकता है।
सिंधु जल संधि टूटने की आशंकाओं के बीच जम्मू में रुकी वाटर स्टोरेज की कई परियोजनाएं के फिर से शुरू होने की उम्मीद बढ़ गई है। 2014 में चिनाब वैली व भगवती नगर-त्रिकुटा वाटर स्कीम डीपीआर व फंड होने के बावजूद आगे नहीं बढ़ पाई। ये दोनों प्रोजेक्ट शुरू हो जाएं, तो जम्मू को 24 घंटे पानी मिल सकता है।
भारत सरकार ने चिनाब वैली वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट के लिए 2017 में पांच हजार करोड़ रुपये के बजट मंजूरी दी। 2018 में भारत-पाकिस्तान के इंजीनियरों के बीच बैठक हुई। पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि का हवाला देकर प्रोजेक्ट पर आपत्ति जताई और अपने हिस्से का पानी देने से मना कर दिया। इससे योजना आगे नहीं बढ़ पाई।
भारत सरकार ने पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए 2018 में भगवती नगर-त्रिकुटा नगर पेयजल स्कीम बनाई गई। डीपीआर तैयार हुई। इस पर पहले चरण में 175 करोड़ रुपये खर्च होने थे। पानी नहीं होने के कारण ये प्रोजेक्ट भी परवान नहीं चढ़ सका।
ये दोनों परियोजनाएं जम्मू संभाग के तत्कालीन मुख्य अभियंता अशोक गंडोत्रा के समय तैयार हुईं थीं। अशोक गंडोत्रा कहते हैं कि उस समय पानी मिल जाता तो जम्मू शहर में 24 घंटे आपूर्ति होनी थी। उस समय मुट्ठी में मेन टैंक बन रहा था।
इसके माध्यम से पानी की आपूर्ति पूरे जम्मू शहर में होनी थी, लेकिन संधि के कारण प्रोजेक्ट बीच में बंद हो गया। इससे करीब 12 लाख लोगों को लाभ नहीं पाया। जलशक्ति विभाग के मुख्य अभियंता विकास शर्मा ने कहा िक प्रोजेक्ट पर काम तो आदेश आने के बाद ही शुरू होगा। डीपीआर तैयार है, लेकिन पानी की उपलब्धता भी जरूरी है।
दिक्कत : जरूरत भर का भी नहीं मिल पा रहा पानी
जलशक्ति विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, शहरी क्षेत्र में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 145 लीटर पानी की जरूरत होती है। पानी का संकट होने के कारण 105 से 110 लीटर पानी ही मिल पाता है। ग्रामीण इलाकों में 165 लीटर पानी प्रतिदिन प्रति व्यक्ति देना है, लेकिन 100 लीटर ही मिल पाता है। इससे पशुओं को भी पानी पिलाने में दिक्कत रहती है।