सत्ता को ग़लतफ़हमी है कि बुजुर्ग लाठियों से डर जाएगा, अरे जुल्मी वो किसान है जो लाठियां बोता है

आज मोदी सरकार ने किसान क्रांति यात्रा में शामिल निहत्थे किसानों के साथ जमकर हिंसा की।
अपनी मांगों को पूरी करवाने के लिए हरिद्वार से चला हजारों किसानों का काफिला सोमवार को दिल्ली की सरहद पर पहुंचा। भारतीय किसान यूनियन की अगुवाई इस किसान रैली को मोदी सरकार ने दिल्ली बार्डर पर ही रोक दिया।
मंगलवार को जब किसानों ने दिल्ली में घुसने की कोशिश की तब पुलिस ने वाटर कैनन और आंसू गैस के गोले चलाए।
देश के अन्नदाता को सड़क पर लहूलुहान किया गया। अहिंसा का पाठ पढ़ाने वाले गांधी की 150वीं जयंती पर किसानों के साथ जमकर बर्बरता हुई।
आज लाल बहादुर शास्त्री का भी जन्मदिन है, जिन्होंने जय जवान जय किसान का नारा दिया। अफसोसजनक है कि जवान और किसान को आमने सामने कर दिया गया है।
गांधी जयंती के दिन भी किसानों पर गोलियां चलवाकर मोदी ने साबित कर दिया, ये गोडसे के लोग हैं
इसपर मोदी सरकार की चौतरफा आलोचना हो रही है।
संजय यादव अपने फेसबुक पर लिखते हैं-
‘लाठियों से किसे डराओगे ज़ुल्मियों, उसे जो लाठी बोता है ?
यही तो पूँजीवाद है। किसान के बेटे (पुलिस वाले), अपने बाप-दादाओं को नौकरी की ख़ातिर ही रोक रहे है अन्यथा दुःख तो बाप-बेटे का एक ही है। दोनों के सामने ही रोटी का संकट है’

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