संक्रमण के प्रभाव को समझने के लिए आयुर्वेद चिकित्सक डॉ वंदना से खास बातचीत

लखनऊ। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयुष मंत्रालय की ओर से जारी दिशा निर्देश पर अमल करने की अपील की है। कोविड19 में इम्युनिटी की भूमिका, संक्रमण के प्रभाव आदि को जानने समझने के लिए आयुर्वेद को समझना जरूरी है।

स्वस्थस्य स्वास्थ्य रक्षणं।
आतुरस्य विकार प्रशमनं च।।

आयुर्वेद के सिद्धान्त अकाट्य हैं। शाश्वत हैं। ये हजारों वर्ष के शोध के बाद लिखे गए हैं। आज जरूरत है उन सिद्धांतों को बिना छेड़छाड़ किए युक्तिपूर्वक आज की व्याधियों के ऊपर प्रयोग हो। हमारे देश में कुशल आयुर्वेद चिकित्सकों की कमी नहीं है।

आयुर्वेद चिकित्सक डॉ वंदना पाठक बताती हैं कि आयुर्वेद ऋतु आधारित आहार, विहार का समर्थन करता है। इसे हमारे ऋषि-मुनियों ने तैयार किया है। डॉ पाठक के मुताबिक इस समय निम्न आहार-विहार अपनाकर कोई भी स्वस्थ रह सकता है। इम्यून सिस्टम खुद-ब-खुद मजबूत होता जाएगा।

-सूर्योदय के पहले उठें
-नित्यक्रिया के बाद गुनगुने पानी से गरारा करें।
-यदि सूखी खाँसी हो तो सेंधा नमक और गाय का घी मिलाकर पीठ और सीने पर हल्के हाथ से मालिश करें।
-फिर अजवायन के पानी का भाप लें।
-एक घण्टे बाद हल्के गर्म पानी से स्नान करें।
-तिल का तेल या गाय का घी नाक के अंदर ऊँगली से लगा लें।

आसन की बारी
भुजंगासन-2 मिनट (या जितनी देर इस आसन में रह पाएं)
उदगीत-5 मिनट
भ्रामरी-5 मिनट
भ्रस्त्रिका-5 मिनट
कपाल भांति-5 मिनट
(आसन करने से पूर्व किसी योग्य शिक्षक का मार्गदर्शन जरूरी है।)
प्रतिदिन ध्यान अवश्य करें| इसके लिए साइको न्यूरोबिक स्पॉ की मदद ले सकते हैं| 26.5 मिनट की यह क्रिया डॉ चंद्रशेखर तिवारी, SIGFA सलूशन की ओर से यूट्यूब पर उपलब्ध है।

-इसके बाद काढ़ा पिएं
-काढ़ा बनाने के लिए प्रति व्यक्ति दो इंच गिलोय लेकर साफ करें। गिलोय को कूट लें। चार कप पानी में डालकर चूल्हे पर चढ़ा दें और एक कप बचने पर सेवन करें।

नाश्ता
-सत्तू, भुना चना, भुना हुआ कोई और अनाज भी हो सकता है।
नाश्ता लेने बाद त्रिकटु: एक ग्राम-सोंठ, पिपली, काली मिर्च पाउडर बराबर मिलाकर शहद के साथ लें।
दोपहर का भोजन
-दाल, चावल, सीजन की सब्जी, खिचड़ी आदि भूख लगने पर ही लें। इसके लिए उपयोग में आने वाला अनाज पुराना होना चाहिए| इस सीजन में जौ, चना, मूंग, मसूर लाभकारी होगा|
-भोजन के बाद सोंठ का पानी लें। सम्भव हो तो दिन में कई बार ले सकते हैं।
विधि : एक लीटर पानी तब तक गरम करें, जब तक वह आधा लीटर रहे। प्यास लगने पर एक चुटकी सोंठ पाउडर मिलाकर एक कप में पी लें।
-शाम को भूख लगने पर भुना अनाज, अदरक की चाय, गिलोय का काढ़ा आदि ले सकते हैं।

डिनर
-रात्रि भोजन सोने से तीन घंटे पूर्व लें लेकिन भूख लगने पर|
-भोजन में पतली खिचड़ी गाय के घी के साथ लें। खिचड़ी पकाने से पहले सब्जियाँ भी मिला लें।
-सोने से पहले एक से तीन ग्राम हरड़ का चूर्ण गुनगुने पानी से लें।
विशेष सावधानी : मीठा खट्टा, नमकीन (मधुर, अम्ल लवण रस युक्त आहार) अत्यधिक मात्रा में न लें। फ्रिज में रखा हुआ बासी भोजन कदापि न लें। इस ऋतु में कड़वा, तीखा, कसैला (कटु पित्त कसाय रस) युक्त आहार को प्रोत्साहन दें| इसमें करैला, काली मिर्च, अदरक और आमला आते हैं| इस समय दही लेने की अनुमति आयुर्वेद नहीं देता है।

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डॉ पाठक के मुताबिक हमारी रसोई में मौजूद मसाले रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाते हैं| हल्दी, काली मिर्च, सौंफ, अजवायन, मेथी, धनिया, आँवला, सोंठ की इसमें अहम भूमिका है| वे कहती हैं कि इस पारंपरिक आहार-विहार-दिनचर्या के साथ जीने वाला कोई भी नर-नारी या बच्चा स्वस्थ रहेगा| उनका इम्यून सिस्टम दिन-ब-दिन बेहतर यानी मजबूत होता जाएगा। अस्पताल में भर्ती मरीजों पर भी यह विधि अपनाई जाए तो वे और जल्दी ठीक हो सकते हैं। एक सवाल के जवाब में डॉ वंदना ने कहा कि आयुर्वेद में इलाज हर व्यक्ति की प्रकृति के हिसाब से होता है, ऐसे में किसी भी तरह के संक्रमण की आशंका पर किसी वैद्य की सलाह से ही इलाज शुरू करने का सुझाव दिया जाता है।

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