विवाद समाधान में वैश्विक मानक स्थापित कर सकते हैं भारत और सिंगापुर

भारत और सिंगापुर निष्पक्ष, पारदर्शी और प्रभावी विवाद समाधान में वैश्विक मानक स्थापित कर सकते हैं। यह बात कानून और न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बुधवार को कही।

भारतीय मध्यस्थता परिषद (आईसीए) की एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मेघवाल ने कहा, भारत के मध्यस्थता कानूनों में महत्वपूर्ण सुधार और भारत अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र की स्थापना एक विश्व स्तरीय समाधान प्रणाली बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। संगोष्ठी का विषय ‘भारत-सिंगापुर गलियारे में वैकल्पिक विवाद समाधान (ए़डीआर) के माध्यम से बाजारों को जोड़ना और विवादों को सुलझाना’ रखा गया था। इसमें करीब 150 प्रतिनिधि मौजूद थे।

उन्होंने बताया कि इन पहलों के चलते भारत में मध्यस्थता की प्रक्रिया अब पहले से तेज, अधिक प्रभावी और अधिक भरोसेमंद हो गई है। उन्होंने आगे कहा, भारत और सिंगापुर दो मजबूत लोकतांत्रिक और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाएं हैं। दोनों मिलकर निष्पक्ष, पारदर्शी और प्रभावी विवाद समाधान में वैश्विक मानक बना सकते हैं। इससे हमारे साझा प्रतिबद्धता को स्थिरता और सतत विकास को और बल मिलेगा। मेघवाल तीन दिवसीय सिंगापुर पर हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रगति अनुबंधों को लागू करने की प्रक्रिया को मजबूत बनाएगी और सभी निवेशकों के बीच विश्वास को बढ़ावा देगी।

आईसीए ने कहा कि यह संगोष्ठी भारत-सिंगापुर के कानूनी और आर्थिक सहयोग को और गहरा करने का एक उपयुक्त और रणनीतिक अवसर है। दोनों देशों के बीच वैकल्पिक विवाद समाधान (एडीआर) के क्षेत्र में सहयोग न केवल परस्पर लाभकारी है, बल्कि यह वैश्विक कानूनी और आर्थिक चर्चाओं में एशिया की आवाज को आगे बढ़ाने के लिए भी बेहद अहम है।

मंत्री मेघवाल बुधवार को एक उच्च स्तरीय कानूनी विशेषज्ञों के प्रतिनिधिमंडल के साथ सिंगापुर पहुंचे, जिसमें आईसीए के अध्यक्ष एन. जी. खैतान और आईसीए के महानिदेशक अरुण चावला भी शामिल हैं।

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