लोकसभा चुनाव के लिए सियासी महाभारत जारी, इन 5 नेताओं को लेकर लालू के परिवार में हुई बगावत

कभी बिहार की सियासत के बाजीगर कहे जाने वाले लालू प्रसाद यादव आज आरजेडी और अपने परिवार के सबसे कठिन दौर में बिहार की सियासी तस्वीर से दूर हैं. लालू रांची में चारा घोटाले के केस में सजा काट रहे हैं. 2019 लोकसभा चुनाव के लिए जारी सियासी महाभारत के बीच लालू के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव बागी रुख अपना चुके हैं. लोकसभा चुनाव के टिकटों के वितरण में अपनी नहीं चलने से गुस्साए तेजप्रताप ने सोमवार को अलग पार्टी लालू राबड़ी मोर्चा के नाम से बनाने का ऐलान कर दिया. पिछले कुछ महीनों से तेजप्रताप अपनी पत्नी ऐश्वर्या से भी अलग रह रहे हैं. तलाक का केस कोर्ट में चल रहा है.लोकसभा चुनाव के लिए सियासी महाभारत जारी, इन 5 नेताओं को लेकर लालू के परिवार में हुई बगावत

क्यों नाराज हुए तेजप्रताप?

जिस तेजस्वी को तेजप्रताप अपना अर्जुन बताते रहे हैं और कृष्ण बनकर उनकी सत्ता की सुरक्षा की दुहाइयां देते थे उन्हीं तेजस्वी के खिलाफ बगावत का आखिर कारण क्या है. दरअसल विवाद का ताजा कारण है जहानाबाद और शिवहर की लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों का नाम. तेजप्रताप अपने दो समर्थक नेताओं के लिए यहां से टिकट चाहते थे लेकिन तेजस्वी ने जहानाबाद से उम्मीदवार का ऐलान कर दिया. इससे भड़के तेजप्रताप ने अलग पार्टी बनाने और दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया.

शुक्रवार को तेजप्रताप ने छात्र राजद के संरक्षक पद से भी इस्तीफा दे दिया था. तेजप्रताप की नाराजगी पहली बार जून 2018 में सामने आई थी. इस पूरे विवाद में अबतक 5 ऐसे नेताओं के नाम सामने आए हैं जिनको लेकर तेजप्रताप परिवार और पार्टी से नाराज होते गए और आज बात अलग पार्टी बनाने और लालू परिवार में टूट तक आ पहुंची है.

1. चंद्र प्रकाश

तेजप्रताप ने शुक्रवार को ऐलान किया कि जहानाबाद और शिवहर से अपना उम्मीदवार खड़ा करेंगे. जहानाबाद से चंद्र प्रकाश उनके मोर्चे के उम्मीदवार हैं. जबकि जहानाबाद से आरजेडी के आधिकारिक उम्मीदवार सुरेंद्र प्रसाद यादव हैं. सुरेंद्र प्रसाद यादव जहानाबाद से आरजेडी के पहले भी सांसद रह चुके हैं. तेजप्रताप के बहुत अच्छे दोस्त चंद्र प्रकाश भी जाति से यादव हैं. अगर चंद्र प्रकाश चुनाव में डटे रहे तो आरजेडी को इस सीट पर नुकसान हो सकता है. चंद्र प्रकाश जहानाबाद में सियासी लड़ाई को स्थानीय बनाम बाहरी का बताते हैं और कहते हैं कि सुरेंद्र प्रसाद यादव यहां के नहीं हैं.

2. अंगेश सिंह

इसी तरह तेजप्रताप शिवहर से अंगेश सिंह को टिकट दिलाने पर अड़े थे. शिवहर सीट पर आरजेडी के विधायक अबु दोजाना चुनाव लड़ना चाहते हैं. इसी सीट से अंबेश दावेदार थे. अब तेज प्रताप ने अंगेश को अपने मोर्चे का उम्मीदवार घोषित कर दिया है. हालांकि, तेजस्वी ने अभी शिवहर से उम्मीदवार का ऐलान नहीं किया है. दरअसल तेज प्रताप जब बिहार के कई इलाकों में बदलाव यात्रा पर निकले थे तो अंगेश और चंद्र प्रकाश ने संगठन क्षमता से उन्हें प्रभावित किया था. तेजप्रताप अब इनको टिकट दिलाकर पार्टी में अपनी हैसियत होने का संदेश समर्थकों को देना चाहते हैं.

3. चंद्रिका राय

चंद्रिका राय तेज प्रताप के ससुर हैं और सारण की परसा विधानसभा सीट से पार्टी विधायक. पत्नी ऐश्वर्या से चल रहे तलाक के बीच तेज प्रताप को ये कतई बर्दाश्त नहीं हुआ कि पार्टी चंद्रिका राय को लोकसभा का टिकट दे. दरअसल शुक्रवार को तेजस्वी ने जो लिस्ट जारी की उसमें चंद्रिका राय को सारण सीट से उतारने का ऐलान किया गया. इस फैसले से भड़के तेजप्रताप ने ऐलान कर दिया कि वे खुद सारण सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं.

4. राजेंद्र पासवान

लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप पिछले साल जून से ही पार्टी में प्रतिष्ठा पाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं. तब राजेंद्र पासवान को लेकर झगड़ा हुआ था. तेज प्रताप अपने पसंदीदा राजेंद्र पासवान को आरजेडी का प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहते थे और खुलकर अपनी नाराजगी का इजहार किया था. हालांकि विवाद खत्म करने के लिए तब तेजस्वी ने राजेंद्र पासवान को प्रदेश महासचिव बना दिया था. महासचिव बनने से गदगद राजेंद्र पासवान ने खुद को तेजप्रताप यादव का भक्त बताया था.

5. रामचंद्रे पूर्वे

तेज प्रताप कई बार कह चुके हैं कि कुछ खास नेताओं के इशारे पर पार्टी में उनकी अनदेखी की जा रही है. खासकर तेज प्रताप के निशाने पर रहते हैं आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे. इस साल के शुरू में तेज प्रताप ने रामचंद्रे पूर्वे को चेतावनी भी दी थी और लालू से शिकायत भी की थी. तेज प्रताप यादव ने शुक्रवार को छात्र राजद के संरक्षक के पद से इस्तीफा देते हुए कहा कि उनके छोटे भाई तेजस्वी यादव के आस-पास गलत लोग आ गए हैं. तेज प्रताप यादव ने शुक्रवार को ट्विटर पर लिखा था, “नादान हैं वो लोग जो मुझे नादान समझते हैं. कौन कितना पानी में है सबकी है खबर मुझे.”

जेपी आंदोलन से सियासत में आए लालू ने एक समय खुद को बिहार की सियासत की धुरी बना ली थी. खुद मुख्यमंत्री बने, जेल जाते वक्त पत्नी राबड़ी देवी को सीएम बनाया. केंद्र में रेल मंत्री बने, बेटी मीसा भारती को राज्यसभा भेजा. दो सालों साधु और सुभाष यादव को भी सियासत में जगह दी. 2013 में पटना में परिवर्तन रैली कर दोनों बेटों को राजनीति में लॉन्च किया.

नीतीश कुमार के साथ मिलकर महागठबंधन बनाया और 2015 का विधानसभा चुनाव जीतकर सरकार बनाई. बेटे तेजस्वी को उपमुख्यमंत्री बनाया और तेजप्रताप को स्वास्थ्य मंत्री. लेकिन अब चारा घोटाले में सजा होने के कारण लालू इस पूरे सियासी सीन से गायब हैं. परिवार में तनाव है और पार्टी लोकसभा चुनाव की अग्निपरीक्षा से गुजर रही है. ऐसे में समर्थकों की निगाहें तेजस्वी पर टिक गई है कि क्या वो लालू जैसी सूझबूझ दिखाते हुए इस विवाद को खत्म करने में सफल हो पाएंगे?

जानें, बिहार की 40 लोकसभा सीटों में कब कहां है चुनाव-

पहला चरण- 11 अप्रैल- औरंगाबाद, गया, नवादा और जमुई.

दूसरा चरण- 18 अप्रैल- किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका.

तीसरा चरण- 23 अप्रैल- झंझारपुर, सुपौल, अररिया, मधेपुरा और खगड़िया.

चौथा चरण- 29 अप्रैल- दरभंगा, उजियारपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय और मुंगेर.

पांचवां चरण- 6 मई- सीतामढ़ी, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, सारण और हाजीपुर.

छठा चरण- 12 मई- वाल्मीकिनगर, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, वैशाली, गोपालगंज, सीवान और महाराजगंज.

सातवां चरण- 19 मई- पटना साहिब ,नालंदा, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, सासाराम, जहानाबाद, काराकाट.

मतगणना- 23 मई 2019.

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