रोड नहीं तो वोट नहीं: मतदान के बहिष्कार का लगा पोस्टर

बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान का आज आखिरी दिन है, इस बीच पूर्णिया जिले के कसबा विधानसभा क्षेत्र की झुन्नी इस्तम्बरार पंचायत के वार्ड सं. 7, सिमोदी रहिका टोल में एक ऐतिहासिक बहिष्कार देखने को मिला है। गांव के एक हजार से अधिक मतदाताओं ने सामूहिक रूप से “रोड नहीं तो वोट नहीं” का नारा बुलंद करते हुए मतदान प्रक्रिया से दूर रहने का फैसला किया है। ग्रामीणों का यह कठोर कदम आज़ादी के सात दशकों बाद भी सड़क जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित रहने की पीड़ा को दर्शाता है।
ग्रामीण चतुर हेंब्रम ने बताया कि यह निर्णय वर्षों की उपेक्षा और निराशा का परिणाम है। उनके अनुसार देश के आज़ाद होने के बाद से आज तक सिमोदी रहिका टोल में एक भी पक्की सड़क का निर्माण नहीं हो पाया है। सड़क के अभाव में गांव की एक बड़ी आबादी को बरसात के मौसम में अत्यधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। बीमारों को अस्पताल ले जाना, बच्चों को स्कूल भेजना और किसानों को अपनी उपज बाजार तक पहुंचाना अत्यंत कठिन हो जाता है।
बीच रोड पर लगा दिया विरोध का पोस्टर
ग्रामीणों को प्रखंड मुख्यालय से लेकर जिला मुख्यालय तक आवाजाही के लिए कच्चे और जर्जर रास्तों पर निर्भर रहना पड़ता है। उन्होंने कहा कि पानी के समय में चारों तरफ पानी लग जाता है। पानी लगने के कारण महिलाएं जब पानी होकर निकलती हैं, तो स्थानीय युवा महिलाओं का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर कर देते हैं। हमलोग बेबस होकर यह कदम उठाए हैं।
महिलाओं ने साझा की परेशानी
महिलाओं ने भावुक होते हुए कहा कि हमने हर चुनाव में नेताओं पर भरोसा किया, हर बार आश्वासन मिला, लेकिन सड़क आज तक नहीं बनी। हमने कई बार लिखित आवेदन दिए, जनप्रतिनिधियों के सामने गुहार लगाई, पर सब व्यर्थ गया। जब हमारी सुनवाई नहीं हो रही, तो हमें वोट देकर किसे चुनना है? यह बहिष्कार न केवल स्थानीय नेताओं की कार्यशैली पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि विकास के दावों के बीच आज भी कई गांव बुनियादी ढांचे के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ग्रामीणों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक सड़क निर्माण की ठोस पहल और लिखित आश्वासन नहीं मिलता, तब तक वे अपने निर्णय पर अडिग रहेंगे। सूचना पर जिला प्रशासन की टीम घटनास्थल पर लोगों को समझाने की कोशिश में जुटी है।





