रूस और अमेरिका के साथ मजबूत होंगे ऊर्जा सम्बन्ध
अमेरिका और रूस के साथ भारत अपने ऊर्जा संबंधों को मजबूत करने में जुटा है। पीएम नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने की शुरुआत में अपनी रूस की यात्रा के दौरान स्पष्ट कर दिया था कि आने वाले दिनों में दोनो देशों के द्विपक्षीय संबंधों के लिए एनर्जी सेक्टर बहुत महत्वपूर्ण होगा।
भारत ने रूस के सुदूर पूर्व क्षेत्र के हाइड्रोकार्बन सेक्टर में निवेश करने की पेशकश की थी। अब इस बारे में बातचीत को आगे बढ़ाने पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान मंगलवार को रूस की यात्रा पर जा रहे हैं। रूस के बाद प्रधान जापान की भी यात्रा पर जाएंगे। प्रधान दोनो देशों से गैस आयात करने के मुद्दे पर खासतौर पर बात करेंगे। भारत रूस से गैस आयात बढ़ाना चाह रहा है जबकि जापान के साथ भी एलएनजी की खरीद को लेकर एक समझौता किया गया है।
भारत की अर्थव्यवस्था में अभी गैस की हिस्सेदारी महज 6.5 फीसद है जिसे वर्ष 2030 तक बढ़ा कर 15 फीसद करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए भारत को बड़ी मात्र में प्राकृतिक गैस आयात करनी होगी। सोमवार को पेट्रोलियम मंत्री प्रधान ने यूएस-इंडिया स्ट्रेटिजिक पार्टनरशिप फोरम की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि आने वाले दिनों में दुनिया का ऊर्जा कारोबार बहुत हद तक भारत की जरूरत के हिसाब से तय होगा।
पीएम नरेंद्र मोदी ने हमें गैस आधारित अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य दिया है और इसका असर दुनिया के गैस बाजार पर दिखाई देगा। उन्होंने हाल ही भारतीय व अमेरिकी कंपनियों के बीच एलएनजी आयात करने और एलएनजी टर्मिनल स्थापित करने के लिए हुए समझौते का भी जिक्र किया। प्रधान ने कहा कि अमेरिका भारत का एक बड़ा ऊर्जा साझेदार बन रहा है। वर्ष 2014 में भारत अमेरिका से कोई ऊर्जा उत्पाद आयात नहीं करता था, जबकि पिछले वित्त वर्ष सात अरब डॉलर मूल्य के ऊर्जा उत्पादों का आयात किया गया। प्रधान ने अमेरिकी कंपनियों को भारत के बायो गैस सेक्टर में निवेश करने के लिए खासतौर पर आमंत्रित किया।