राजस्थान: वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद अश्क अली टांक का निधन, अन्य नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

राजस्थान की राजनीति को गहराई से प्रभावित करने वाले वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद अश्क अली टांक का 67 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे लंबे समय से सामाजिक कार्यों और जनसेवा में सक्रिय थे। उनके निधन से प्रदेश की राजनीति और समाज में शोक की लहर दौड़ गई है।

अश्क अली टांक का जन्म राजस्थान के जालौर जिले में हुआ था। वे प्रारंभ से ही कांग्रेस पार्टी की विचारधारा और सामाजिक समानता के पक्षधर रहे। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र राजनीति से की और 1985 में पहली बार राजस्थान विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। इसके बाद उन्होंने कई बार विधानसभा चुनावों में हिस्सा लिया। वर्ष 2010 में वे राजस्थान से राज्यसभा सांसद निर्वाचित हुए और 2016 तक संसद सदस्य रहे।

संसद में उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने शिक्षा, ग्रामीण विकास, रोजगार और अल्पसंख्यक कल्याण से जुड़े कई मुद्दे उठाए। PRS इंडिया के अनुसार, उनकी उपस्थिति दर 94 प्रतिशत रही, जो उनकी निष्ठा और सक्रियता को दर्शाती है। वे सदन में अपनी शांत लेकिन प्रभावशाली उपस्थिति के लिए जाने जाते थे।

राजनीतिक जीवन में अश्क अली टांक किसी बड़े विवाद में नहीं रहे। उनका नाम हमेशा साफ-सुथरी राजनीति और जनसेवा के प्रतीक के रूप में लिया गया। स्थानीय स्तर पर वे अपने सादे जीवन और सहज व्यवहार के कारण जनता के नेता कहलाते थे।

बताया जाता है कि जब अश्क अली टांक एक बार विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान अपने क्षेत्र में पहुंचे, तो उन्होंने मंच से कहा- “नेता नहीं, पड़ोसी समझकर वोट दीजिए।” यह वाक्य उनके स्वभाव और जनता से गहरे संबंध का प्रतीक बन गया। वे विलासिता से दूर रहते थे, साधारण वाहन में यात्रा करते और आम लोगों के बीच समय बिताना पसंद करते थे।

अश्क अली टांक का पूरा जीवन सामाजिक न्याय, शिक्षा और समान अवसर के लिए समर्पित रहा। कांग्रेस नेताओं ने उनके निधन पर गहरा दुख जताते हुए कहा कि उनका जाना पार्टी के लिए अपूरणीय क्षति है।

पूर्व सांसद मरहूम अश्क अली टांक के आवास पर कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की एवं परिजनों को ढांढस बंधाया। गहलोत ने कहा कि श्क अली टांक का संगठन के प्रति समर्पण एवं उनकी जिंदादिली को हमेशा याद रखा जाएगा।

परिजनों के अनुसार उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव में किया जाएगा, जहां बड़ी संख्या में समर्थक और शुभचिंतक उन्हें अंतिम विदाई देंगे। उनकी सादगी, ईमानदारी और जनसेवा की भावना राजस्थान की राजनीति में हमेशा एक प्रेरक उदाहरण के रूप में याद रखी जाएगी।

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