योगी सरकार के ऊर्जा विभाग में तबादले हुए रस्मी, सरकार की तबादला नीति ठेंगे पर

#मंत्री श्रीकांत शर्मा  की गुडबुक में आया हरदुआगंज का फंदेबाज मानसिंह  

#मानसिंह बिना किसी आधिकारिक आदेश के तबादले के बाद नहीं हो रहा रिलीव.

#मंत्री जी देते हैं कायदे क़ानून की दुहाई, मानसिंह के तबादले में है टांग अड़ाई.

#बिना गाडफादर के DGM, Rai ने वीआरएस की अर्जी लगाई. 

#DGM पद पर तैनात दुर्गा शंकर राय जिनके रिटायरमेंट में 9 महीने से कम का समय है बचा.

#डीएस राय और मानसिंह का रिटायरमेंट नजदीक फिर भी राय का तबादला और मानसिंह को संरक्षण. 

#अधिशाषी अभियंता रामजन्म यादव और कल्याण अधिकारी मानसिंह पर निदेशक कार्मिक का भी आदेश बेअसर.

#राम जन्म यादव की तैनाती मशीनों के पुर्जों की खरीद आदि में है जहां पर भ्रष्टाचार का है पूरा खेल.

#निदेशक कार्मिक द्वारा तबादलों के अंध खेल में निजी मजबूरियों को भी किया जाता है नजर अंदाज.

#संजय तिवारी की मेहरबानी से मलाईदार पदों पर बैठे राम जन्म यादव सरीखे अफसर करते हैं राज.

लखनऊ : योगी सरकार में उसकी तबादला नीति और किये गए तबादले दोनों ऊर्जा विभाग में केवल रस्म भर हैं. यह विभाग के मंत्री और निदेस्षक कार्मिक की मर्जी है कि तबादले के बाद भी खासुलखास का बालबांका न हो और वो बदस्तूर पुराने पद पर बना रहे. रसूखदार मलाईदार पदों पर बैठे इंजीनियरों का तबादला महज दिखावे के लिए होता है, हकीकत में वो अपने पदों पर बने रहते हैं. हां परेशान हाल और दिक्कतें झेल रहे इंजीनियर को तबादले पर जाना ही पड़ता है. अफसरों और कर्मचारियों के तबादलों को लेकर मनमानी और भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है सूबे का ऊर्जा विभाग. उत्पादन निगम के 7 अधिकारी पूरे प्रबंधन पर इस कद्र भारी हैं कि इनपर सरकार की नीतियां भी लागू नहीं हैं. इनकी जड़ें इतनी गहरी हैं कि कोई भी प्रबंधन इनको हिलाने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है.

जबकि इसके विपरीत कुछ ऐसे अफसर हैं जिनका जबरन तबादला कर दिया जाता है और वह इन तबादलों से परेशान होकर वीआरएस ले लेता है. मंत्री श्रीकांत शर्मा की एक अदने से कल्याण अधिकारी पर मेहरबानी इस कदर है कि वह बिना किसी आदेश के तबादला होने के बाद भी 09 महीने से अनिधिकृत रूप से अपनी पुरानी जगह पर तैनात है जहां पर उसकी तैनाती के करीब 33 वर्ष पूरे हो चुके हैं. जबकि इसके विपरीत एक डीजीएम स्तर का अफसर जिसका कोई गॉडफादर नहीं है वह वीआरएस लेने पर मजबूर हो गया.

निदेशक कार्मिक के नये आदेश में तबादला पाए अधिकारी/कर्मचारी को नयी तैनाती की जगह से वेतन प्राप्त करने अन्यथा वेतन रोकने की बात कही गयी है, लेकिन मानसिंह के मामले में इसका पालन नहीं किया जा रहा है. हवाला यह दिया जा रहा है कि 11 महीने उनका रिटायरमेंट बचा है इसलिए रिलीव नहीं किया जा सकता. जबकि इसके विपरीत अनपरा में DGM पद पर तैनात दुर्गा शंकर राय जिनके रिटायरमेंट में 9 महीने से कम का समय बचा है,  उनको तत्काल दबाव बनाकर रिलीव कर दिया गया और उनको लखनऊ में अपनी ज्वाईनिंग देनी पड़ी, जिससे परेशान होकर श्री राय द्वारा ने अपना वीआरएस दिए जाने की जानकारी सामने है.

उत्पादन निगम में निदेशक कार्मिक का आदेश हरदुआगंज में तैनात कल्याण अधिकारी मानसिंह और अनपरा में तैनात अधिशाषी अभियंता राम जन्म यादव पर लागू नहीं होते. हरदुआगंज में 1985 से तैनात मानसिंह जिनका तबादला सबसे पहले 19.12.2014 को स्थानान्तरण नीति के तहत किया गया अपनी तैनाती के एक ही जगह पर 33 वर्ष पूरे कर रहे हैं, का तबादला इन तमाम निर्देशों के बावजूद नहीं किया जा सका है. पूर्व में इनकी पत्नी की अलीगढ में तैनाती होने का हवाला देकर स्थगन आदेश ले लिया गया था जिसकी अवधि 31 मार्च 2018 को समाप्त हो गयी. स्थगन अवधि समाप्त होने के बाद से अभी तक श्री मानसिंह बिना किसी आधिकारिक आदेश के हरदुआगंज में तैनात हैं और उनको रिलीव नहीं किया जा सका है.

निगम में तबादलों को लेकर जो नई जानकारी मिली है, उसमें 5 अफसर अनपरा और ओबरा में वर्षों से जमे हैं तो 02 हरदुआगंज में है. इनको इधर से उधर करने में  प्रबंधन के पसीने छूट रहे हैं. पश्चिम में हरदुआगंज परियोजना में कल्याण अधिकारी के पद पर तैनात मानसिंह पर विभागीय मंत्री श्रीकांत शर्मा की मेहरबानी की खबरें हैं. जबकि मानसिंह करीब तीन दशक से अभी तक एक ही जगह तैनात है. तबादला होने के बाद जुगाड़ से तबादले का स्थगन आदेश हासिल करने वाले मानसिंह के स्थगन आदेश की अवधि भी 31 मार्च 2018 को समाप्त हो गयी फिर भी वह अभी वहीँ बिना किसी अग्रिम आदेश के बना हुआ है.

सुशासन की सरकार और स्वच्छ प्रशासन की दुहाई देने वाले मंत्री श्रीकांत शर्मा की जानकारी में होने के बावजूद मानसिंह मार्च 2018 से बिना किसी विभागीय आदेश के हरदुआगंज में अभी तक तैनात है और उसको रिलीव नहीं किया जा रहा है. जबकि मानसिंह की रिलीविंग के लिए सीजीएम अनपरा द्वारा दो पत्र भी लिखा जा चुका है. इसके विपरीत बिना किसी गाडफादर के नौकरी करने वाले DGM स्तर के अधिकारी DS Rai को दबाव डालकर तबादला कर दिया जाता है और उनको तुरंत ही रिलीव होकर और ज्वाइन करने का फरमान टेलीफोन से सुना दिया जाता है. जिससे आजिज आकर अंततः DS Rai इस्तीफा तक दे देते हैं. यह सब भाजपा की सुशासन वाली पार्टी और उसके  स्वच्छ छवि वाले मेहनती मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में हो रहा है.

हरदुआगंज में बीएस तिवारी को बचाने और उसके काले कारनामों पर पर्दा डालने में कल्याण अधिकारी मान सिंह की भूमिका बड़ी है. मानसिंह की उपयोगिता हरदुआगंज के लिए इस कदर है कि अनपरा के लिए तबादला होने के बावजूद पिछले 4 साल से रिलीव नहीं किया जा रहा है, जबकि सीजीएम अनपरा ने मानसिंह को रिलीव किये जाने को लेकर कई पत्र भी लिख चुके हैं.  जबकि लखनऊ उत्पादन निगम निदेशालय से ट्रान्सफर हुए अधिकारियो को रिलीव करने के कई कड़े निर्देश भी दिए जा चुके हैं. इसके अलावा मजेदार बात यह है कि उसके तबादले को लेकर दिये  गये स्थगन आदेश की अवधि भी मार्च 2018 में समाप्त हो चुकी है इसके बावजूद मानसिंह अभी तक बिना किसी अग्रिम आदेश के हरदुआगंज में बीएस तिवारी और वाही की मेहरबानियों के चलते अभी तक तैनात रहा है और अब इसके गाडफादर के रूप में खुद मंत्री श्रीकांत शर्मा आगे आ चुके हैं. 

बताते चलें कि उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत् उत्पादन निगम के कार्मिक विभाग के तमाम निर्देशों के बावजूद मानसिंह को रिलीव नहीं किया जा रहा है, रिलीव करने के लिए हरदुआगंज के जीएम की भी भूमिका संदिग्ध है. क्यूंकि मानसिंह हरदुआगंज में बीएस तिवारी के कारनामों को मैनेज करने में अहम भूमिका अदा करता रहा है. यही नहीं बीएस तिवारी के सिपहसालार के तौर पर काम कर रहे हरदुआगंज के जीएम आर के वाही, तिवारी के दबाव में मानसिंह को नहीं कर रहे रिलीव जबकि Transferred को न रिलीव करने पर पनकी जीएम को चार्जसीट भी हो चुकी है. बीएस तिवारी और मानसिंह के संबंधो न का अंदाजा हालिया उनके हरदुआगंज दौरे से लगाया जा सकता है जिसमें विद्यासागर तिवारी का हरदुआगंज परियोजना में औचक निरीक्षण या घोटालो में मदद करने वाले विश्वास पात्र प्यादे वेलफेयर ऑफिसर मान सिंह के बेटे की शादी में शामिल होना एक अजब संयोग दोनों की तारीख का एक होना रहा था. मानसिंह से अपने इसी संबंधों के चलते लोगों के बीच चर्चा में आने से बचने के लिए बीएस तिवारी शादी में न जाकर 19 नवम्बर को शाम 4 बजे मानसिंह के घर निमंत्रण देने गया था.

मानसिंह को रिलीव करने को लेकर तमाम तरह की सफाई प्रबंधन द्वारा दी जा रही है जबकि इसी तरह के DGM DS Rai के प्रकरण में प्रबंधन द्वारा दबाव बनाकर ज्वाइन करा दिया गया. बताते चलें कि हरदुआगंज कांड के आरोपी, राख घोटाले में करोड़ों डकारने वाले और बिजली घर की मरम्मत के ठेके मे जमकर वारे न्यारे करने वाले बिजली निदेशक बीएस तिवारी पर जब हरदुआगंज में हुई मजदूरों की मौत को लेकर दर्ज FIR की विवेचना अधिकारी जवां थाने का दरोगा नीलेश लखनऊ में बीएस तिवारी से पूछताछ किया था, उसके बाद बीएस तिवारी ने हरदुआगंज स्थित अपने कनेक्शन को सक्रिय करते हुए मामले को मैनेज करने के लिए इसी कल्याण अधिकारी मानसिंह को जवां थाने के इंचार्ज से मिलने के लिए भेजा था, जिसका खुलासा “अफसरनामा” ने अपनी खबर में किया था.

इसके अलावा एक महत्वपूर्ण बात यह है कि 31 मई 2018 को एक ही दिन अधीक्षण अभियंता दुर्गा शंकर राय और अधिशाषी अभियंता राम जन्म यादव का तबादला क्रमशः पत्रांक संख्या 1944-मा0सं0-01/विउनिलि/2018-46-मा0सं0-01/2013 तथा पत्रांक संख्या 1955-मा0सं0-01/विउनिलि/2018-02-मा0सं0-01/2018(टीसी-ईई) द्वारा किया जाता है जिसमें श्री राय को रिलीव कर दिया जाता है और राम जन्म को नहीं इन सबकी वजह भ्रष्टाचार है. जिसकी बड़ी वजह यह है कि दुर्गा शंकर राय की तैनाती ट्रेनिंग सेक्शन में है जहां पर पैसे का कोई खेल नहीं हो सकता जबकि इसके विपरीत राम जन्म यादव की तैनाती मशीनों के पुर्जों की खरीद आदि में है जहां पर भ्रष्टाचार का पूरा खेल होता है.निदेशक कार्मिक संजय तिवारी द्वारा तबादलों के इस अंध खेल में किसी अधिकारी कर्मचारी की निजी मजबूरियों को भी नजर अंदाज किया जाता है तो वहीँ मलाईदार पदों पर बैठे राम जन्म यादव सरीखे अफसरों को छोड़ दिया जाता है.

पूर्व में निदेशक कार्मिक संजय तिवारी द्वारा दिनांक 21 जून 2018 को पत्रांक संख्या 2065/उ0नि0लि0/निदे0(का0प्रबं0एवं प्रशासन)/2018 के द्वारा स्थानान्तरण सत्र 2018-19 में स्थानांतरित कर्मियों को कार्यमुक्त किये जाने के सन्दर्भ में एक पत्र जारी किया गया. जिसका अनुपालन न होने पर पुनः 19 सितम्बर 2018 को पत्रांक संख्या 3273/उ0नि0लि0/निदे0(का0प्रबं0एवं प्रशासन)/2018 द्वारा स्थानान्तरण सत्र 2018-19 में स्थानांतरित अधिकारियों/कर्मियों को मुख्यालय के निर्देश के बाद भी कार्यमुक्त न किये जाने के सम्बन्ध में एक पत्र जारी किया गया. जिसमें आदेशित किया गया कि सभी स्थानांतरित अधिकारी/कार्मिक अपने माह सितम्बर 2018  का वेतन अपने नव तैनाती स्थल से ही आहरित/प्राप्त करेंगे. इसके बाद फिर निदेशक कार्मिक संजय तिवारी द्वारा एक पत्र दिनांक 29 अक्टूबर 2018 को पत्रांक संख्या 3703/उ0नि0लि0/निदे0(का0प्रबं0एवं प्रशासन)/2018 जारी किया जाता है और उसमें जो अधिकारी अथवा कर्मचारी कार्यमुक्त नहीं हुए हैं के लिए कहा जाता है कि प्रबंध निदेशक महोदय ने मुख्यालय के आदेशों की इस अवहेलना पर घोर अप्रसन्नता व्यक्त की है तथा निर्देशित किया है कि सभी स्थानांतरित अधिकारियों अथवा कर्मचारियों को आज ही कार्यमुक्त करें.

साभार

अफसरनाम डाट काम

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