यूपी बोर्ड: सख्ती के कारण घट रहे हैं बोर्ड के परीक्षार्थी

यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा में नकल पर सख्ती के कारण परीक्षार्थियों की संख्या घटती जा रही है। परीक्षा केंद्रों के ऑनलाइन निर्धारण, सीसीटीवी से निगरानी और एसटीएफ की टीमें लगने के कारण नकल माफियाओं का खेल पिछले दो साल से सिमट गया है। इस साल छात्र-छात्राओं की संख्या में तकरीबन दो लाख की कमी आई है।

2019 की बोर्ड परीक्षा में रिकॉर्ड आठ लाख परीक्षार्थी कम हुए थे। 2017 में सरकार बदलने के साथ ही 16 मार्च से शुरू हुई बोर्ड परीक्षा में सख्ती शुरू हो गई थी। सख्ती के कारण इंटर में 1,32,475 और हाईस्कूल में 4,03,019 कुल 5,35,494 छात्र-छात्राओं ने परीक्षा छोड़ दी थी। 

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वर्ष 2018 की 10वीं-12वीं की परीक्षा में परीक्षार्थियों की संख्या 66,39,268 थी। क्योंकि कक्षा 9 व 11 में इनका रजिस्ट्रेशन 2016 में ही हो गया था, लेकिन 2017 से नकल के खिलाफ सख्ती का नतीजा यह हुआ की 2019 की बोर्ड परीक्षा में परीक्षार्थियों की संख्या 57,95,756 रह गई। क्योंकि 2019 की परीक्षा के लिए 9 व 11 के बच्चों का पंजीकरण 2017 में हुआ था। 2020 की परीक्षा के लिए 10वीं-12वीं के परीक्षार्थियों की संख्या घटकर 56,07,118 रह गई है।

परीक्षा केंद्र कम होने से सख्त हुई निगरानी-
बोर्ड परीक्षा के केंद्रों का निर्धारण ऑनलाइन होने के कारण केंद्रों की संख्या भी कम हुई है। कम केंद्र बनने के कारण निगरानी में सख्ती बढ़ गई है। 2017 की परीक्षा के लिए 11,414 केंद्र बने थे जो 2018 में घटकर 8,549 और 2019 में 8,354 रह गए। 2020 की परीक्षा के लिए 7,784 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं।

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