युद्धग्रस्त ईरान से निकाले गए 110 भारतीय छात्रों का जत्था पहुंचा भारत, खुशी से झूम उठे घरवाले

युद्धग्रस्त ईरान से अर्मेनिया में निकाले गए 100 से अधिक छात्रों को लेकर पहली उड़ान गुरुवार को तड़के दिल्ली पहुंची। इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष के बीच, तेहरान में भारतीय छात्रों को शहर से बाहर निकाला गया, जिनमें से 110 छात्र ‘ऑपरेशन सिंधु’ के तहत मंगलवार को भारतीय दूतावास द्वारा की गई व्यवस्था के माध्यम से सीमा पार कर अर्मेनिया चले गए।

सभी शेष छात्रों को जल्द ही निकाल लिया जाएगा
जम्मू और कश्मीर छात्र संघ ने निकासी अभियान शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर को धन्यवाद दिया। एसोसिएशन ने एक बयान में कहा कि हमें उम्मीद है कि सभी शेष छात्रों को जल्द ही निकाल लिया जाएगा।

परिवार वाले दे रहे सरकार को धन्यवाद
कुछ छात्रों के माता-पिता अपने बच्चों के लिए हवाई अड्डे के बाहर उत्सुकता से इंतजार करते देखे गए। ईरान में एमबीबीएस के छात्र 21 वर्षीय माज हैदर के पिता हैदर अली ने बचाव प्रयासों के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया।

उन्होंने पीटीआई से कहा कि हम वाकई बहुत खुश हैं। छात्रों को सुरक्षित घर वापस लाया गया है। हम इसके लिए भारत सरकार को धन्यवाद देते हैं। लेकिन हमें दुख है कि तेहरान में फंसे छात्रों को नहीं बचाया जा सका है। उन्होंने अधिकारियों से तेहरान में फंसे छात्रों को निकालने का आग्रह किया।

हम भारत सरकार के आभारी हैं- बुलंदशहर निवासी परवेज
समीर आलम के पिता परवेज आलम भी एयरपोर्ट पर अपने बेटे का इंतजार करते देखे गए। बुलंदशहर निवासी परवेज ने पीटीआई को बताया कि उर्मिया में पढ़ते हुए बेटे को दो साल हो गए हैं। सब कुछ ठीक था लेकिन हाल ही में स्थिति खराब हो गई। हम बहुत तनाव में थे। लेकिन भारत सरकार ने छात्रों को आर्मेनिया भेज दिया जहां उन्हें अच्छे होटलों में रखा गया। हम भारत सरकार के आभारी हैं।

समीर आलम के पिता परवेज आलम भी एयरपोर्ट पर अपने बेटे का इंतजार करते देखे गए। बुलंदशहर निवासी परवेज ने पीटीआई को बताया कि उर्मिया में पढ़ते हुए बेटे को दो साल हो गए हैं। सब कुछ ठीक था लेकिन हाल ही में स्थिति खराब हो गई। हम बहुत तनाव में थे। लेकिन भारत सरकार ने छात्रों को आर्मेनिया भेज दिया जहां उन्हें अच्छे होटलों में रखा गया। हम भारत सरकार के आभारी हैं।

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