यहां भगवान राम ने भी किया था अपने पितृदेवों का तर्पण
आज यह स्थल राम गया घाट एवं छोटा गया के नाम से प्रसिद्ध है और दूर-दूर से लोग तर्पण के लिए यहां भारी संख्या में जुटते हैं। काशी प्रयाग के मध्य में स्थित विंध्य क्षेत्र सिद्ध पीठ के साथ पितृों के मोक्ष की कामना स्थली भी है।
पितृपक्ष में रामगया घाट पर पिंडदान करने की परम्परा अति प्राचीन है। ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने गुरु वशिष्ठ के आदेश पर अपने पिता राजा दशरथ को मृत्यु लोक से स्वर्ग प्राप्ति के लिए गया के फल्गू नदी पर पिण्डदान के लिए अयोध्या से प्रस्थान किया तो पहला पिण्डदान सरयू, दूसरा पिण्डदान प्रयाग के भरद्वाज आश्रम, तीसरा विन्ध्यधाम स्थित रामगया घाट, चौथा पिण्डदान काशी के पिशाचमोचन पर कर गया पहुंचे।
पितृपक्ष शुरू होने के साथ विंध्याचल के शिवपुर स्थित रामगया घाट का नजारा बदल जाता है। यहां श्राद्ध कर्म कराने के लिए आस्थावान भारी संख्या में पहुंचते हैं।
वैसे भी रामगया घाट (श्राद्ध कर्म घाट) कई रहस्यों के बीच स्थित है। यह घाट मोक्षदायिनी गंगा एवं विन्ध्य पर्वत का सन्धि स्थल भी है। यहां गंगा विन्ध्य पर्वत को सतत स्पर्श करती हैं।
पितृपक्ष के सोलह दिनों की मान्यता के कारण भाद्रपक्ष से अश्विन की अमावस्या तिथि तक निरंतर श्राद्ध कर्म करने के लिए श्रद्धालुओं का रामगया घाट पर तांता लगा रहता है। मान्यता के अनुसार लोग गया जाने से पूर्व यहां भी पिण्डदान करते है।