यदि ऐसा होता तो कुछ अलग होती रामायण की कथा

रामायण में रावण एक खलनायक के तौर पर पेश किया गया है। यदि रावण का सकारात्मक पक्ष देखें तो वह वेद, शास्त्र, विद्याओं, ज्योतिष और भी अन्य कलाओं का जानकार विद्वान था। लेकिन अहंकार के चलते वह विवेकहीन हो गया। यही कारण था कि प्रभु श्रीराम ने उसका अंत किया।
इस मंदिर में उतारा जाता है आशिकी का भूत
यदि रावण विवेकहीन ने होकर विवेकशील होता तो प्रभु राम, रावण का संहार नहीं कर पाते! रावण के दस सिर थे। लेकिन विवेकहीनता के चलते वो सही-गलत में निर्णय नहीं लेना जानता था। और परिणाम यह हुआ कि वह मारा गया।
गौर करने वाली बात है कि रावण के 10 सिर उलझन के प्रतीक के तौर पर देखे जाते हैं। यानी कहने का आशय है कि यदि सही समय पर बुद्धि और विवेक से निर्णय लिया जाए तो सफलता जरूर मिलती है।