मोहिनी एकादशी की कथा सुनने से मिलता है हजार गौ दान का फल

Mohini Ekadashi Vrat 2025 मोहिनी एकदशी के व्रत के बारे में भगवान राम ने अपने अपने गुरु वशिष्ठ से पूछा था। तब उन्होंने इसकी कथा और उसके महत्व के बारे में उन्हें बताया था। इसके बाद महाभारत काल में युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से वैशाख माह की एकादशी की कथा के बारे में पूछा था।
हर माह में दो एकादशी होती हैं। वैशाख के महीने में मोहिनी एकादशी का व्रत 8 मई को रखा जाएगा। कहते हैं कि इस व्रत के प्रभाव से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। व्यक्ति सुखमय जिंदगी बिताकर मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त करता है।
समुद्र मंथन से जुड़ी मोहिनी एकादशी के व्रत का बहुत महत्व है। इसके बारे में भगवान श्रीराम को उनके गुरु वशिष्ठ ने बताया था और इसके बाद महाभारत काल में इसके बारे में श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था। इसकी कथा पढ़ने या सिर्फ सुनने मात्र से ही हजार गायों के दान के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। तो चलिए पढ़ते हैं मोहिनी एकादशी की व्रत कथा।
मोहिनी एकादशी की कथा
पुराणों के अनुसार, सरस्वती नदी के किनारे एक धनवान वैश्य धनपाल रहता था। उसके पांच बेटों सुमना, द्युतिमान्, मेधावी, सुकृत तथा धृष्टबुद्धि में सबसे छोटा पुत्र पिता के धन का दुरुपयोग करते हुए उसे पाप कर्मों में बर्बाद करता था।
वेश्याओं के साथ समय बिताता, पर-स्त्रियों पर आसक्ति, जुआ-शराब जैसे व्यसनों में लीन रहता है। इन दुर्गोणों के कारण वैश्य ने उसे घर से निकाल दिया।
धन खत्म होने के बाद वेश्याओं और दुष्ट मित्रों ने भी उसका साथ छोड़ दिया। फिर वह अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए चोरी करने लगा। पकड़े जाने पर राजा ने उसे नगर से निकाल दिया। अब धृष्टबुद्धि जंगलों में रहता और जंगली जानवरों को मारकर खाने लगा।
इस दिन महर्षि कौण्डिन्य गंगा स्नान कर आश्रम लौट रहे थे। उनके भीगे कपड़ों के छींटे पड़ने से धृष्टबुद्धि को कुछ सद्बुद्धि आई और उसके कुछ पुण्य उदित हुए, तो उसने महर्षि से अपने पापों से मुक्ति का उपाय पूछा। महर्षि ने उसे मोहिनी एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी।
धृष्टबुद्धि ने महर्षि के बताए उस व्रत किया और उसके सभी पाप नष्ट हो गए। इस व्रत के करने से वह निष्पाप हो गया और मृत्यु के बाद गरुड़ पर आरूढ़ होकर श्रीविष्णुधाम को चला गया। इस प्रकार यह मोहिनी का व्रत बहुत उत्तम है। इसके पढ़ने और सुनने से सहस्त्र गोदान का फल मिलता है।