मुंबई हमला: तहव्वुर राणा ने प्रत्यर्पण रोकने के लिए अपनाए कई हथकंडे

26/11 मुंबई हमलों की साजिशकर्ता आतंकी तहव्वुर राणा गुरुवार को दिल्ली पहुंचा था। इसके बाद कोर्ट से उसे 18 दिनों के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की हिरासत में भेज दिया गया। अब उसे लेकर रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं।

मुंबई में 26/11 के आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक तहव्वुर राणा को 10 अप्रैल को अमेरिका से भारत लाया गया। अब वह यहां कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहा है। इससे पहले उसने अपने प्रत्यर्पण को रोकने के लिए सभी कानूनी रास्ते आजमा लिए थे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण का आश्वासन दिए जाने से कुछ ही सप्ताह पहले आतंकी हमलों के साजिशकर्ता ने इसे रोकने का एक आखिरी प्रयास किया था। राणा के वकील जॉन डी क्लाइन ने 21 जनवरी, 2025 को अमेरिकी विदेश विभाग को लिखे एक पत्र में प्रत्यर्पण को रोकने के लिए 30 से अधिक स्वास्थ्य कारणों और यातना के दावे का हवाला दिया था। उन्होंने यह भी चेतावनी दी थी कि उनके मुवक्किल को भारतीय जेलों में प्रताड़ित किया जा सकता है और खराब स्वास्थ्य के कारण उसकी मौत भी हो सकती है।

तहव्वुर राणा के हथकंडे
क्लाइन के पत्र में लिखा, ‘भारत में मौत की सजा का सामना करने के लिए राणा को प्रत्यर्पित करना एक चौंकाने वाली मिसाल कायम करेगा। अगर राणा ने आत्मसमर्पण किया तो उसे यातना का सामना करना पड़ेगा, खासकर इसलिए क्योंकि वह पाकिस्तानी मूल का एक मुसलमान है, जिस पर भारत के इतिहास में सबसे भयानक आतंकवादी हमले की साजिश रचने का आरोप है। उसे निश्चित रूप से अपमानजनक व्यवहार सहना पड़ेगा।’ उन्होंने भारतीय जेलों की स्थितियों को अमानवीय बताया और कहा कि राणा मुकदमे की प्रतीक्षा करते हुए ही मर जाएगा। अनुरोध में तहव्वुर राणा की कुल 33 कथित स्वास्थ्य समस्याओं का भी जिक्र किया गया है।

पत्र में कहा गया, ‘तहव्वुर की सेहत वर्षों से गिरती जा रही है। वह लॉस एंजिल्स के कुख्यात महानगरीय हिरासत केंद्र में लगभग पांच वर्षों की कैद के बाद और भी बीमार हो गया है। 2024 में उसे पार्किंसंस रोग का पता चला। वह याददाश्त समस्याओं, भटकाव और अत्यधिक ठंड के प्रति संवेदनशीलता से पीड़ित है। उसके मूत्राशय में एक गांठ है, जो कैंसर का संदेहास्पद है।’ तहव्वुर के वकील के मुताबिक, 26/11 हमलों के पीछे का मास्टरमाइंड कोरोनरी धमनी रोग, स्टेज 3 क्रोनिक किडनी रोग, लेटेंट ट्यूबरकुलोसिस, क्रोनिक साइनस रोग, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, हाइपोथायरायडिज्म, सोरायसिस, बढ़े हुए प्रोस्टेट, सुनने की क्षमता में कमी जैसी बीमारियों से पीड़ित है।’

उन्होंने लिखा, ‘उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट के लिए डायलिसिस की आवश्यकता होगी और उन्हें दिल का दौरा, स्ट्रोक, मधुमेह और टीबी का खतरा बना रहेगा। वे मूत्राशय कैंसर का भी इलाज करवा रहे हैं, इस साल के अंत में सीटी स्कैन की उम्मीद है। यदि मूत्राशय कैंसर की पुष्टि होती है, तो उन्हें सर्जरी और कीमोथेरेपी की आवश्यकता होगी। उनके पुराने अस्थमा और सीओपीडी के कारण उन्हें श्वसन संबंधी जटिलताओं का खतरा है।’

अमेरिकी विदेश विभाग का जवाब
अमेरिकी विदेश विभाग ने तहव्वुर राणा के वकील के पत्र का तीन सप्ताह बाद 11 फरवरी को जवाब दिया। इसमें यह स्पष्ट कर दिया गया कि तहव्वुर राणा को प्रत्यर्पित किया जाएगा। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के कार्यालय ने वकील के यातना के दावों को खारिज कर दिया और कहा कि तहव्वुर को भारत भेजने में सभी अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन किया गया। अमेरिका ने तहव्वुर के इलाज की तैयारी में मदद करने के लिए भारतीय अधिकारियों को कोई भी चिकित्सा रिकॉर्ड देने की पेशकश भी की। इसमें कहा गया, ‘हालांकि, इस वारंट के जारी होने के साथ राणा को किसी भी समय भारत को सौंप दिया जा सकता है। इसलिए हमें जल्दी से चिकित्सा जानकारी चाहिए।’

अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की भूमिका की भी जांच
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) 26/11 मुंबई आतंकी हमले की साजिश में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की भूमिका की भी जांच कर रही है। एनआईए मुंबई आतंकी हमले के साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा से दाऊद की भूमिका के बारे में भी पूछताछ कर रही है। एनआईए के अधिकारी राणा से यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि व्यापक पैमाने पर हमले की साजिश कैसे रची गई और इसमें कौन-कौन शामिल था। सूत्रों ने बताया कि एनआईए राणा और डेविड कोलमैन हेडली के बीच दर्जनों फोन कॉल का विश्लेषण कर रही है, ताकि दूसरे देशों तक फैली साजिश की कड़ियों को जोड़ा जा सके। जांचकर्ताओं का मानना है कि इन बातचीत से हमलों के संचालन संबंधी विवरण और पर्दे के पीछे काम करने वालों के बारे में महत्वपूर्ण सुराग मिल सकते हैं। पूछताछ में एक दुबई मैन की भूमिका भी सामने आई है, जो हेडली के कहने पर राणा से मिला था। माना जा रहा है कि इस व्यक्ति को मुंबई आतंकी हमले की साजिश के बारे में पूरी जानकारी थी। एनआईए यह भी जांच कर रही है कि क्या यह संदिग्ध दुबई मैन दाऊद इब्राहिम या दुबई में स्थित डी कंपनी नामक उसके आपराधिक नेटवर्क से जुड़ा कोई अन्य शख्स था।

हमले की साजिश 2005 से ही रची जा रही थी
एनआईए राणा से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी समूह लश्कर-ए-ताइबा (एलईटी) के साथ राणा के संबंधों को लेकर भी पूछताछ कर रही है। मुंबई आतंकी हमले को लश्कर के आतंकवादियों ने ही अंजाम दिया था। एनआईए आईएसआई और लश्कर की भूमिका की पहले से ही जांच कर रही है। एनआईए अधिकारियों का मानना है कि 26/11 हमलों की साजिश 2005 में ही रची जानी शुरू हो गई थी।

नए वॉयस सैंपल को परीक्षण के लिए भेजा गया
अपनी जांच को पुख्ता करने के लिए एनआईए ने राणा के नए वॉयस सैंपल को परीक्षण के लिए भेजा है, ताकि हमले के ठीक बाद की गई कॉल से मिलान किया जा सके। जांचकर्ताओं को यह भी शक है कि हमले से पहले राणा ने देश के कई हिस्सों का दौरा किया और हो सकता है कि उनकी साजिश देश के अन्य शहरों को भी दहलाने की रही हो।

आईएसआई, लश्कर, राणा ने हेडली की मुंबई यात्रा में की थी आर्थिक मदद
आईएसआई, लश्कर, हरकत-उल जिहादी इस्लामी (हूजी) और राणा ने 26/11 आतंकी हमलों से पहले हेडली उर्फ दाऊद सईद गिलानी की मुंबई यात्राओं के दौरान आर्थिक मदद की थी। राणा और हेडली पंजाब प्रांत के अटक जिले में प्रतिष्ठित कैडेट कॉलेज हसन अब्दाल में एक साथ पढ़ते थे। हेडली ने अपनी गवाही में कबूल किया था कि उसने 26-29 नवंबर, 2008 को फिदायीन हमले से पहले उसने कम से कम पांच बार मुंबई का दौरा किया था। हेडली ने अलकायदा के लिए भी काम किया था। अलकायदा नई दिल्ली स्थित नेशनल डिफेंस कॉलेज (एनडीसी) और पुष्कर, गोवा और पुणे में चबाड हाउस को निशाना बनाना चाहता था।

आतंकी राणा ने एनआईए से मांगे कुरान, पेन और कागज
राणा ने एनआईए के सामने तीन मांगें रखीं हैं। सूत्रों के अनुसार, राणा ने कुरान की मांग की थी। इस पर उसे कुरान की एक प्रति दी गई। उसे अपने सेल में पांच बार नमाज अदा करते हुए भी देखा गया। कुरान के अलावा उसने एक पेन और कागज भी मांगा था। सूत्रों ने बताया कि राणा के साथ किसी भी अन्य गिरफ्तार व्यक्ति की तरह व्यवहार किया जा रहा है, कोई विशेष व्यवहार नहीं किया जा रहा है। उसके सभी तीन मांगें पूरी कर दी गई हैं।साजिशकर्ता तहव्वुर राणा पेन के जरिये खुद को नुकसान न पहुंचाए पाए, इसके लिए उस पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। इसके अलावा उसने कोई और मांग नहीं की।

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