महिलाओं के लिए वरदान हैं ये योगासन! PCOD हो या थायरॉइड

आज की स्ट्रेसफुल और असंतुलित लाइफ स्टाइल में हार्मोनल इम्बैलेंस एक आम समस्या बन चुकी है। थकान, मूड स्विंग, वजन बढ़ना, बाल झड़ना, पीरियड्स में अनियमितता जैसी प्रॉब्लम्स इसी का नतीजा हैं।

हार्मोंस शरीर की महत्वपूर्ण ग्रंथियों द्वारा बनाए जाते हैं और शरीर के लगभग हर फंक्शन को प्रभावित करते हैं। इनका संतुलन बनाए रखना जरूरी है और योग इसमें एक नेचुरल और प्रभावी उपाय है। कुछ खास योगासन हार्मोन-संबंधी ग्रंथियों को उत्तेजित कर उन्हें संतुलन में बनाए रखने में मदद करते हैं। तो आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ योगासन और उन्हें करने के सही तरीकों के बारे में

सर्वांगासन
ये आसन थायरॉयड और पिट्यूटरी ग्लैंड को एक्टिव कर पूरे स्वास्थ्य को बनाए रखने में सहायक होता है।

कैसे करें- पीठ के बल लेट जाएं, दोनों पैरों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं और कमर को हाथों से सपोर्ट देकर शरीर को ऊपर उठाएं। शरीर का वजन कंधों पर हो। 30 सेकंड से 1 मिनट तक रोकें।

भुजंगासन
ये आसन एड्रिनल ग्रंथियों को एक्टिव कर तनाव को कम करता है।

कैसे करें- पेट के बल लेट जाएं, हथेलियों को कंधों के पास रखें और सांस लेते हुए सिर और छाती को ऊपर उठाएं। नाभि तक शरीर ऊपर आए। कुछ सेकंड रोकें और फिर धीरे से नीचे आएं।

धनुरासन
ये आसन ओवरी, थायरॉयड और प्रजनन अंगों के लिए काफी फायदेमंद है।

कैसे करें- पेट के बल लेटें, पैरों को मोड़कर हाथों से टखनों को पकड़ें। सांस लेते हुए शरीर को खींचें जिससे कमर से शरीर ऊपर उठे और धनुष का आकार बने।

विपरीत करणी
ये आसन मेंटल स्ट्रेस को कम करता है और हार्मोनल बैलेंस में मदद करता है।

कैसे करें- दीवार के पास लेटें और पैरों को दीवार पर टिकाकर ऊपर करें। हाथ आराम से रखें और आंखें बंद कर 5–10 मिनट तक रहें।

पश्चिमोत्तानासन
इस आसन से प्रजनन प्रणाली और पाचन में सुधार होता है।

कैसे करें- सीधे बैठें, दोनों पैरों को सामने फैलाएं, फिर धीरे-धीरे आगे झुकें और हाथों से पैरों की उंगलियां छूने की कोशिश करें।

अर्ध मत्स्येन्द्रासन
ये आसन लिवर, पाचन और पैंक्रियास को उत्तेजित करता है।

कैसे करें- बैठकर एक पैर को मोड़ें और दूसरे पैर के ऊपर रखें। फिर शरीर को घुमाते हुए विपरीत हाथ से घुटने को पकड़ें और दूसरी दिशा में देखें।

इन योगासनों को रोज सुबह खाली पेट 15–30 मिनट तक करें। साथ में बैलेंस्ड डाइट और पर्याप्त नींद लें। कुछ ही हफ्तों में हार्मोनल संतुलन में सुधार महसूस होगा।

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