महाराष्ट्र: बाढ़-बारिश से किसान बेहाल…सीएम चुनाव में व्यस्त

बिहार चुनाव में भाजपा के सभी कद्दावर नेता पार्टी प्रत्याशियों के लिए वोट मांगने में व्यस्त हैं। इन नेताओं में एक नाम महाराष्ट्र के सीएम फडणवीस का भी है। ऐसे में उद्धव ठाकरे ने फडणवीस पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा एक तरफ जहां पूरे महाराष्ट्र में किसान बाढ़ और बारिश से परेशान हैं। वहीं, सूबे के मुखिया बिहार चुनाव में व्यस्त हैं।
उद्धव ठाकरे ने बुधवार को मराठवाड़ा दौरे की शुरुआत नांदर गांव से की और आगे बीड, पाथरुड और शिरसव गांवों में जाकर किसानों से मुलाकात की। याहं उन्होंने कहा कि 30 जून 2026 तक कृषि ऋण माफी पर फैसला टालना किसानों के साथ अन्याय है। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि अगर किसानों की मांगें जल्द नहीं मानी गईं, तो राज्यव्यापी रास्ता रोको आंदोलन किया जाएगा।
वादों के सहारे भ्रमित कर रही है सरकार- ठाकरे
उद्धव ने बस किसानों का ही नहीं बल्कि महिलाओं का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि ये सरकार केवल वादों के सहारे भ्रमित कर रही है। मुख्यमंत्री बिहार में हैं। वे वहां महिलाओं को 10000 रुपये देने की बात कर रहे हैं, जबकि महाराष्ट्र में महिलाओं को सिर्फ 1,500 रुपये दिए जा रहे हैं। यह भेदभाव क्यों? सिर्फ इसलिए कि बिहार में चुनाव हैं?
क्या पीएम मोदी के लिए महाराष्ट्र सौतेला है?
उद्धव ठाकरे ने कहा कि फडणवीस ने अपने भाषण में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार से सबसे ज्यादा प्यार करते हैं, तो क्या महाराष्ट्र उनके लिए सौतेला है? ठाकरे ने कहा कि पीएम को पूरे देश से समान प्रेम होना चाहिए, न कि चुनावी राज्यों तक सीमित। उन्होंने जनता से अपील की कि वे सरकार के खोखले वादों के जाल में न फंसें और एकजुट होकर आंदोलन करें। उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा सत्र में किसानों के मुद्दे पर सवाल उठाए जाएंगे और सरकार को जवाब देना ही होगा।
सरकार का राहत पैकेज सिर्फ दिखावा- ठाकरे
राज्य सरकार द्वारा घोषित 31,628 करोड़ रुपये के राहत पैकेज पर भी ठाकरे ने सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों के खातों में सिर्फ नाम मात्र की राशि डाली है। पालघर और अकोला के कुछ किसानों को दो रुपये और छह रुपये की सहायता दी गई है। यह किसानों का अपमान है। ठाकरे ने आगे मांग की कि किसानों को 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा दिया जाए और पूरी ऋण माफी तुरंत लागू की जाए।
बीमा कंपनियों को जवाब देना होगा- ठाकरे
धाराशिव में ठाकरे ने कहा कि अगर बीमा कंपनियां 15 से 30 दिनों में किसानों को मुआवजा नहीं देतीं, तो किसान खुद उनके कार्यालयों में पहुंचेंगे। उन्होंने बताया कि किसान 1500 रुपये तक का प्रीमियम भरते हैं लेकिन बदले में उन्हें दो या तीन रुपये की राशि मिल रही है। ठाकरे ने पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे उन किसानों का पूरा डेटा इकट्ठा करें जिन्हें न्यूनतम मुआवजा मिला है। उन्होंने कहा कि ‘आनंदाचा शिधा’ और शिव भोजन योजना जैसी योजनाएं ठप पड़ी हैं और सरकार किसानों को बेसहारा छोड़ चुकी है।





