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करीब दो महीने पहले 29 सितंबर 2016 की तारीख भारतीय सेना के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गई । इस दिन तड़के भारतीय सेना की उत्तरी कमान की चौथी व नौवीं बटालियन की स्पेशल फोर्स पैरा कमांडो ने एलओसी को पार कर पाकिस्तान के दर्जनों आतंकियों को उनके अभी बहुत समय नहीं हुआ है
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जब ऐसी ही एक सर्जिकल स्ट्राइक में इन पैरा कमांडो ने म्यांमार में घुसकर वहां चल रहे आतंकी कैंपों को तबाह कर दिया था। ऐसे में ये जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर कौन हैं ये पैरा कमांडो और कैसे होते हैं ट्रेंड?

कौन हैं पैरा कमांडो?
पैरा कमांडो भारतीय सेना की पैराशूट रेजीमेंट की स्पेशल फोर्स की यूनिट है जिसके जिम्मे स्पेशल ऑपरेशन, डायरेक्ट एक्शन, बंधक समस्या, आतंकवाद विरोधी अभियान, गैरपरंपरागत हमले, विशेष टोही मुहिम, विदेश में आंतरिक सुरक्षा, विद्रोह को कुचलने, दुश्मन को तलाशने और तबाह करने जैसे सबसे मुश्किल काम आते हैं।
पैसा कमांडो की तरह नौसेना के पास मारकोस तो एयरफोर्स के पास गरुड़ कमांडो है। ये स्पेशल फोर्स देश ही नहीं, विदेशों में भी कई बड़े ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दे चुकी है। इस टीम ने जो कारनामा किया, उसे तो देश लंबे वक्त तक याद रखेगा।

पैरा की अपनी यूनिट और सेना की दूसरी यूनिटों से जवान लिए जाते हैं। पूरे तीन महीने तक सेलेक्शन चलता है। इस दौरान थकावट, मानसिक और शारीरिक यातना आदि सभी दौर से गुजारा जाता है। शरीर पर 60 से 65 किलो वजन और 20 किलोमीटर की दौड़ से पैरा कमांडो के दिन की शुरुआत होती है।
एक पैरा कमांडो की ट्रेनिंग काम के साथ-साथ साढ़े तीन साल तक चलती रहती है। उसके बाद भी वक्त के हिसाब से कमांडो को अपडेट किया जाता रहता है। एक पैरा कमांडो को साढ़े 33 हजार फुट की ऊंचाई से कम से कम 50 जंप लगानी जरूरी होती हैं। एयरफोर्स के पैरा ट्रेनिंग स्कूल आगरा में इन्हें ट्रेनिंग दी जाती है।
पानी में लड़ने के लिए नौ सेना डाइविंग स्कूल कोच्चि में ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग के दौरान ही करीब 90 प्रतिशत जवान ट्रेनिंग छोड़ जाते हैं। कई बार ट्रेनिंग के दौरान ही जवानों की मौत भी हो जाती है।

पैरा कमांडो के हथियार
- ग्लोक-17, बैरोटा-92 और 1ए 9 एमएम सेमी ऑटोमैटिक पिस्टल
- हैकलर और कोच एमपी5, 1ए एसएमजी सब मशीनगन
- माइक्रो यूजी 9एमएम सब मशीनगन
- टीएआर-21 टवोर असॉल्ट रायफल
- एम4ए1 -कारबाइन
- एमपीआई केएमएस-72-असॉल्ट रायफल
- पीएम एमडी-90 असॉल्ट रायफल
- वीएजेड-58 असॉल्ट रायफल
- एसवीडी ड्रगोनोव सेमी ऑटोमैटिक स्निपर रायफल
- आईएमआई गलिल स्निपर ऑटोमैटिक स्निपर रायफल
- मऊसेर एसपी 66 बोल्ट एक्शन स्निपर रायफल
- पीकेएम लाइट मशीनगन
- यूके वीजेड-59एल लाइट मशीनगन
- एमजी 2ए1 जनरल पर्पज मशीनगन
- एजीएस ऑटोमैटिक ग्रेनेड लांचर
- बी-300 शीपोन 82 एमएम रॉकेट लांचर
एक ऑपरेशन के दौरान पैरा कमांडो ध्रुव और चेतक हेलीकॉप्टर, सी-130 जे सुपर हरक्यूलिस विमान और सभी तरह के मैदानी वाहन इस्तेमाल करते हैं।

पैरा कमांडो के कुछ बड़े ऑपरेशन
- बांग्लादेश मुक्ति संग्राम, दिसंबर 1971: पाकिस्तान की सेना के खिलाफ 16 दिन लड़ा गया यह दुनिया का सबसे छोटा युद्ध था। इस लड़ाई में पाकिस्तान के करीब 90 हजार सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था और बांग्लादेश को आजादी मिली थी।
- ऑपरेशन ब्लूस्टार, पंजाब 1984: ये ऑपरेशन 1984 में एक जून से आठ जून तक चला। इस दौरान स्वर्ण मंदिर में छिपे आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले और उसके साथियों को खत्म कर इस पवित्र गुरुद्वारे को उनके कब्जे से आजाद कराया गया।
- ऑपरेशन पवन 1987: श्रीलंका में लिट्टे के खिलाफ पैरा कमांडो ने इस ऑपरेशन पवन को अंजाम दिया। इस ऑपरेशन का मकसद भारत से गई शांति सेना की मदद करना था।

- ऑपरेशन कैक्टस 1988: तीन नवंबर की रात इस ऑपरेशन को मालदीव में अंजाम दिया गया था और वहां तख्तापलट की कार्रवाई को फेल किया गया। इसके लिए आईएल-76 जहाज से पैरा कमांडो मालदीव भेजे गए थे।
- ऑपरेशन रक्षक 1995: इसे कश्मीर में अंजाम दिया गया था। आतंकवादियों ने कुछ लोगों को बंधक बना लिया था। बंधकों को छुड़ाने के लिए पैरा कमांडो की टीम भेजी गई थी।
- कारगिल युद्ध, 1999: जुलाई-1999 में कश्मीर में कारगिल की पहाड़ियों पर पाकिस्तान की फौज ने कब्जा कर लिया। इस लड़ाई में पाक फौज और आतंकवादियों के खिलाफ पैरा कमांडो का इस्तेमाल हुआ जिसके चलते एक बार फिर पाक को भारत के हाथों मुंह की खानी पड़ी।
- ऑपरेशन खुखरी 2000: ऑपरेशन खुखरी जुलाई 2000 में सियारा लियोन में किया गया। वहां काम कर रही संयुक्त राष्ट्र की फौज को विद्रोहियों ने घेर लिया था। जिसके बाद पैरा कमांडो ने पहुंचकर ऑपरेशन खुखरी को अंजाम दिया।
- म्यांमार 2015: 4 जून, 2015 को मणिपुर में उग्रवादियों ने देश के 18 जवानों को शहीद किया। इसका बदला लेने का काम पैरा कमांडो को सौंपा गया। इन कमांडो ने म्यांमार सीमा में घुसकर 38 उग्रवादियों को ढेर कर दिया।