भाजपा की स्थानीय राजनीत में बाबूजी मतलब है लालजी टंडन,कार्यकर्ताओं के लिए सर्वसुलभ नेता में थी उनकी पहचान
भाजपा की स्थानीय राजनीत में बाबूजी मतलब लालजी टंडन। अगर किसी ने कहा कि बाबूजी के घर जाना है। मतलब चौक के सोंधी टोला पहुंचना है। चौक के सोंधी टोला से राजनीति का ककहरा सीखने वाले लालजी टंडन एक समय भाजपा के कद्दावर नेता बन गए थे। कहा जाए तो वह लखनऊ में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की परछाई थे।
खास यह है कि टंडन जी के घर पर तब भी दरबार सजता था, जब विपक्ष में रहते थे। सरल स्वभाव और कार्यकर्ताओं के लिए सर्वसुलभ नेता में उनकी पहचान थी। कोई भी सिफारिश कराने के लिए उन तक बिना किसी रोक-टोक के पहुंच जाता था। सुबह अपने पुराने आवास सोंधी टोला मर और शाम चार बजे टंडन जी त्रिलोकनाथ रोड सरकारी आवास पर हर किसी से मिलते थे। कार्यकर्ताओं की हुजूम रहता था। हर किसी को पूरा सम्मान मिलता था और मठरी, चाय और तली लइया का भी इंतजाम रहता है। जब दो वर्ष पूर्व वह बिहार के राज्यपाल बनाए थे तो शहर खुशी से झूम उठा था। पर, कार्यकर्ताओं को बाबूजी की दूरी का गम भी था। कार्यकर्ताओं के लगा कि अब किस दरबार में अपनी फरियाद लेकर जाएंगे। वह मंडली भी दुखी थी, जिसके साथ घंटों बैठकर लालजी टंडन अतीत में खो जाते हैं।
लखनऊ की गलियां और टंडन जी
पुराने शहर की शायद ही कोई गली हो, जो शायद टंडन जी की जानकारी में न हो। गलियां, खानपान और रहन-सहन उनके दिलों दिमाग में बसा है और उनकी पुस्तक ‘अनकहा लखनऊ’ में लखनऊ का अतीत दिखता है। पक्षियों का भी उन्हें खासा शौक है और मंत्री रहते हुए भी वह कभी कभी नक्खास के पक्षी बाजार पहुंच जाते थे।
कड़कपन भी दिखता था
लालजी टंडन जितने सरल स्वभाव के थे तो निर्णय लेने में कठोर भी थे। नगर विकास मंत्री के रूप में उन्होंने शहर के विकास में बाधा बने अवैध कब्जों को बुलडोजर से जमींदोज कर दिया था। कई बड़े और प्रभावशाली लोगों का अवैध निर्माण गिराया गया था। उनकी इस कार्रवाई का भाजपा में भी विरोध हुआ था लेकिन वह अपने निर्णय से पीछे नहीं हटे। आवागमन में बाधा बनी चौक की दो भुर्जिया उन्होंने भारी विरोध के बीच देर रात चार बुलडोजर से तुड़वा दिया था।
सभासदी से सार्वजनिक जीवन
लालजी टंडन का सार्वजनिक जीवन नगर महापालिका के सभासद के रूप में 1962 से शुरू हुआ था। 1960 में हुए सभासद चुनाव में तत्कालीन कांग्रेसी सभासद महेश चंद्र शर्मा के निधन के बाद हुए उप चुनाव में लालजी टंडन जनसंघ के उम्मीदवार और जीत हासिल की।
पूर्वज सआदतगंज के निवासी थे
वैसे लालजी टंडन के पूर्वज पुराने लखनऊ के सआदतगंज के निवासी थे लेकिन कलांतार में उनके पिता शिव नारायण जी सआदतगंज छोड़कर चौक के सोंधी टोला में आ गए थे। चार भाईयों व पांच बहनों वाले लालजी टंडन की प्रारम्भिक शिक्षा खत्री पाठाशाला में हुई थी और फिर कालीचरण इंटर कॉलेज से पढ़ाई की। शिक्षक मोहन लाल सक्सेना का प्रभाव टंडन जी पर काफी पड़ा था। इंटर पास करने के बाद ङ्क्षहदी, राजनीति शास्त्र और इतिहास विषय में बीए में दाखिला लिया था। लॉ में भी दाखिला लिया था लेकिन परीक्षा नहीं दे सके थे। सामाजिक कार्य में व्यस्तता के चलते बीए में उपस्थिति कम हो गई थी और परीक्षा में न बैठने की स्थिति आ गई थी। तब वाइस चांसलर अय्यर की विशेष अनुमति से परीक्षा दी और पास हो गए। अपने भाईयों में सबसे छोटे लालजी टंडन का विवाह 1959 में सोंधी टोला निवासी कृष्णा से हुआ था।