बिहार चुनाव परिणाम के बाद लालू यादव परिवार पर संकट अपार

बिहार विधानसभा चुनाव का परिणाम आने के अगले दिन लालू प्रसाद यादव के परिवार में त्रासदी की बड़ी तस्वीर सामने आई। लालू यादव परिवार में दूसरे नंबर की बेटी रोहिणी आचार्य ने पहले कहा कि उन्होंने परिवार छोड़ दिया। पार्टी छोड़ दी। फिर पटना से निकलते समय कहा कि मुझे परिवार से निकाल दिया। तेजस्वी यादव के दो करीबियों का नाम लेकर कहा कि उनके बारे में बोलने पर चप्पल उठाई जाती है। अब, आज सोशल मीडिया पर लिखा कि मुझपर चप्पल उठाई गई। लेकिन, क्या बात बिहार चुनाव परिणाम आने के बाद शुरू हुई? बिल्कुल नहीं। यह हंगामा 2024 की शुरुआत में ही शुरू हो गया था। जमीन तो उससे पहले बन गई थी। आइए, जानते हैं कि लालू परिवार पर संकट अपार… की शुरुआत कैसे हुई?
लालू प्रसाद जब मुख्य धारा में शीर्ष पर थे, तब उनकी पत्नी राबड़ी देवी के भाई साधु यादव और सुभाष यादव का जलवा था। मीसा भारती और रोहिणी आचार्य की शादी तक यह जलवा कायम था। जैसे-जैसे लालू परिवार की नई पीढ़ी राजनीतिक समझ के साथ आगे बढ़ने लगी तो सबसे पहले साधु-सुभाष निकाल बाहर किए गए। दोनों भाई इस परिवार का सबकुछ जानते हैं। बहुत कुछ बता भी चुके हैं। अब भी बहुत कुछ छिपा रखा है, यह भी सभी जानते हैं। लेकिन, अब उससे आगे बेटियों की चर्चा। बड़ी बेटी मीसा भारती फिलहाल पार्टी और परिवार में सक्रिय हैं, जबकि रोहिणी आचार्य ने परिवार छुड़ाए और राजनीतिक छोड़ने की जानकारी दी। अगर, 2024 के लोकसभा चुनाव में मीसा भारती ने केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव को नहीं हराया होता तो शायद उनका दर्द भी सामने आ जाता। रामकृपाल यादव कभी राजद के मजबूत आधार-स्तंभ थे, लेकिन एक सीट को लेकर चाचा के सामने भतीजी मीसा भारती उतरीं और हरा नहीं सकीं तो मामला राज्यसभा भेजकर संभाला गया था।
रोहिणी आचार्य ने पिता को दूसरा जीवन दिया, सहानुभूति में टिकट देना मजबूरी
शादी के बाद पति राव समरेश के साथ सिंगापुर में रह रहीं रोहिणी आचार्य बाकी बहनों राजलक्ष्मी, अनुष्का, रागिनी, हेमा और चंदा की तरह बिहार की राजनीति से दूर थीं। 2022 में जब सिंगापुर बुलाकर पिता लालू प्रसाद को रोहिणी आचार्य ने अपनी किडनी दान में दी और इलाज कराने के बाद भारत भेजा, तब तक उनके प्रति सहानुभूति की लहर फैल चुकी थी। लालू प्रसाद ने बिहार में एक सभा को वर्चुअल तरीके से संबोधित किया तो भी रोहिणी को लेकर नारे लगे। उन्होंने बेटी से जीवनदान मिलने का जिक्र भी किया। इन परिस्थितियों ने रोहिणी आचार्य के लिए राजनीतिक जमीन तैयार कर दी।
2023 के अंत को थोड़ा यादव करना होगा। इस समय रोहिणी आचार्य सक्रिय राजनीति में नहीं उतरी थीं, लेकिन राजनीतिक बयानों से चर्चा में आने लगी थीं। बार-बार लग रहा था कि जनादेश 2020 के बाद अचानक आई महागठबंधन सरकार गिर सकती है। लेकिन, मुहर नहीं लग रही थी। अचानक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर रोहिणी आचार्य का एक तीखा बयान आया और 24 घंटे के अंदर लोगों ने महागठबंधन सरकार गिरते और जनादेश 2020 के आधार पर चुनी गई एनडीए सरकार को वापस आते देख लिया।
ऐसा नहीं है कि रोहिणी के एक बयान से वह सरकार गिरी, लेकिन रोहिणी ने तब वह भी लिख दिया था जो तत्कालीन उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी चाचा नीतीश कुमार के बारे में बोलने से बच रहे थे। इसके बाद रोहिणी सक्रिय राजनीति में उतरीं और लोकसभा चुनाव 2024 में पिता लालू प्रसाद यादव ने उन्हें सारण लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता राजीव प्रताप रूडी के खिलाफ टिकट भी दे दिया। इस चुनाव में रोहिणी की हार के बाद से ही लालू परिवार में उनका सितारा खराब दिखने लगा। मीसा भारती ने राज्यसभा सांसद रहते पाटलिपुत्र से भाजपा के रामकृपाल यादव को हरा दिया, जबकि दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य हार गईं।
बिहार विधानसभा चुनाव में उतरने की बात से हंगामा फिर बढ़ा, छिपाने की कोशिश
रोहिणी आचार्य लोकसभा चुनाव हार कर सिंगापुर लौटीं। इस बीच वह भाई तेजस्वी यादव की खुशियों में शरीक होने के लिए आईं भी। लेकिन, परिवार के अंदर कहीं-न-कहीं बवाल चलता रहा। मनमुटाव के रूप में ही सही। कहा जाता है कि तेजस्वी यादव के आसपास रहने वालों ने उन्हें लगातार समझाया कि परिवार से किसी नए सदस्य को राजनीति में आगे फिलहाल न आने दें। समझाने वाले शब्द भले दूसरे हों, लेकिन अंदर से निकल कर बार-बार आयी यही बात।
लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती और तेजस्वी यादव पर लगातार जेल जाने का खतरा मंडराता रहता है। इस मामले में तेज प्रताप यादव कुछ हद तक दूर हैं, हालांकि पत्नी-प्रताड़ना में उनके लिए भी ऐसी आशंका जताई जा रही थी। रोहिणी आचार्य तो घोटाले के आरोपों से पूरी तरह दूर हैं और पिता को किडनी दान करने के बाद हर दल में उनके प्रति सहानुभूति रही है। बिहार विधानसभा चुनाव के सीट बंटवारे का झंझट जब चल रहा था, तब रोहिणी के मैदान में उतरने की चर्चा गरम थी। फिर परिवार में कुछ हुआ और रोहिणी ने ही मना कर दिया कि ऐसी कोई बात नहीं है।
रोहिणी आचार्य निर्वासित भाई तेज प्रताप यादव के साथ सबसे पहले खड़ी हुईं
लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव पर तेजस्वी यादव के मुकाबले बहुत बड़े-बड़े आरोप रहे हैं, लेकिन एक युवती के साथ उनकी सहज देखी जाने लायक तस्वीर वायरल हुई तो हंगामा मच गया। हंगामा मीडिया में मचा। राजद के अंदर नहीं। और, सबसे बड़ा हंगामा लालू प्रसाद यादव के परिवार में। तेजस्वी यादव को अपने समकक्ष की सारी राजनीतिक शक्तियां देने के बाद पोस्टरों से गायब होते गए लालू प्रसाद यादव की ओर से एक आदेश आया कि तेज प्रताप यादव को पार्टी ने छह साल के लिए निष्कासित किया और परिवार से आजीवन। यह आदेश भी लालू प्रसाद ने सामने आकर या वीडियाे के जरिए नहीं दिया। कभी खुलकर बोले भी नहीं। लेकिन, इस आदेश की जद में तेज प्रताप की मां राबड़ी देवी और बहनें भी आ गईं। ऐसा कि तेज प्रताप राखी के दिन भी बहनों का इंतजार करते दिखे। ऐसे में जब बिहार चुनाव आया तो रोहिणी आचार्य मुखर होकर उन्हें बधाई देती पहली बार सामने आईं।
तेज प्रताप ने जो छिपाया, वह भी रोहिणी आचार्य ने दिखा दिया पटना छोड़ते-छोड़ते
लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने दल-परिवार से निकाले जाने के कुछ दिन बाद से बोलना शुरू किया तो पिता-माता के प्रति कोई बुरी बात नहीं कही। तेजस्वी यादव और उनके आसपास रहने वालों पर निशाना साधते रहे। जयचंद बताते रहे। लेकिन, ऐसा लग रहा है कि लालू परिवार के बिखराव की पूरी कहानी वही है, जो लोग बता रहे। मतलब, तेजस्वी यादव अकेले विरासत संभालने वाले रहें और उनके बाद उनकी पत्नी। बाकी कोई नहीं। रोहिणी आचार्य ने चुनाव भी नहीं लड़ा। मतदान के समय लालू-तेजस्वी के साथ भी नजर आईं। लेकिन, इस राजनीतिक परिवार में मुखर होना उनके लिए मुसीबत बन गया। उन्होंने तेज प्रताप के प्रति सद्भावना दिखाई और जब बिहार चुनाव परिणाम में राजद की हार को लेकर तेजस्वी यादव के आसपास रहने वालों संजय यादव और रमीज़ को लेकर सवाल किया तो उन्हीं के अनुसार उनपर चप्पल भी उठाई गई। बेइज्जती की गई। सोशल मीडिया पोस्ट और वीडियो के जरिए उन्होंने बहुत कुछ लिख दिया। इस बात की तस्दीक राजद की अग्रणी नेत्री रहीं रितु जायसवाल ने भी की।





