बजाज आलियांज के कैशलेस ट्रीटमेंट रोक विवाद में जनरल इंश्योरेंस काउंसिल ने ली एंट्री

Cashless Treatment बीमा कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली शीर्ष संस्था जनरल इंश्योरेंस काउंसिल ने बजाज आलियांज और केयर हेल्थ इंश्योरेंस के खिलाफ AHPI के कदम की आलोचना की और इसे अचानक और एकतरफा कार्रवाई बताया जिससे नागरिकों में व्यापक भ्रम और चिंता पैदा हो गई है।
Cashless Treatment: एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इंडिया (AHPI) द्वारा उत्तर भारत में अपने सदस्य अस्पतालों को बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस और केयर हेल्थ इंश्योरेंस के पॉलिसीधारकों के लिए कैशलेस सुविधाएं प्रदान करना बंद करने की सलाह दी। इसके बाद खबर उड़ी की 1 सितंबर से कैशलेस इलाज बंद हो जाएगा। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया भी कूद पड़ी है। IRDAI के बाद अब इस मुद्दे पर जनरल इंश्योरेंस काउंसिल की भी एंट्री हो चुकी है।
जनरल इंश्योरेंस काउंसिल ने मंगलवार को कहा कि AHPI की ओर से इस “अचानक एकतरफा कार्रवाई” ने नागरिकों के बीच अनावश्यक भ्रम और चिंताएं पैदा की हैं, जिससे स्वास्थ्य बीमा पारिस्थितिकी तंत्र में विश्वास प्रभावित हुआ है। यह कार्रवाई मनमानी थी, इसमें स्पष्टता या कार्रवाई योग्य विवरण का अभाव था।
एकतरफा कार्रवाई, नागरिकों को होगा नुकसान: GI Council
जनरल इंश्योरेंस काउंसिल ने साफ किया कि कैशलेस इलाज की पहुंच में बाधा डालने वाली कोई भी कार्रवाई सीधे तौर पर नागरिकों को नुकसान देती हैं। कैशलेस सेवा में बाधा न केवल इलाज पर पहले से अधिक खर्च और जेब से होने वाले खर्चों के माध्यम से परिवारों को सीधे प्रभावित करती है, बल्कि गंभीर चिकित्सा स्थितियों में तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता वाले रोगियों के जीवन को भी खतरे में डालती है।
काउंसिल ने आगे कहा कि एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स इंडिया (AHPI) की ओर से इस तरह की कार्रवाई मानव जीवन की पवित्रता को कमजोर करती है, खासकर ऐसे मामलों में जहां आपातकालीन अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है, जहां पॉलिसीधारक को कैशलेस उपचार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए और उसे वित्तीय व्यवस्था करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। जीवन की रक्षा करना और यह सुनिश्चित करना कि स्वास्थ्य बीमा प्रत्येक भारतीय नागरिक के लिए एक विश्वसनीय और किफायती सुरक्षा जाल बना रहे, संपूर्ण स्वास्थ्य सेवा पारिस्थितिकी तंत्र की संयुक्त जिम्मेदारी है।
जनरल इंश्योरेंस काउंसिल ने कहा कि भारत में स्वास्थ्य बीमा उद्योग ने गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा को सभी के लिए सुलभ और किफायती बनाने के लिए निरंतर प्रयास किया है। कैशलेस एवरीवेयर और नेशनल हेल्थ क्लेम्स एक्सचेंज (NHCX) जैसी पहलों की शुरुआत इस उद्देश्य से की गई है कि नागरिक देश में कहीं भी बिना किसी वित्तीय तनाव के निर्बाध उपचार प्राप्त कर सकें।
काउंसिल ने आगे कहा कि बीमा कंपनियों ने इन सुधारों को लागू करने में भारी निवेश किया है और करोड़ों स्वास्थ्य बीमा नामांकनों का समर्थन किया है और 2023-24 के दौरान 87,000 करोड़ रुपये से अधिक के दावों का निपटान किया है, जो भारत के लोगों के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रत्यक्ष प्रमाण है।
बीमा कंपनी अस्पतालों के खिलाफ कर सकती हैं कार्रवाई
देश के गैर-जीवन बीमा उद्योग और भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करने वाली जीआईसी ने कहा कि जब किसी बीमाकर्ता को “अनुचित तरीके से निशाना बनाया जाता है” तो उद्योग “एकजुट” हो जाता है। वहीं, IRDAI ने साफ कहा है कि नियम के अनुसार अगर कोई भी अस्पताल कैशलेस इलाज से इंकार करता है तो बीमा कंपनियां उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकती हैं।