बच्चे को स्कूल भेजते वक्त नहीं करनी चाहिए ये 5 गलतियां

क्या आप जानते हैं कि सुबह बच्चों को भेजते हुए पेरेंट्स की कुछ गलतियां बच्चों का पूरा दिन खराब कर देती हैं। आमतौर पर पेरेंट्स इन गलतियों पर ध्यान नहीं देते या उन्हें पता भी नहीं चलता कि उनसे गलती हो रही है। लेकिन इनमें सुधार न किया जाए तो बच्चे के मन पर बुरा असर पड़ने लगता है।

जरा सोचिए, सुबह का वो हड़बड़ाहट भरा वक्त… बच्चा नाश्ता छोड़ रहा है, उसका होमवर्क कॉपी बैग में नहीं है, और आप देरी से ऑफिस जाने की टेंशन में हैं। ऐसे में गुस्सा आना या जल्दबाजी में कुछ ऐसा बोल देना जो आपका बच्चा सुन ले, बहुत आम बात है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्कूल भेजते वक्त की गई ये छोटी-छोटी गलतियां आपके बच्चे का पूरा दिन बिगाड़ सकती हैं? बच्चे का दिमाग बहुत सेंसिटिव होता है और सुबह की शुरुआत उसके मूड, फोकस और पूरे दिन के परफॉर्मेंस को तय करती है। ऐसे में आपको कुछ गलतियां करने से बचना चाहिए। आइए जानते हैं वो 5 बड़ी गलतियां जिन्हें सुबह-सवेरे बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।

जल्दबाजी का माहौल बनाना
सबसे बड़ी और सबसे आम गलती है सुबह-सुबह तनाव भरा माहौल पैदा करना। “जल्दी करो!”, “तुम्हें हमेशा लेट हो जाता है!”, “अभी तक तैयार क्यों नहीं हुए?” जैसी बातें बच्चे के दिमाग पर तनाव का इंजेक्शन लगाने का काम करते हैं। इससे बच्चा स्कूल तनाव में जाता है, वह पढ़ाई पर ध्यान नहीं लगा पाता और स्ट्रेस में रहता है। उसका दिमाग पढ़ाई के बजाय सुबह हुई झड़प पर अटका रह जाता है।

इससे बचने के लिए रात से ही तैयारी शुरू कर दें। बैग पैक करना, यूनिफॉम निकालना, टिफिन प्लान करना जैसे काम रात को ही कर लें, ताकि सुबह उठकर हड़बड़ी न हो।

नाश्ता छोड़ने देना या जबरदस्ती खिलाना
दोनों ही स्थितियां नुकसानदायक हैं। कई माता-पिता जल्दबाजी में बच्चे को बिना नाश्ता किए ही भेज देते हैं। खाली पेट बच्चे में एनर्जी की कमी, चिड़चिड़ापन और पढ़ाई में मन न लगने की समस्या पैदा होती है। वहीं, दूसरी ओर जबरदस्ती खिलाना भी उतना ही नुकसानदेह है। इससे बच्चे के मन में खाने को लेकर नेगेटिविटी पैदा होती है और कई बार उल्टी भी हो जाती है।

इससे बचने के लिए ऐसा हल्का और पौष्टिक नाश्ता दें जो बच्चा चाव से खाए। अगर वह खाने में आनाकानी कर रहा है तो उसे डांटें नहीं, बल्कि प्यार से समझाएं। स्मूदी, पराठा, सैंडविच, उपमा जैसे ऑप्शन्स रखें।

पढ़ाई या होमवर्क का दबाव बनाना
स्कूल जाते वक्त ही दरवाजे पर खड़े-खड़े यह कहना, “आज टीचर ने जो कुछ भी पढ़ाया, ध्यान से सुनना वरना…”, “टेस्ट में अच्छे मार्क्स लाने ही हैं” – ऐसी बातें बच्चे पर दबाव डालती हैं। वह स्कूल को एक एग्जामिनेशन हॉल की तरह देखने लगता है, जहां सिर्फ मार्क्स ही मायने रखते हैं। इससे पढ़ाई का स्ट्रेस बढ़ता है और सीखने की जगह रटने की आदत पनपती है।

इससे बचने के लिए उसे पॉजिटिविटी के साथ स्कूल भेजे। “आज बहुत मस्ती करना”, “नए दोस्त बनाना”, “जो भी सीखो, घर आकर मुझे सिखाना” जैसी बातें उसके आत्मविश्वास और उत्साह को बढ़ाएंगे।

दूसरे बच्चों से तुलना करना
सुबह-सवेरे अगर आपने कह दिया, “देखो तुम्हारे दोस्त राहुल कितना अच्छा यूनिफॉर्म पहनकर जाता है, और तुम…”, “तुम्हारी फ्रेंड सीमा हमेशा फर्स्ट आती है, तुम क्यों नहीं?” ये तुलना बच्चे के दिल और दिमाग पर सबसे गहरा घाव करती है। इससे उसमें हीन भावना पैदा होती है, आत्म-विश्वास डगमगाता है और दोस्तों के लिए जलन की भावना पनप सकती है।

इससे बचने के लिए हमेशा अपने बच्चे की तारीफ करें और उसे यह एहसास दिलाएं कि वह यूनिक है। उसकी छोटी-छोटी उपलब्धियों की सराहना करें।

झूठ बोलकर या डरा कर भेजना
कई बार माता-पिता बच्चों को समझाने के चक्कर में झूठ का सहारा लेते हैं, जैसे – “चलो जल्दी करो, नहीं तो टीचर डांटेगी।” या “स्कूल जाओ, वहां तुम्हें आइसक्रीम मिलेगी”। झूठ पकड़े जाने पर बच्चे का आप पर से विश्वास उठ जाता है। वहीं, डराने की टैक्टिक्स बच्चे के मन में स्कूल के लिए डर पैदा करती हैं, जिससे वहां उसका मन नहीं लगता।
इससे बचने के लिए बच्चे को प्यार से स्कूल के लिए तैयार करें और उनके साथ धैर्य से काम लें।

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